ताबूतसाज - अंतोन चेखव
(राॅथचाइल्ड्स फेडल के छत्तीसगढ़ी अनुवाद - कुबेर)
एकठन छोटकुन सहर रिहिस, पन गाँव ले घला गे-बीते। येला तइहा जमाना के आदमीमन तकलीफ सहिके बसाय रिहिन होही, जउनमन अब मर-खप गे हें अउ अब इहाँ उंकर कोनों नामोंनिसान नइ हे। इहाँ के अस्पताल अउ जेल म ताबूत के जरूरत अउ मांग बहुत कम हे। व्यापार के लिहाज ले देखे जाय तब ये सहर ह बिलकुल बेकार हे। याकोव इवानोव हर कहूँ राजधानी नइ ते बड़का सहर म रहिके व्यापार करतिस ते वोकर खुद के आलीसान घर होतिस अउ लोगन मन वोला बड़ा ईज्जत के साथ याकोव मैटवेइच कहिके बलातिन। इहाँ, नानकुन सहर म, बात उल्टा हे, लोगन मन वोकर नाम रखे हें - ब्रांज। कोनो गरीब किसान के समान वोहर घोर गरीबी म अपन जिनगी बितावत आवत हे। एक ठन नानचुक खोलीवाले झोपड़ी म, जिहाँ एक तीर म चूल्हा, दूठन पलंग, ताबूत, बिरिंच अउ कतरो जरूरी समान मन कोचकिच ले गंजाय हे, विहिंचे वोहर अपन घरवाली मारफा संग रहय।
याकोव हर बहुत सानदार अउ मजबूत ताबूत बनावय। आदमी मन बर वोला नापजोख के जरूरत नइ पड़य, यहाँ तक कि जेल खातिर बनाय तभो वोला नापजोख के जरूरत नइ पड़य, काबर कि भले वोहर सत्तर साल के हो गे रिहिस पन अभी घला वोहर हट्टाकट्टा रिहिस अउ वोकर ले जादा वजनी अउ जादा ऊँचपूर आदमी इहाँ अउ कोनो नइ रिहिन। पन मालिकमन खातिर अउ खानदानी लोगन खातिर वोहर लोहा के फुट स्केल म एकदम नापजोख के अउ बड़ हिसाब ले ताबूत बनावय। पन लइकामन के ताबूत बनाय म वोला हमेसा अखरे अउ बनाबे करय ते बिना नापजोख के, कामचलाऊ।
पइसा झोंके के समय वोहर इही कहय, ’’मंय ह कबूल करथंव कि घटिया काम हर मोला बिलकुल पसंद नइ हे।’’
ताबूत के व्यवसाय के अलावा वोहर सारंगी बजाके घला थोर-बहुत कमा लेवय।
0
टीना मढ़े के काम करनेवाला मोइजी इल्यीच शेहक नाम के एक झन यहूदी हर 'यहूदी आर्केस्ट्रा' चलावय। वोहर कस्बाभर म आधा ले जादा रकम पेसगी लेय बिना ककरो बिहावबर म बजाय बर राजी नइ होवय वोकरे आर्केस्ट्रा म याकोव हर सारंगी बजाय के काम करे। बिसेस करके रूसी गाना शेक बजाय म याकोव के बराबरी कोनो नइ कर सकय।
एक घांव आधा रूबल रोजी म आर्केस्ट्रा म वोला सारंगी बजायबर बुलाय गिस। जब वोहर बजाय के सुरू करिस तब वोकर मुँहू हर ललिया गे अउ चेहरा हर पसीना ले तरबतर हो गे। उहाँ लसुन के तेज गंध फैले रिहिस जेकर कारण वोला सांस लेय म तकलीफ होवत रिहिस। सारंगी हर चर्र-चर्र बजे लगिस। मंद स्वर म गानेवाला जउन हर वोकर कानेच तीर बइठे रिहिस, हफरे लग गिस। बांसुरी बजइया पतला-दुबला, लाल चुंदीवाले यहूदी, जेकर चेहरा म लाल अउ नीला रंग के नस के जाला सरीख बगरे रहय अउ जेकर नाम राॅथ्सचाइल्ड रिहिस, वोकर डेरी बाजू म बइठे रहय, अउ बजाय म घेरी-बेरी गड़बड़ी करत रहय। याकोव ल वोहर फुटे आँखी नइ सुहावय। राॅथ्सचाइल्ड हर करोड़पति केहे म चिढ़ जावय। एक तो बिना कारण के याकोव के मन म यहूदी मन खातिर, बिसेस करके करोडपति राॅथ्सचाइल्ड के नाम म घृणा अउ तिरस्कार के भाव भरे रिहिस, अउ ऊपर ले बजाय म गड़बड़ी, याकोव हर वो बाँसुरीवाले यहूदी संग झगड़े लगिस अउ एक घांव वोला हकन के मार घला दिस।
