छत्तीसगढ़ी साहित्य अउ इलेक्ट्रानिक मीडिया
(कुबेर)
आदरणीय सत्राध्यक्ष महोदय, मुख्य अतिथि महोदय, विशिष्ट अतिथि गण, उपस्थित विद्वान साथी मन! आप जम्मों झन ल जयजोहार।
आदरणीय संगवारी मन! अभी चर्चा के जउन विषय हे, छत्तीसगढ़ी साहित्य अउ इलेक्ट्रानिक मीडिया, येमा न तो साहित्य ह आज के हरे अउ न ही मीडिया ह; इलेक्ट्रानिक ह जरूर मोला आज के चीज लगथे। जब इलेक्ट्रानिक्स के बारे म मानव समाज ह अनजान रिहिस, तभो साहित्य अउ मीडिया मन रिहिन। मीडिया याने माध्यम - साहित्य, ज्ञान, जानकारी अउ सूचना के आदान-प्रदान, प्रचार-प्रसार करे के माध्यम।
मीडिया के आवश्यकता खाली मानव समाज ही नहीं बल्कि पशु-पक्षी मन ल घलो होथे। चांटी के रेला म आवत-जावत चांटी मन अपन-अपन मुड़ी मन ल जोर के का गोठ बात करत होहीं, कहि सकना मुश्किल हे, पन विज्ञानी मन के कहना हे कि ये हर उंकर सूचना के आदान-प्रदान करे के तरीका हरे। बघवा अउ कुकुर जइसे हिंसक प्राणी मन जघा-जघा स्थायी संरचना मन ऊपर लघुशंका करत रहिथें। विशेषज्ञ मन के अनुसार अइसे करके वोमन अपन इलाका के सीमाबंदी करथें अउ अपन ठउर म वापस आय के समय रद्दा के पहिचान बनाथें। यहू हर तो एक प्रकार के सूचना हरे। अर्थ ये हे कि हर प्रजाति के प्राणी मन के ज्ञान अउ सूचना के माध्यम अलग-अलग होथें। पन पशु-पक्षी मन के माध्यम म एक बात उभयनिष्ठ हे कि ज्ञान अउ सूचना के इंकर माध्यम ह जन्मजात हे, अनुवांशिक हे अउ येमा आज तक कोनो बदलाव नइ आय हे। जबकि मानव समाज के ज्ञान अउ सूचना के माध्यम ह हर युग म बदलत गिस अउ आज हम इलेक्ट्रानिक माध्यम के युग म आ गे हन। भविष्य म येकर सरूप ह कइसन होही येकर बारे म हम कल्पना भर कर सकथन।
पहिली एक गाँव के मनखे मन दूसर गाँव म सूचना पहुँचाय बर पहाड़ ऊपर चढ़ के नंगारा बजावंय। लड़ाई म बिगुल, तुरही अउ शंख बजावंय। पूजापाठ म आजो घला अध्याय खतम होय के बाद शंख अउ घंटा बजाय जाथे। बस्तर के मूरिया आंदोलन म मिरची अउ आमा के डंगाल के जरिया सूचना भेजे के काम होय रिहिस। ’संवदिया’ कहानी म फणीश्वर नाथ रेणु ह खबर भेजे बर संवदिया प्रथा के सुदर वर्णन करे हे। राजा महराजा मन चिट्ठी भेजे बर सिपाही अउ राजदूत भेजंय। आधुनिक समय म डाक विभाग, टेलीग्राम अउ टेलीफोन आइस। येकर अलावा परेवा (कबूतर) अउ बाज जइसन पक्षी के उपयोग घला होवय। मोला लगथे कि तइहा के मनखे मन चिट्ठी-पतरी भेजे बर परेवा (कबूतर) अउ बाज के अलावा कंउआ के घला उपयोग करत रिहिन होहीं। तभे तो बिहने-बिहने परवा म कंउवा के कांव-कांव करई ल हम सगा-पहुना आय के सूचना मानथन। परवा नामकरण के पाछू घला मोला परेवा अउ पखेरू के हाथ नजर आथे।
खैर, आज हम सूचना, ज्ञान अउ साहित्य के प्रचार-प्रसार खातिर इलेक्ट्रानिक मीडिया के युग म आ गे हबन। अभी विचार करना हे कि इलेक्ट्रानिक मीडिया म छत्तीसगढ़ी साहित्य कहाँ हे अउ कउन हालत म हे।
रेडियो, वायरलेस अउ टेलीविजन घलो ह इलेक्ट्रानिक मीडिया हरे। अब हम ई-मेल, टेलीग्राम, इंस्टरग्राम, व्हाट्सअप अउ नाना भांति के माध्यम के प्रयोग करत हन, जउन मन ल हम इलेक्ट्रानिक मीडिया कथिन।
