गुरुवार, 30 मई 2019

अनुवाद

एक मुरदा आदमी - एंटोन चेखव 
A DEAD BODY - Anton Chekhov

(अंतोन चेखव के कहानी "अ डेउ बाॅडी’’ के छत्तीसगढ़ी अनुवाद - कुबेर)

अगस्त महीना के रात रिहिस। खेत कोती ले धीरे-धरे धुँधरा छावत गिस अउ बात कहत आँखी के आगू हर चीज  ऊपर परदा छा गिस। चंदा के अंजोर म धुँधरा हर पलभर म जइसे सफेद दीवाल म चारों डहर सांत अउ सीमा रहित समुद्र के चित्र बना दिस। बेहद ठंडा अउ नम हवा चले लगिस। बिहिनया होय म बहुत देर रिहिस। जंगल के तीरेतीर गुजरनेवाला सड़क ले दू कदम दुरिहा टिमिक-टिमिक आगी जलत रिहिस। नानचुक मदार के पेड़ खाल्हे मुड़ ले पांव तक सफेद लिनेन कपड़ा म ढंकाय एक मरे सरीर परे रिहिस। वोकर छाती मेर लकड़ी के ताबूत परे रिहिस। लास के बाजू सड़क म दू झन किसान मन मजबूरी म चौकीदारी करत  बइठे रिहिन। एक झन हर जवान अउ ऊँचपूर रिहिस जेकर बड़े-बड़े मेछा अउ बड़े-बड़े भौंह रिहिस अउ जउन हर भेड़ के खाल के चिथरहा पनही पहिरे रिहिस, गिल्ला कांदी म गोड़ लमा के बइठे रिहिस, अउ सब ल छोड़ के खिसके के कोसिस करत रिहिस। वोहर अपन लंबा घेंच ल टेड़गा करके, एक ठन टेड़गा लकड़ी के टुकड़ा ल चम्मस बनाके अंगीठी ल कोचकत, नाक डहर ले जोर-जोर से सांस लेवत रहय। दूसर किसान ह मरियल कस ठिगना डोकरा रिहिस जेकर मुँहू म चेचक के दाग, ठाड़-ठाड़ मेछा अउ बोकरा के दाढ़ी कस डाढ़ी रिहिस, अपन दुनों माड़ी ल पोटार के हालेडुले बिना अंगीठी डहर टकटकी लगा के देखत बइठे रिहिस। दुनों झन के बीच म नानचुक अंगीठी हर उंकर मुँहू  म लाल अंजोर बिगरावत टिमिक-टिमिक बरत रिहिस। चारों मुड़ा सननाटा पसरे रिहिस। खाली चाकू ले लकड़ी ल रेते के अउ बरत लकड़ी के चटके के आवाज आवत रिहिस। 

’’का तंय ह सुतत नइ हस सियोमा .....’’ जवान टूरा हर पूछिस।

’’मंय हर ..... मंय हर नइ सुतत हंव .......।’’ बोकरा डाढ़ीवाले हर झकनका के किहिस।

’’तब ठीक हे। इहाँ अकेल्ला बइठना भयानक हे, कोनो घला डर्रा जाही। तब कुछू काहीं सुनावस नहीं सियोमा।’’

’’सिमोस्का! तंय हर बड़ बिचित्र आदमी हस। दूसर होतिस तब हाँसतिस-गोठियातिस, गाना गातिस, कहानी सुनातिस, पन तंय ... तोला तो कुछुच नइ आवय। तंय हर तो बाड़ी-बखरी के बिजूका कस अंगीठी डहर देखत गोल-गोल आँखीं घुमावत बइठे भर हस। तोला कुछुच नइ आवय ........ गोठियाथस त अइसे लागथे कि तंय हर डर के मारे कांपत हस। मंय हर कहि सकथंव कि तंय हर भले पचास बरिस के हो गे हस पन तोर बुद्धि हर नानचुक लइका केे दिमाग ले घला गे-बीते हे। तंयहर एकदम बुद्धू कस हस, ये बात के तोला दुख नइ होवय?’’