राॅथ्सचाइल्ड हर गुस्सागे अउ खखुवा के वोकर डहर देखे लगिस, किहिस, ’’तोर कला के प्रति यदि मोर मन म स्म्मान नइ होतिस ते अभीेचे तोला उठा के खिड़की डहर ले फेंक देतेंव।’’ अउ वोहर रोये लगिस।
इही कारण से आर्केस्ट्रावाले मन याकोव ल बजायबर नइ बुलावंय। जब कोनो यहूदी उपस्थित नइ रहितिस अउ बहुत जरूरी होतिस तभे वोला मजबूरी म बलाय जातिस।
0
लगातार भारी नुकसान अउ पइसा के तंगी के कारण याकोव के दिमाग हर कभू ठिकाना म नइ रहय अउ वोहर बेहद चिड़चिड़ा स्वभाव के हो गे रिहिस। जइसे कि रविवार के दिन अउ संत दिवस के दिन काम करना पाप समझे जाय। सोमवार के दिन ल असुभ माने जाय। ये तरीका ले सालभर म खाली दू सौ दिन काम के रिहिस अउ बाँकी दिन, चाहे भला लगे कि बुरा, नफा-नुकसान के बारे म सोचत हाथ हलावत बइठे रहव।
यदि सहर म ककरो घर बिना गाना-बजाना के बिहाव होतिस या कि शेहक हर वोला बजाय बर नइ बलातसि तब वोकर अउ नुकसान होतिस।
जेल अधीक्षक ल बीमार परे दू साल पूर गे हे अउ याकोव ल वोकर मरे के अगोरा हे, लेकिन वोहर बड़े डाक्टर मन से इलाज कराय बर राजधानी चल दिस अउ विहिंचे मर गिस। कम से कम दस रूबल के नुकसान। वो हर इहाँ मरतिस ते याकोव हर वोकर बर सुंदर अउ बहुत महंगा ताबूत बना के रखे रिहिस, अउ वोला सजाय रिहिस। ये नुकसान के बिचार कर-करके वोला नींद नइ आवय। वोहर वो ताबूत ल अपन पलंग तीर रख के बस सोचत रहय।
अउ अइसन तरीका ले नुकसान होय ले जब वोकर दिमाग म तरह-तरह के मूर्खतापूर्ण बिचार आतिस अउ वोला नींद नइ आतिस तब वो हर अपन सारंगी ल अपन गोद म धर के बजाय लगतिस। रात के अंधियार म सारंगी के संगीत हर चारोंमुड़ा बगर जावय अ वोला बड़ा सांति मिलय।
0
बीते बरस के मई महीना के छै तारीख के बात हरे, वोकर घरवाली डोकरी, मारफा हर अचानक बीमार पर गिस। वोला सांस लेय म घोर तकलीफ होय लगिस। जइसे कि वोहर निहरे-निहरे रेंगय, खुदे निकाल के सोसनभर पानी पीइस तभो ले वोला कोनो फायदा नइ होइस। अतका बीमार होय के बावजूद वोहर बिहिनिया पानी लायबर चल दिस अउ चूल्हा घला जला डारिस।
सांझ होवत-होवत वो हर खटिया धरलिस। याकोव हर दिनभर अपन सारंगी ल बजावत बइठे रिहिस। जब अंधियार हो गिस, वोहर अपन वो किताब ल निकाल के देखे लगिस जउन म वोहर रोज के घाटा के हिसाब लिखय। देख के वोहर बेहद उदास हो गे। वोहर सालभर के नुकसान के हिसाब करे लगिस जउन हर एक हजार रूबल ले जादा निकलिस।
वोहर बेहद परेसान हो गिस। वोला लगिस कि मोती के हार ह वोकर हाथ ले छूट के गिर गिस हे अउ मोती के दानामन हर छितरा गिस हे अउ वोकर गोड़ म रमजावात हे अउ वोहर मोती के गिरल दानामन ल उठावत हे अउ अइसने करत अउ पछतावत वोकर उमर हर पहा गिस हे।
वोकर मुँहू हर ललिया गिस। चेहरा हर पसीना म तरबतर हो गिस। वोहर सोचिस कि अगर इही हजार रूबल ल वोहर बैंक म जमा कर देतिस ते कम से कम चालीस रूबल तो वोकर ब्याजे हर हो जातिस। मतलब चालीस रूबल के नुकसान अलग। सच बात तो ये हरे कि जिनगी म वोला नुकासानेच नुकसान होइस, नुकसान के अलावा अउ कुछू नइ होइस।