सियान मन अक्सर आज के समय के अउ तइहा समय के तुलना करथें अउ तइहा समय ल आज के समय ले जादा बढ़िया बताथें। नापे के अपन-अपन उपकरण होथें, हो सकथे पहिली के मनखे मन कस वो सियान मन बीता अउ हाथ ले नापत होहीं, पन हम तो आज के मनखे हरन अउ हमन नापथन मीटर, सेंटीमीटर, मिलीमीटर अउ अब तो वोकरो ले बारीक नाप आ चुके हे जेला कहिथें - नैनो मीटर। हमन हरन नैनोमीटर वाले अउ हम आज जउन युग म सांस लेवत हन वो युग हरे नैनो तकनीक के।
हमर देखते देखत म टेलीविजन, कुम्यूटर अउ मोबाइल के रूप अउ आकार ह कतरो घांव ले बदल चुके हे अउ अब आने वाला हे क्वांटम कंप्यूटर। मोर केहे के मतलब हे कि नैनो टेक्नोलाजी अउ क्वांटम भौतिकी मन जब पूरा विकसित हो जाहीं तब दुनिया म कतका अउ का-का चमत्कार देखे बर मिलही उंकर बारे म सुन के अउ सोच के ही दिमाग ह चकराय बर लगथे। सुने म आथे कि आने वाला समय म हम जउन कपड़ा पहिनबोन विही ह सब के माध्यम बन जाही। जापान के वैज्ञानिक मन मंगल ग्रह अउ चंद्रमा तक रेलगाड़ी चलाय के योजना म काम करे के शुरू कर दे हें। वैज्ञानिक मन जीपरहा होथें, सोचथे तउन ल कर के रहिथें। आवइया पीढ़ी ह ये सब के सुख जरूर भोगही।
इलेक्ट्रानिक मीडिया के शुरुआत 1890 इ. म गुल्येमो मारकोनी द्वारा रेडियो के खोज करे ले हो गे रिहिस। येकर पहिली 1875 म ग्राहम बेल ह टेलीफोन के आविष्कार करे रिहिस। 27 जन 1926 ई के दिन जान लोगी बायर्ड ह पहिली घांव अपन बनाय टेलीविजन के प्रदर्शन करिस। 1969 ई म इंटरनेट के शुरुआत होइस। 1995 के आसपास मोबाइल आइस।
वइसे तो पढ़े-लिखे के इतिहास 3200 ई पूर्व तक जाथे। 59 ई पू अखबार के पहिली प्रकाशन माने जाथे। पन 20 वीं सदी के उत्तरार्ध अउ वर्तमान 21 वीं सदी के शुरुआती 22 बरस म इलेक्ट्रानिक मीडिया के रूप म जितना विकास होय हे वोतका तो मानव समाज के पांच हजार साल के ज्ञात इतिहास म नइ होय रिहिस।
मंय दूसर के बात नइ करंव, खुद के बारे म बताना चाहत हंव कि मंय ह 2010 के आसपास कंप्यूटर अउ इंटरनेट वाला मोबाइल खरीदे रेहेंव। 2014-15 के आसपास जब हमर देश म 3जी सेवा के शुरुआत होइस तब मंय ह इंटरनेट के प्रयोग करे के शुरू करेंव। मंय इंटरनेट म हिंदी साहित्य के बारे म सर्च करे के शुरू करेंव तब मोला वेब साइट अउ ब्लाग के बारे म पता चलिस। धीरे-धीरे रचनाकार वेब पत्रिका के बारे म पता चलिस अउ वोमा मंय ह अपन हिंदी के रचना मन ल भेजे के शुरू करेव। छत्तीसगढ़ी रचना मन ल कहाँ भेजे जाय ये समस्या आ गिस। तब हमर संजीव भाई के ’गुरतुर गोठ’ वेब पत्रिका के पता चलिस। नजीक के बात रिहिस। हम उंकर ले उंकर घर जा के व्यक्तिगत संपर्क करेन अउ बड़ खुशी होइस। मोला लगथे कि छत्तीसगढ़ी साहित्य के मामला म आजो घला ’गुरतुर गोठ’ वेब पत्रिका के कोनो बराबरी नइ हे। ’गुरतुर गोठ’ के अलावा उंकर चार-पांच ठन ब्लाग अउ हें।
ये बहुत अच्छा होइस कि छत्तीसगढ़ी बर हम देवनागरी लिपि के प्रयोग करथन, छत्तीसगढ़ी बर कोनो मौलिक लिपि के आविष्कार करके प्रयोग करत रहितेन ते मोला लगथे इंटरनेट म आज तक छत्तीसगढ़ी के अता-पता नइ रहितिस। संजीव तिवारी जी के हमला आभार व्यक्त करना चाही कि वोमन गूगल बर छत्तीसगढ़ी शब्दकोश बना के इंटरनेट म छत्तीसगढ़ी भाषा के प्रचार-प्रसार के रद्दा खोलिन। ये दिशा म श्री अरुण निगम जी के ’छंद के छ’ ह घला बढ़िया काम करत हे। येकर अलावा जय प्रकाश मानस जी के ब्लाग हे, झांपी नाम के ब्लाग हे, अइसने अउ बहुत अकन ब्लाग के बारे म बात करे जा सकथे। विदेश म रहवइया कुछ छतीसगढ़िया भाई मन घला इलेक्ट्रनिक माध्यम के जरिया छत्तीसगढ़ी साहित्य बर काम करत हें। छत्तीसगढ़ी के अउ कतरो ब्लाग होहीं पन जानकारी नइ होय के लिए मंय क्षमा मांगत हंव।