’’मोला छिमा कर।’’ बोकरा दाढ़ीवाले हर हतास हो के किहिस।

’’अउ मोला तोर मूर्खता ल देख के तोर ऊपर तरस आवत हे, तंय ठीकेच कहत हस। तोर सुभाव हर बहुत अच्छा हे, तंय बिलकुल सीधा किसान हस अउ परेसानी के बात ये हे कि तोर दिमाग म भूया भराय हे। तंय हर अपन आप म कुछू समझदारी पैदा कर, भगवान हर तोर संग बड़ा जुलुम करे हे कि तोला थोरको घला मझदारी नइ देय हे। तोला बने कोसिस करना चाही,  सियोमा ......... तंयहर हर बात ल बने ढंग ले सुनेकर, बने समझेकर अउ बने सोच-समझ के गोठियाय कर ........  खूब सोचेकर, खूब सोचेकर। कोनो सब्द के तोला समझ नइ हे, हर सब्द ल बने सुनेकर, अउ दिमाग लगा के समझेकर कि एकर मतलब का होथे अउ येला कब बोले जाथे। समझ म आइस? बने कोसिस करे कर। अगर तंयहर कोनो बात के मतलब नइ समझ सकबे तब तंयहर बुद्धू बनबे अउ मरे के दिन तोर कोनो इज्जत नइ होही।’’

बातचीत चलत रिहिस तभे अचानक जंगल डहर ले ककरो कराहे हे आवाज सुनाई परिस। डारा-पाना म सरसराहट के आवाज, जइसे कि कोनो जिनिस ह रूख के ऊपर ले टूटके जमीन म गिरिस होय। आवाज हर एक घांव अउ गूंजिस। जवान हर चिल्ला के अपन संगवारी डहर देखिस।

’’कोनो घुघवा हरे छोटे चिरई के सिकार करिस होही।’’  सियोमा हर धीरे से किहिस।

’’कइसे, सियोमा, ये हर चिरईमन के गरम देस कोती जाय के समय हरे।’’

’’बिलकुल, इहिच समय।’’

’’इहाँ बिहिनिया हर कतका ठंडा हे। ये हर जुन्ना रिवाज हरे। सारस मन हर ठंडा परानी होथंय। ठंड ल देख, अतका ठंड म सारसमन के मौत हो जाथे। मंयहर तो कोनो सारस नो हंव, तभो ले ठंड के मारे अकड़े परत हंव ............... अंगीठी म लकड़ी डार।’’

सियोमा हर उठिस अउ अंधियार जंगल म जा के गायब हो गिस। वोहर झाड़ी म जा के सुक्खा लकड़ी टोरे लगिस। वोकर संगवारी हर लकड़ी टोरे के आवाज ल सुनत डर के मारे आँखी मूंद के बइठे रिहिस। सियोमा हर काबाभर सुक्खा लकड़ी धर के आइस अउ अंगीठी म डारदिस। अंगीठी हर जइसे लकड़ी के भूखा रिहिस होही, सुक्खा डारामन ल तुरते चाटे लगिस अउ भभक गिस। सडक म, लास के सफेद लिनेन के कपड़ा म अउ उंकर चेहरा म ललहूँ अंजोर बिगर गिस, लास के हाथ-पांवमन अउ ताबूत  हर दिखे लगिस। चैकीदार मन एकदम चुप हो गिन। जवान हर डर अउ घबराहट के मरे अपन नरी ल गड़िया लिस। बोकरा डाढ़ीवाले हर पहिलिच जइसे बिना हाले-डोले बइठे रिहिस अउ अंगीठी कोती एकटक देखतरिहिस।