’’याकोव!’’ अचानक वोकर घरवाली हर वोला पुकारिस, ’’मंय ह मरत हंव।’’
वोहर जाके पत्नी ल गौर से देखिस। वोकर चेहरा हर बुखार के मारे गुलाबी हो गे रिहिस अउ असामान्य ढंग ले खुस अउ चमकदार दिखत रिहिस। याकोव, जउन हर हमेसा वोकर चेहरा ल डरे-सहमे, उदास, दुखी अउ मुरझाय हुए देखे के आदी रिहिस, अइसन देख के चकरित हो गिस। वोहर सोचिस कि डोकरी हर सचमुच मरत हे अउ वोहर ये बात म खुस होवत हे कि अब वोला ये दुखभरे जिनगी ले, ये झोपड़ी ले, ये ताबूत ले अउ ये याकोव ले छुटकारा मिलनेवाला हे। ...........डोकरी हर टकटकी बांधके छत कोती देखत रिहिस। वोकर चेहरा म प्रसन्नता के भाव रिहिस, मानो कि मौत ल वोहर अपन मुक्तिदाता के रूप म देख के वोकर संग गोठियावत होय।
पंगपंगाय के बेरा होगिस अउ खिड़की डहर ले बेर ह उवत दिखिस। डोकरी डहर देखके याकोव हर दुखी मन से सोचे लगिस कि हाय! जिनगी म एक घांव घला वोहर अपन पत्नी संग प्रेम से नइ गोठियाइस, वोकर सुख के बारे कभू नइ सोचिस, अउ जिनगी म एक घांव घला वोकर बर वोहर उरमाल तक नइ खरीदिस। वोकर संग बिहाव करके वोला जिनगी म एक दिन घला अराम करे बर नइ दिस। जिनगी भर वोकर ऊपर चिल्लाइस, अपन नुकसान होय के गुस्सा ल वोकर ऊपर उतारिस, भले कभू वोला वोहर मारिस नहीं पन हमेसा वोकर डहर मुटका ताने रहय अउ वोला भयभीत करके रखे रहय, जिनगी भर बिचारी हर भय अउ आतंक म जीवन बिताइस। वोहर वोला कभू चहा पीये बर नइ दिस, काबर कि येमा बहुत खरचा होथे, अउ बिचारी हर गरम पानी पी-पीके जिनगी गुजारिस।
अउ याकोव हर समझ गिस कि अब मरे के बेरा डोकरी के चेहरा म अतका संतोस, अतका खुुसी अउ अतका आनंद के भाव काबर हे अउ वोकर चेहरा म आज डर अउ आतंक के भाव काबर नइ हे।
बिहिनिया होवतसात याकोव हर परोसी घर ले घोड़ागाड़ी मांग के ले आइस अउ मारफा ल अस्पताल लेग गिस। उहाँ जादा मरीज नइ रिहिन अउ तीन घंटा ले जादा अगोरा करे बर नइ परिस। वोला ये जानके बड़ संतोस होइस कि मरीजमन ल डाक्टर हर नइ देखत हे काबर कि वोहर खुदे बीमार हे। वोकर जघा म मरीजमन ल वोकर सहायक मैक्जिम निकोलाइच हर देखत हे, जउन हर भले सराबी अउ गुस्सैल हे, फेर जेकर बारे म लोगन म मानता हे कि वोहर डाक्टर ले जादा जानथे अउ वोकर ले जादा अच्छा इलाज करथे।
’’भगवान करे, आपके दिन अच्छा गुजरे।’’ अपन घरवाली ल इलाजवाले खोली कोती लेगत-लेगत याकोव हर डाक्टर ल किहिस, ’’क्षमा करहू मैक्जिम निकोलाइच, हमन आप ल बहुत तंग करथन काबर कि हमन खुदे दुख अउ किलीफ धर के आय रहिथन। ये हरे आपके मरीज, मोर अद्र्धांगिनी, मोर जीवन संगिनी, जइसन कि केहे जाथे, कि इंकर बिना जीवन अधूरा होथे।’’
आँखी छटका के अउ अपन मेछा ल अइंठत डक्टर ह मरीज के जांच करे के सुरू करिस। डोकरी ह एक ठन स्टूल म बइठे रिहिस। वोकर मुँहू ह खुले रिहिस, कमर हर झुके रिहिस अउ पियास के मारे तलफथ कोनो चिरई कस दिखत रिहिस।
’’ओ..ह।’’ सहायक ह धीरे ले किहिस, ’’सर्दी-जुकाम अउ बुखार। सहर म मोतीझरा के प्रकोप हे। अच्छा हे, डोकरी हर अपन पूरा जीवन जी चुके हे। अभी येकर कतका उमर हे?’’