हमर जादातर संगवारी मन आजीविका खातिर कोनो न कोनो व्यवसाय ले जुड़े होहीं अउ इही पाय के कोनो ह घला पूर्णकालिक ब्लागर या यू ट्यूबर होही अइसन मोर जानकारी म नइ हे। यू ट्यूब म अइसन अनुमान होथे कि कुछ संगवारी मन पूर्णकालिक यू ट्यूबर हो सकथें पन वोमन साहित्यकार हरें अइसे नइ लगय। उंकर यू ट्यूब चैनल ल देखे म जादातर कामेडी के, छत्तीसगढ़ी गीत मन के, छत्तीसगढ़ी कवि सम्मेलन के, लोक कला मंच के ही वीडियो देखे बर मिलथे अउ गंभीर साहित्यिक रचना के मेाला सर्वथा अभाव नजर आथे।
अइसन बात नइ हे कि इलेक्ट्रनिक मीडिया के माध्यम ले धनार्जन नइ करे जा सके अउ येला पेशा के रूप म नइ अपनाय जा सके। जउन संगवारी मन ल इलेक्ट्रनिक मीडिया के बारे म बने असन जानकारी हे वोमन ब्लाग या यू ट्यूब के जरिया हर महीना लाखों रूपिया कमा सकथें। एक यू ट्यूबर हे जउन ह पहिली मजदूरी के काम करय अउ जनवरी 2022 म अपन यू ट्यूब चैनल बनाइस। अब वोहर एके साल के भीतर हर महीना चार लाख रूपिया ले जादा के कमाई करत हे। अइसने एक झन 15 साल के बालक हर घला हर महीना लाखों के कमाई करत हे।
आप सब जानथव कि ब्लाग अउ यू ट्यूब ह गूगल के प्लेटफार्म हरे। ब्लाग अउ यू ट्यूब चैनल से पइसा कमाय बर कुछ प्रक्रिया करे बर पड़थे जेकर जानकारी के अभाव म हम चूक जाथन। यू ट्यूब चैनल बनाय के बाद वोकर मनीटाइजेशन करे बर पड़थे। फेर गूगल के एडसेंस म एक खाता खुलवाय बर पड़थे। येकर बाद गूगल ह आपके व्हेरीफिकेशन करे बर आपके पता म रजिस्टर्ड डाक से 6 अंक के पिन पठोथे जउन ल आप अपन चैनल म वोकर निर्धारित खाना म डाल के इंटर करहू। आपके व्हेरीफिकेशन होय के बाद आपके कमाई शुरू हो जाही। पइसा ह आपके एडसेंस खाता म सकलावत जाही अउ जब 100 डालर ले ऊपर हो जाही त वोहर मनीटाइजेशन के समय आपके द्वारा देय गे बैंक खाता म ट्रांसफर हो जाही। गूगल ह ये काम ल हर महीना के 16 तारीख ले 25 तारीख के बीच नियमित रूप ले करत रहिथे।
अब तो अधिकतर साहित्यकार संगवारी मन अपन-अपन रचना ल इंटरनेट म डाले के काम शुरू कर दे हें। हमर पीछू पीढ़ी के पुरखा साहित्यकार मन के रचना मन घला इंटरनेट म लोड होवत हें। पन सवाल उठथे कि इंकर पढ़इया यानी सबस्क्राईबर कितना हे? सबस्क्राईबर के निर्धारित संख्या पार करे के बाद ही गूगल ह ये हिसाब लगाथे कि आपके चैनल ल कुल के घंटा देखे गे हे, अउ विही घंटा के हिसाब ले आपके पइसा बनथे।
कुछ समाचार पत्र मन जइसे कि हफ्ता म एक पेज ल छत्तीसगढ़ी बर समर्पित करके अपन जिम्मेदारी पूरा करत हें, इहाँ के सरकारी रेडियो अउ टेलीविजन के घला वइसने हालत हे। जरूरत हे छत्तीसगढ़ी भाषा के अलग रेडियो अउ टेलीविजन चैनल के, ’गुरतुर गोठ’ जइसन अलग से वेब साइट के।
खुशी के बात हे कि ये तरह ले वेब साइट, ब्लाग अउ यू ट्यूब के माध्यम ले छत्तीसगढ़ी साहित्य के प्रचार-प्रसार होवत हेे। ब्लाग के अलावा फेसबुक अउ ट्वीटर म घला पाठ के रूप म रचना डाले जावत हे। अभी शुरुआत हे। उद्गरे के समय म नदिया के आकर होय कि पिकी अवस्था म पेड़ के आकार होय, नानुक रहिथे पन समय के अनुसार आगू चल के उंकर आकार ह विशाल बनथे। अइसने कहिके अभी हमला संतोष करे बर परही।
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