’’सही हे! जउन सियोन से परेम नइ करय, प्रभु के द्वारा वोकर निंदा करे जाही।’’ रात के सननाटा म वोमन ल मद्धिम आवाज म ये अस्वाभाविक गीत सुनाई परिस। फेर धीरे-धीरे पदचाप के आवाज सुनई दिस, अउ एक झन बुटरा आदमी जउन हर साधूमन के समान छोटकुन कैसाक अउ लंबा-चैड़ा टोपा पहिरे रिहिस, वोकर खांद म बटुआ टंगाय रिहिस, अंगीठी के ललहूँ अंजोर म सड़क म धीरे-धीरे छंइहा कस आवत दिखिस।

’’हे ईश्वर! हे पवित्र माता! तोर किरपा से सब अच्छा हो गिस।’’ वो मनखे के आकार हर करकस आवज म किहिस। ’’बीच जंगल अउ घोर अंधियार म अंगीठी देख के मोर आत्मा हर परसन्न हो गिस ............. सबले पहिली, मंय हर सोचेंव कि तूमन हर घोड़ा चराइया होहू, फेर सोचेंव कि अइसे नइ हो सकय काबर कि कहीं कोनो घोड़ा दिखत नइ हे, तब मंय हर सोचेंव कि कोनो चोर होहू, अउ ये सोच के डर्रा गेंव कि कहीं तुमन लाजर, धनवान आदमी ल लूटे खातिर लुका के बइठे लुटेरा झन होव। फेर सोचेंव कि जिप्सी मन मूर्ति ल परसन्न करे खातिर बलि चढ़ावत होहीं। अउ मोर आत्मा हर खुसी के मारे उछल गिस। फेर मंय हर मनेमन केहेंव, फिओडोसी, ईश्वर के सेवक, शहीद मन के ताज जीत अउ पतंगा बन के, पंख खोल के परकास म नाच। अब मय हर इहाँ, आपमन के सम्मुख खड़े हंव। आपमन न तो कोनो चोर हरव अउ न कोनो डाकू। ईश्वर आपमन ल सांति दे।’’

’’नमस्कार।’’

’’अच्छा, पुरातनपंथी संगी हो, इहाँ ले मकुहिंस्की ब्रिकार्ड्स जाय के रद्दा तूमन जानथव का?’’

’’वो तो इहाँ ले एकदम नजीक हे। आप ये सड़क ल धर के सोझ चले जाव। डेढ़ मील चले के बाद आप ल हमर गाँव, अननोवा मिलही। फादर! गाँव ले आप जेवनी बाजू मुड़क जाहू अउ नदिया के तीरेतीर जाहू। अनानोव ले दू मील चले के बाद आप ल मकुहिंस्की ब्रिकार्ड्स मिल जाही।’’

’’ईश्वर तुंहर भला करय। पन तुमन इहाँ बइठे काबर हव?’’

’’हमन इहाँ चौकीदारी करत बइठे हन। वोती देखव, लहस परे हे........।’’

’’का? का परे हे? हे पवित्र माँ!’’

तीर्थयात्री ह लिनेन के सफेद कपड़ा अउ ताबूत ल देखिस, अउ वोहर अतका हिंसक हो गिस कि वोकर गोड़ मन हर उछले लगिस। ये अनचाहा दृस्य ल देख के वोकर दिमाग हर काम करना बंद कर दिस। कभू वोहर पगलामन सरीख हुड़दंग करे लगे त कभू मुँह फार के आँखी ल नटेर के एके जगह खड़े रहय। तीन मिनट बाद वो हर एकदम चुप हो गिस जइसे कि वोला अपन आँखी देखल ऊपर बिसवास नइ होवत होय अउ तब वोहर बड़बड़ाना सुरू कर दिस, ’’हे ईश्वर! हे होली मदर। मंय तो अपन रद्दा म जावत रेहेंव, ककरो कोनो बिगाड़ नइ करेंव, फेर अचानक ये दुख काबर।

’’आप कोन हरव?’’ जवान हर पादरी लेे पूछिस।

’’न ... नहीं ... मंय हर एक मठ ले दूसर मठ जावत रेहेंव। का तंय हर जानथस? मिहिरन पोलिकारपिच ल, जउन हर ब्रिकार्ड के फोरमैन हरे? हाँ हाँ, मंय हर वोकर भतीजा हरंव ......... तुमन इहाँ का करत हव, हे ईश्वर! तुमन इहाँ का कबर हव?’’