’’एक साल अउ बीतही तहाँले सत्तर साल के हो जाही मैक्जिम निकोलाइच।’’
’’अच्छा हे, डोकरी हर अपन जीवन जी लिस, अब तो बिदाई के समय आ गे हे।’’
’’आप बिलकुल ठीक कहत हव, मैक्जिम निकोलाइच, सही बात हे’’ विनम्र ढंग ले हँसके याकोव ह किहिस, ’’आपके कृपा अउ दया के खातिर आपके धन्यवाद। पन मोला अतका केहे के अनुमति देवव कि संसार म कीड़ा-मकोरा तको ल जीये के इच्छा होथे।’’
’’अगर ये बात हे तब’’ सहायक हर किहिस, ’’ये तो ये महिला के ऊपर निरभर हे कि वोहर जीही कि मरही, अच्छा! मोर सलाह हे कि येकर मुड़ी ल धीरे-धीरे चपकबे अउ ये पउडर ल दिन म दू घांव ले येला खवाबे। .... तो ठीक हे, नमस्कार।’’
वोकर हावभाव ले याकोव हर समझ गे कि मामला ह गंभीर हे। ये पावडर से कोई फायदा होनेवाला नइ हे। वोला समझ म आ गिस कि मारफा हर कल नइ ते परोन दिन तक नइ बचय। वो हर सहायक के कोहनी ल टहोका मारिस अउ धीरे से किहिस, ’’आप येला कप के उपचार देहू तब न मैक्सिम निकोलाइच।’’
’’मोर कना टाइम नइ हे। टाइम नइ हे, मोर मित्र। अपन डोकरी ल लेके जा। ईश्वर के नाम ले, अलविदा।’’
’’आप बहुत दयालू हव’’ याकोव हर किहिस, ’’वोकर पेट म खराबी हे तब ये पावडर या कोनो ड्राप ले का फायदा। वोहर ठंड के मारे कांपत हे, वोला खून के परीक्षण के जरूरत हे, मैक्सिम निकोलाइच।’’
पन तब तक सहायक के ध्यान हर दूसर मरीज कोती चल देय रिहिस। एक किसान महिला हर एक लड़का के संग खोली म आइस।
’’संग म जा, संग म जा, वो हर याकोव ल किहिस, ’’अब येकर ले कोई फायदा नइ हे। कहूँ दूसर जघा ले जा अउ जोंक के उपचार करा। हम तोर खातिर ईश्वर ले प्राार्थना करत हन।’’ सहायक हर गुस्सा हो के चिल्लाइस, ’’तंय मोर विरोध म बोलथस। मूरख कहीं के।’’
याकोव ल घला गुस्सा आ गिस, वोकर मुँह हर ललिया गिस, पन वोहर बड़बड़ा के रहिगिस, कुछू नइ किहिस। वोहर मारफा ल अपन हाथ म उचा के झाोड़ागाड़ी म बइठारिस। अस्पताल के रवइया ल देख के वोहर किहिस, ’’ईश्वर हर कलाकार मन के इहाँ अच्छा बस्ती बसाय हे। कोनो ल काकरो डर नहीं। कप के उपचार अमीरमन खातिर हे, पन गरीबमन खातिर जोंक के उपचार तो हो सकत हे। राक्षस कहीके।’’
जब वोमन घर पहुँचिन अउ अपन झोपड़ी म अंदर गिन, मारफा ह चूल्हा तीर जा के दस मिनट तक खड़े रिहिस। वोला डर रिहिस कि कहूँ वो हर बिस्तर म ढलंग जाही ते याकोव हर फेर अपन नुकसान के रोना रो के वोला डाँटही अउ बखाने के सुरू कर दीही।
याकोव हर मारफा ल डरत-डरत देखिस अउ सोचे लगिस, काली संत जाॅन, देव पुरूष के दिवस हे, परोनदिन अद्भुत कर्मशील संत निकोलस के दिवस हे अउ वोकर एक दिन बाद सोमवार, अशुभ दिन, चार दिन ले काम बंद रही, अउ सबले जादा डर हे कि तब तक मारफा ह जिंदा रही कि नइ रही, तब अच्छा होही कि एकरबर आजे ताबूत बना लेना चाही।
वोहर अपन लोहा के फुट स्केल ल धर के गिस अउ मरफा के सरीर के बारीकी ले नाप लिस। फेर मारफा ह सो गिस। याकोव हर वोला छोड़के ताबूत बनायबर भिड़ गिस।
जब ताबूत हर तैयार हो गिस तब वोहर अपन औजारमन ल संभाल के रख दिस। अपन हिसाबवाले किताब ल निकालिस अउ वोमा लिखिस, ’’मारफा इवानोव के ताबूत, दू रूबल चालीस कोपेक।’’
अउ आह भरके चुपचाप बइठ गिस। डोकरी ह दिनभर अचेत होके सुते रिहिस पन सांझ होवत समय, जब मुंधियार हो गिस वोहर अचानक डोकरा ल चिल्ला के बुलाइस। ’’तोला सुरता हे याकोव’’ वोकर डहर प्रसन्नमुद्रा म देख के डोकरी हर किहिस, ’’पचास बरस पहिली के बात के तोला सुरता हे, भगवान हर हमला सुदर चूंदी वाले बच्ची देय रिहिस? हम वोला गोदी म ले के नदिया तीर जाके सरपत के रूख तरी बइठ जावन अउ सुंदर अकन गीत गावन।’’ अउ दर्द से भरे हँसी हाँसत-हाँसत वो हर आगू किहिस, ’’वो बच्ची ह मर गिस।’’
