शनिवार, 2 दिसंबर 2017

कविता

दरवाजे केवल दरवाजे नहीं होते 


दरवाजा होने के लिए दीवार का होना जरूरी है
दीवार होने के लिए दरवाजे का होना जरूरी नहीं है

दरवाजों और दीवारों को जितना हमने बनाया होता है 
दरवाजे और दीवारें उससे अधिक हमें बनाते हैं।
दरवाजों और दीवारों को जितना हमने बनाया होता है
दरवाजे और दीवारें उससे बहुत अधिक होते हैं। 

दरवाजे और दीवार 
हमारी दुनिया के अंदर की व्यवस्थाएँ हैं
हमारी दुनिया की व्यवस्थओं के बाहर 
न दरवाजे होते हैं और न दीवारें होती हैं।

दरवाजे और दीवार के अंदर की दुनिया 
सबकी दुनिया नहीं होती है
दरवाजे और दीवार के बाहर की दुनिया सबकी दुनिया होती है।

दरवाजे कमरों को कमरों से जोड़ते हैं
कमरों को घर की तरह बनाते हैं
दरवाजे घरों को घरों से जोड़कर गाँव और शहर बनाते हैं।

दरवाजे, केवल दरवाजे नहीं, दीवार भी होते हैं
दरवाजे खुलकर भी, कभी नहीं खुलते हैं
दरवाजे न कभी किसी को अंदर आने देते हैं
और न कभी किसी को बाहर जाने देते हैं।

दरवाजे से होकर आना-जाना
दुनिया के अंदर आना-जाना नहीं होता है।
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kuber