’’हमन इहाँ निगरानी करत हन .... हमन ल इही काम बताय गे हे।’’

’’हाँ, हाँ ...........’’, वो आदमी हर अपन हाथ ल अपन आँखी मन म फेर के फुसफुसा के किहिस, ’’ अउ ये मरनेवाला हर कहाँ ले आय रिहिस?’’

’’ ये हर अनजान आदमी हरे।’’

’’इही हर जीवन हरे। पन मंयहर हंव न ..... अ..र...भाई हो, अपन काम करव ...... लगथे, मंयहर बिदक गे हंव। मंयहर सब चीज ले जादा मुरदा ले डर्राथंव मोर प्रिय दोस्त। ये सब दिखावा हरे, जब ये आदमी हर जीयत रिहिस, येला कोनो घेपत नइ रिहिस होही अउ जब येहर मर गे हे, कोनो भ्रस्टाचारी मन कस येकर आगू हम कांप जाथन जइसे कि कोनो जनरल या पादरी के आगू आदमी मन कांप जाथें ..इहीहर जीवन आय; का येकर हत्या होय हे कि अउ कुछ?’’

’’भगवान जाने, हो सकथे हत्या होय होही, या हो सकथे ये हर खुदे मर गिस होही।’’

’’हाँ ..हाँ .. भई हो, ये बात ल कोनहर जानही? शायद येकर आत्मा हर सरग म खुसी म नाचत-कूदत होही।’’

’’वोकर आत्माहर अभी इहेंच हे, अपन सरीर के नजीक,’’ जवान आदमीहर किहिस, ’’तीन दिन तक सरीर ल छोड़के येहर कहूँ नइ जाय।’’

’’हूँ .. ठीक! अब रात कतका ठंडा हो गे हे! ककरो घला दांत क किटकिटाय लगही। इहीपाय के मोला सोझ अपन रद्दा नापना चाही।’’

’’गाँव पहुँचे के बादेच आप जेवनी मुडकहू अउ नदिया के तीरे-तीरे जाहू।’’

’’नदिया के तीरे-तीर ...... पक्का न ...... तब मंयहर इहाँ काबर खड़े हंव? जरूर चलना चाही। अच्छा भाई हो! अलविदा।’’

कैसाकवाले वो आदमी हर मुस्किल ले पाँच कदम रेंगिस होही अउ रुक गिस, ’’कफन-दफन खातिर मंयहर एक कोपेक के सिक्का डारे बर भुला गे रेहेंव,’’ वोहर किहिस, ’’अच्छा, पुरातनपंथी संगी हो, का मंयहर रकम दे सकथंव?’’

’’येकर बारे म हमर ले जादा आप ल जानकारी  होना चाही। आप ये मठ ले वो मठ घूमत रहिथव। कहूँ येहर सुभाविक मौत मरे होही तब येहर वोकर आत्मा के भलाई म जाही; अउ कहूँ येहर आत्महत्या करे होही तब तो येहर पाप होही।

’’बिलकुल सही ..... अउ मोला लगथे कि सचमुच म ये हर आत्महत्या करे हे, अब मंय हर अपन रकम ल रख लेथंव। ओ, पाप महापाप। मोला कोनो हजार रूबल दिही तभो मंय हर इहाँ नइ बइठतेंव ......  बिदा भाई हो।’’