याकोव हर सुरता करे के कोसिस करिस पन वोला न तो बच्ची के सुरता अइस अउ न सरपत रूख के। ’’ये हर खाली तोर कल्पना हरे।’’ वोहर किहिस।
तब तक पादरी ह पहुँच गिस। वोहर अंतिम समय के नेंग करिस अउ वोकर आत्मा के परमात्मा म विलीन होय के कामना करिस। मारफा हर बेहोसी म कुछ गीत गाय सही बड़बड़ाय के सुरू कर दिस अउ बिहाने के होत ले प्राण ल त्याग दिस।
परोसी बुजुर्ग महिलामन वोला नहवाइन अउ वोला नवा कपड़ा पहिराइन अउ तब वोला ताबूत म सुता दिन।
पंचक के प्रकोप ले बचे बर याकोव हर खुदे वोकर सरीर ऊपर पवित्र मंत्र के जाप करिस। कबर कोड़इयामन बर वोकर तीर कुछुच नइ रिहिस, जइसे कि वोमन तो वोकर हितैसी रिहिन।
चार झन किसानमन मिल के वोकर ताबूत ल उठाइन अउ वोला कब्रिस्तान तक पहुँचाइन, पइसा के खातिर नहीं बल्कि सम्मान भाव के कारण। ताबूत के पीछू-पीछू कतरो महिला, भिखारी, मलंग साधूमन के दल अउ वो सबमन, जउनमन डोकरी के जान-पहिचानवाले रिहिन हे, पवित्र भाव से वोकर शव यात्रा म सामिल होइन। ........ अइसन शव यात्रा ल देख के याकोव ल बड़ा आत्मिक आनंद होइस, कि अतका सुंदर, अउ अतका कीमती ताबूत हर मृतात्मा ल नसीब नइ होवय। मारफा ल अंतिम बिदाई देय खातिर वोहर वोकर ताबूत के स्पर्स करिस अउ सोचिस, ’’इही हर दुनिया के सबले पवित्र काम हरे।’’
0
पन अंतिम संस्कार करके लहुटत खानी याकोव ल भयंकर सदमा हर घेर लिस। वो हर अपनआप ल बीमार अनुभव करे लगिस, वोला सांस लेय म भयंकर तकलीफ होय लगिस, बुखार धरे कस लगे लगिस, गोड़मन म कमजोरी के अनुभव होय लगिस। वोला पीये के इच्छा सताय लगिस।
अउ फेर मारफा के संग बिताय दिन हर एक-एककरके वोकर आँखी म नाचे लगिस कि कइसे वोहर मारफा ल जिनगी म कभू सुख नइ दे पाइस, कभू झणभर वोकर संग प्रेम के गोठ नइ कर सकिस,। बावन बरिस वोमन एके झोपड़ी म खुरच-खुरच के बिताइन पर कोई तो अइसे पल नइ बीतिस जब वो हर मारफा के बारे म सोचिस होही। वोकर ऊपर वो हर कभू ध्यान नइ दिस जइसे कि वोहर आदमी नहीं बल्कि कोनो कुकुर बिलाई रिहिस होही। अउ मारफा, तभो ले बिचारी हर चूल्हा जलातिस, पानी लायबर जातिस, खाना पकातिस, लकड़ी चीरतिस, अउ अंत म एके बिस्तर म वोकर संग सुततिस, जब वो हर कोनो बिहाव घर म बाजा बजाके अउ लटलट ले पी के बेसुध हो के रात कुन लहुटतिस, मारफा हर वोकर सारंगी ल बड़ जतन ले खूँटी म टांगतिस, वोला बिस्तर म सुतातिस। ये सब काम वोहर जीवनभर बिना कोनो सिकायत के चुपचाप करिस अउ सहिस।
0
राॅथ्सचाइल्ड हर हाँसत-हँसत वोकर से मुलकात करे बर अइस अउ वोला झुक के सलम करिस। चाचा! मंय हर तुहिंच ल खोजत रेहेंव।’’ वोहर किहिस, ’’मोइजी इल्यीच शेहक ह आप ल सलाम केहे हे अउ वोकर इच्छा हे कि आप जाके वोकर संग मुलाकात करतेव।’’
याकोव के कुछू काम म मन नइ लगत रिहिस। वोकर मन होय कि वोहर जोर-जोर से रोय। ’’मोला तंय अकेल्ला छोड़ दे।’’ वो हर किहिस अउ रेंग दिस।
’’आप अइसन कइसे कर सकथो।’’ राॅथ्सचाइल्ड हर कंझा के किहिस अउ वोकर आगू म आ के खड़ा होगिस, ’’मोइजी इल्यीच हर नाराज हो जाही। आप ल वोकर से एक घांव जरूर मिलना चाही।’’
यहूदी ल हफरत देखके याकोव के चेहरा हर तमतमा गिस। वोला पलक झपके अउ सांस लेय म तकलीफ होय लगिस। वोकर करिया रंग के धब्बावाले हरियर रंग के कोट ल देख के अउ वोला सभ्य अउ अनजान बने के नाटक करत देख के याकोव के मन म घृणा भर गिस।
’’अरे! लहसुनिया, तंय हर मोला परेसान काबर करत हस।’’ याकोव ह चिल्लाइस, ’’जिद्द झन कर।’’
यहूदी हर घला गुस्सागे। वो हर चिल्लाइस, ’’अहाँ, अतेक झन चिल्ला, नइ ते उठा के रूँधना के वो पार फेंक देहूँ।’’
’’दूर हो जा मोर नजर से।’’ याकोव हर वोला घूर के देखिस अउ वोकर डहर मुटका तान के झपटिस, ’’तुम जुटहा यहूदीमन बर कोन हर काम करही?’’
राॅथ्सचाइल्ड हर डर के मारे अधमरा हो के गिर गिस अउ मुड़ी कना अपन हाथमन ल हिलाय लगिस, फेर वोहर लकाधरा उठिस अउ जतका वोकर मरियल टांगमन म ताकत रिहिस, उछल-उछल के उलांडबाटी खावत भागे लगिस। याकोव हर वोकर मरियल रीढ़ के लचकई ल देखत रहिगिस। वोला भागत देखके पारा के लइकामन ल मजा आ गिस अउ सब झन ’’यहूदी, यहूदी’’ चिल्लावत वोकर पीछू-पीछू भागे लगिन। ये तमासा ल देख के मोहल्ला के कुकुरमन तको जुरिया गें अउ भूंकत-भूंकत वहूमन वोकर पीछू-पीछू भागे लगिन। कोई हर सीटी बजा के कुकुरमन ल लुहा दिस। कुकुरमन वोकर ऊपर झपट परिन। तब एक दर्दनाक चीख सुनई परिस, कोनो कुकुर हर राॅथ्सचाइल्ड ल हबक दिस होही।
0
याकोव हर चरावन मैदान कोती घूमे बर निकलगिस अउ सहर के बाहिरे-बाहिर जतखत घूमे लगिस। मोहल्ला के लइकामन चिल्लाय लगिन, ’’ब्रांज इहाँ हे, ब्रांज इहाँ हे,।’’
वोहर नदी म आ गिस जिहाँ पनचिरई मन किंव-किंव नरियावत अउ बदखमन क्वेक-क्वेक नरियावत हवा के झोंका संग तउरत रिहिन। सूरज हर चढ़ के गरम हो गे रिहिस अउ पानी म वोकर छँइहा हर चमकत रिहिस। वोकर चमक म याकोव के आँखीमन चकमकाय लगिस। याकोव हर नदी के तीरे-तीरे चले लगिस। तभे वोहर एक झन गुलाबी गालवाले मोटल्ली महिला ल घठौंदा म नहावत देखिस, वोकर मन म विचार आइस, ’’हट, उदबिलाव कहीं के।’’
घटौदा के नजीके म लइकामन मांस के टुकड़ लगा-लगा के मछरी पकड़त रहंय। याकोव ल देख के वोमन जोर-जोर से चिलाइन, ’’ब्रांज, ब्रांज’’। अउ तब वोला दिखिस सरपत के एक ठन जुन्ना, झपाटादार, मोट्ठा पेड़उरावाले रूख, जेमा कँउवा मन खोंदरा बना डरे रिहिन .......... अउ अचानक याकोव के कल्पना म एक झन सुदर चूंदीवाले लइकी खड़े दिखिस। वोहर सोचिस, आखिरी समय म मारफा हर जउन सरपत पेड़ के अउ जउन लइकी के बारे म केहे रिहिस, कहीं ये हर विही तो नइ होही? पेड़ हर कतका बड़ हो गे हे अउ लइका घला हर कतेक बड़े हो गे हे।
याकोव हर पेड़ खाल्हे बइठ गिस अउ बीते समय के सुरता करे लगिस। वोहर नदी के दूसर किनारा डहर देखिस जिहाँ अभी पानी वाले घास के मैदान हे, पहिली उहाँ बहुत बड़े भोज के जंगल रिहिस हे। अउ ये डहर चटर्रा पहाड़ी रिहिस अउ वोकर वो पार बादर के अमरत ले देवदार के जंगल रिहिस। नदिया म बड़े-बड़े नाव चले। पर अब सब कुछ सफाचट हो गे हे। वो पार मोटियारी टुरी कस खाली एकठन भोज के पेड़ भर खड़े हे। नदी म बदख, पनचिरइ अउ कुलहंस कुछुच नइ रिहिस अउ अइसे नइ लगय कि कभू इहाँ बड़े-बड़े नाव चलत रिहिस होही। वोकर आँखी के आगू सफेद कुलहंस के झुंड दिखे लगिस। वोकर मन अउ कुलहंस के झुंडमन आपस मिल गिन।
वोहर सोचे लगिस कि वोकर बीते चालीस-पचास साल हर नदी डहर आय बिना कइसे गुजर गिस। आइस भी होही ते ये सब चीज ल वोहर देखिस कइसे नहीं। अतका सुंदर नदी ल छोड़ के वोहर जिनगी भर खाली बनावटी जिनिस ले देखत अटके रहिगिस। सायदे कभू वोहर मछरी पकड़े के काम करिस होही जेला बेच के पइसा कमाय जाय सकत रिहिस अउ बैंक म जमा करे जा सकत रिहिस। नाव के बैपार कर सकत रिहिस, जउन हर ताबूत के धंधा से जादा फायदा के होतिस। वोहर बदख अउ कुलहंस पक्षी के सिकार करके अउ वोल मास्को तक भेजके पइसा कमा सकत रिहिस। जंगल के लकड़ी के बैपार कर सकत रिहिस, आखिर जंगल तो साफ होइच गिस। साल म कम से कम दस रूबल तो वोहर बचाइच सकत रिहिस। पन पूरा जिनगी ल वो हर नुकसान के धंधा म खपा दिस। बिना सुख पाय जिनगी पहा गिस। का ये हर वोकर किस्मत म लिखाय रिहिस? आदमी ह दुरभाग्य अउ नुकसान से बच के काबर जीवन नइ बिता पाय?
जीवन भर वो हर अपन पत्नी ल का सुख दे सकिस। खाली डाटिस अउ धमकाइस। वो दिन वो यहूदी ल वोहर काबर धमकाइस जेकर ये परिणाम होइस कि बिचारा ल कुकुर ह चाब दिस। वोकर अपमान करे के वोला का अधिकार रिहिस?
आदमी ह एक दूसर खातिर कबर इरखादोसी करथें? काबर दूसरा ल नुकसान अउ दुख पहुँचाय खातिर छल करथें? यदि आदमी ये सब ले बच के चलंय अउ मेलमिलाप से रहंय ते कोनों ल नुकसान काबर होय। काबर कोनो ल दुख मिलय?
सांझकुन अउ रातभर वोकर नजर-नजर म कुलहंस पक्षी के संहार, सरपत के पेड़, वो लइका के सुदर चेहरा झूलत रिहिस। वोला मारफा हर पक्षी के रूप म दिखे लगिस जउन हर पियास के मारे तलफत रिहिस। राॅथ्सचाइल्ड के कमजोर अउ पींयर चेहरा वोकर आँखी-आँखी म झूलत रिहिस। वो रात याकोव हर अपन सारंगी ल बजाय बर पाँच घांव ले उठिस
बिहिनिया वोहर मुस्किल से उठिस अउ अस्पताल चल दिस। मैक्सिम निकोलाइच ह वोला बिलकुल वइसनेच बताइस कि सिर ल धीरे-धरे दबाना हे। वोला खाय बर कुछ चूर्ण दिस। वोकर हावभाव से लगिस कि मामला कुछ गड़बड़ हे अउ चूर्ण से कुछू फायदा होनेवाला नइ हे। याकोव ल जना गिस कि मामला गंभीर हे।
जइसने वोहर घर पहुँचिस, वोहर सोचे लगिस कि मौत से डरना काबर? येकर से तो फायदाच हे, नुकसान नहीं। तब फेर न तो भोजन-पानी के जरूरत हे अउ न टैक्स पटाय के। न तो ककरो संग लड़ाई झगड़ा, न फायदा कमायबर झूठ अउ ठगफुसारी करे के जरूरत। कबर म सुते के बाद एक नहीं बल्कि हजारों सालबर सबसे मुक्ति। मनुष्य के जीवन के मतलब हे नुकसान अउ मौत के मतलब हे फायदा। निसंदेह इही ह अंतिम सच हे। तभो ले कड़वा सच ये हरे कि जीवन बहुत अजीब चीज हरे। ईश्वर हर दुनिया ल अतेक निर्मम अउ अतेक संघर्षशील काबर बनाय हे कि जीवन हर बिना कोई लाभ अउ सुख म गुजर जाथे?
मौत से वोहर दुखी नइ रिहिस, पन घर म, जइसने वोहर अपन सारंगी ल देखिस, वोकर मन हर दुखी हो गे। कब्र म तो वोहर येला धर के जा नइ सकय, येला इहिंचे छोड़ के जायबर परही। धनदोगानी, कुछू संग म नइ जावय। इही बात चीड़ अउ देवदार के जंगल के बारे म घला सच हे। सब ल एक दिन खतम हो जाना हे। दुनिया के हर चीज नासवान हे।
याकोव हर अपन सारंगी ल छाती म लगा के अपन झोपड़ी के बाहिर दुवारी म बइठ गिस। अपन बर्बाद अउ लाभहीन जीवन के बारे म सोचे लगिस, अउ सारंगी ल बजाय लगिस। वो हर का बजात रिहिस, खुदे नइ जानय पन संगीत हर बेहद दर्दीला अउ आत्मा ल छूनेवाला रिहिस। वोकर आँखी ले आँसू गिर-गिरके वोकर गाल म बोहाय लगिस। वोहर अपन जिंदगी के बारे सोच के जतका दुखी होवत जावय, वोकर सारंगी से निकलनेवाला संगीत हर वोतका दर्दीला होवत जावय।
दरवाजा म एक घांव अउ दस्तक होइस अउ राॅथ्सचाइल्ड हर घर म प्रवेस करिस। आधा अंगना तक तो वोहर बेधड़क आ गिस फेर याकोव ल बइठे देख के वोहर ठिठक गिस। वोहर डर के मारे हाथ-गोड़ ल सकेल के खड़े हो गिस अउ इसारा ले पूछे लगिस के ये सब काए।
’’नजीक आ जा मोर भाई’’ याकोव ह बेहद प्रेम से वोला बलाइस अउ किहिस, ’’आ भीतर चल।’’
राॅथ्सचाइल्ड ल याकोव के अइसन व्यवहार ऊपर बिसवास नइ होइस अउ वोहर वोकर ले सात फूट दुरिहच म रुक गिस।
’’तंयहर मोला मारबे तो नहीं न’’ वोहर किहिस, ’’बदख के पिल्ला। मोइजी इलीइच हर मोला अउ भेजे हे। डर झनी याकोव, वोकर तीर जा अउ वोला बता। वोकर बिना हम नइ मिल सकन। बुधवार के दिन बिहाव के कार्यकरम हे। सुन ..... में। श्री शापोवालोव हर अपन बेटी के बिहाव एक भला आदमी संग करत हे। बहुत आलीसान बिहाव होनेवाला हे।’’ अउ यहूदी हर अपन एक आँखी ल चपकत दिस।
’’मंय हर नइ आ सकंव।’’ बड़ मुसकिल से सांस लेवत याकोव हर किहिस, ’’भाई! मंय हर बेहद बीमार हंव।’’ अउ वोहर सारंगी ल फेर बजाय लगिस। वोकर आँखी ले आँसू हर झर-झरके सारंगी ऊपर गिरे लगिस। राॅथ्सचाइल्ड हर वोकर बाजू म खड़े रिहिस अउ मंत्रमुग्ध हो के सुने लगिस। वो हर अपन हथेली मन ल याकोव के छाती म फेरिस। वोकर मन के डर अउ घृणा हर धीरे-धीरे दुख अउ पीड़ा म बदलत गिस। वोहर अपन आँखीं मन ल झुका लिस, जइसे कि वोकर आत्मा हर आनंद अउ उत्साह से भर गिस होय, अउ किहिस ’’अद्भुद’’ अउ वोकर आँखीमन हर आँसू ले भर गिस। आँसू ह झर-झर के वोकर गाल अउ वोकर हरियर कोट ल भिंगोय लगिस।
अउ दूसर दिन याकोव हर दिनभर तलफत बिस्तर म सुते रिहस। सांझकुन जब पादरी हर आइस वोला वोकर पाप के जउन ल वोहर जीवन म कभू करे रिहिस होही, के स्वीकार कराइस। याकोव के स्मरण सक्ति हर छीन हो गे रिहिस। वोला मारफा के दुखी सूरत अउ यहूदी के प्रति घृणा के सुरता अइस, खासकरके जब वोकरे कारण वोला कुकुर हा चाबे रिहिस। अउ बहुत धीरे से अउ मुस्किल से वो हर पादरी ल किहिस, ’’ये सारंगी ल राॅथ्सचाइल्ड ल दे देबे।’’
पादरी हर किहिस, ’’बहुत अच्छा।’’
0
अउ अब सहर भर म हर आदमी हर इही पूछथे कि राॅथ्सचाइल्ड ल अतका सानदार सारंगी कहाँ ले मिलिस। वोहर येला बिसाय हे कि चोरी करे हे कि बख्सीस म पाय हे?
अब बहुत दिन हो गे हे, वोहर बाँसुरी बजाना छोड़ दे हे। अब वोहर सारंगी के सिवा अउ कुछुच नइ बजावय। अब वोकर सारंगी ले वइसनेच सुरीला संगीत निकलथे जइसे कभू वोकर बाँसुरी ले निकलत रिहस। पन जब वोहर याकोव के वो धुन ल बजाय के सुरू करथे, जउन ल वोहर अपन झोपड़ी के दुवारी म बइठ के बजाय रिहिस, बेहद कारुणिक, अउ आत्मा ल छू लेनेवाला तब सुननेवाला के आँखी ले तरतर-तरतर आँसू झरे लगथे। वोहर खुदे अपन आँखी मन ल मूंद लेथे अउ कहिथे ’’अद्भुत .....।’’
अब तो सहर भर के मनखे, चाहे व्यापारी होय कि अधिकारी राॅथ्सचाइल्ड के ये संगीत के पीछू पागल हो गे हे। राॅथचाइल्ड के माँग बराबर बाढ़ते जावथ हे। येला लगातार अउ दर्जनों घांव ले सुन के घला लोगन के आत्मा ह तृप्त नइ होवय।
000kuber000