कैसाक हर धीरे-धीरे रेंगे के सुरू करिस अउ फेर ठाड़ हो गिस, ’’मोला समझ म नइ आवत हे कि मंय हर का करंव,’’ वोहर कुरबुरा के किहिस, ’’बिहिनिया के होवत ले इही कना आगी तापत बइठे रहंव ...... तब मोला डर लागही.... अउ अकेल्ला रद्दा रेंगे म घला डर लागही। मरइया हर तो मर गे फेर मोर मुसीबत कर दिस।...... सच कहव तब प्रभु हर मोर परछो लेवत हे। अभी तक तो कुछुच नइ होइस, अउ घर तीर आ के अइसन मुसीबत। मंय नइ जा सकंव ........।’’

’’ये यब भयानक हे, ये बातहर सही हे।’’

’’मंयहर भेड़िया मन से, अंधियार से अउ चोर से नइ डरंव, पन मुरदा मनखे ले मोला डर लगथे। मंयहर वोकर ले डरथंव अउ ये सब वोकरे खातिर हरे। मोर भले, पुरामनपंथी भाई हो, तुहंर ले बिनती हे, मोला गाँव म अमरा देव।’’

’’हमला केहे गे हे कि लहस ल छोड़ के कहूँ जाहू झन।’’

’’कोनो ल पता नइ चलही मोर भाई हो, मोर आत्मा हर कहिथे, कोनो ल पता नइ चलही। प्रभुहर तुम्हला सौ गुना जादा इनाम दिही। सियान! मोर संग चल। मंयहर बिनती करत हंव। सियान! तंयहर चुप काबर हस?’’

’’वोहर एकदम सिधवा हे,’’ जवान हर किहिस।

दोस्त! तब तंयहर मोर संग चल। मंयहर तोला पाँच कोपेक देहूँ।’’

’’पाँच कोपेक! मंय चल सकथंव,’’ जवान हर मुड़ी न खजवावत किहिस, ’’महूँ ल सियोमा ल अकेला छोड़ के जायबर नइ केहे हे। हमर सिधवा, सियोमा हर यदि इहाँ अकेल्ला रहि सकही, तब मंयहर आपके संग जा सकथंव। सियोमा! तंयहर इहाँ अकेला रहि जाबे?’’ 

’’हव।’’ सिधवा हर अपन सहमति दे दिस।

’’ठीक! तब बहुत बढ़िया, मोर संग म चल।’’ 

जवान हर उठिस अउ कैसोक संग चल दिस। मिनट भर बाद उंकर गोड़ के आवाज हर धीरे-धीरे कम होवत गिस। उंकर बातचीत के आवाज हर आना बंद हो गिस।

सियोमा हर अपन आँखीमन ल मूंद के चुपचाप बइठ गिस। अंगीठी हर मद्धिम होवत गिस अउ अंधकार के आवरण हर लहस ल ढंक लिस।
000kuber000


गुरुवार, 23 मई 2019

अनुवाद

मोट्ठा अउ दुबला - एंटोन चेखव 

(FAT AND THIN के छत्तीसगढ़ी अनुवाद - कुबेर)


दू झन मितान के, जउन म एक झन हर ह मोट्ठा रिहिस अउ दूसर ह दुबला रिहिस, अचानक निकोलेवस्की स्टेशन म भेट हो गिस। मोटल्ला हर खाना खाके डकारत निकलत रिहिस अउ वोकर ओठमन हर चेरी कस चिक्कन रिहिस अउ चमकत रहय। वोहर शेरी अउ बेगोर डोरंगे झड़क के निकलत रिहिस। वोकर कपड़ामन ले महंगा इत्र (Fleur d'orange) के खुसबू आवत रहय। दुब्बर हर रेलगाड़ी ले कइसनोे करके अपन डब्बा ले निकले रहय। वोकर तीर सूटकेस, संदूक अउ खूब अकन समान रहय। वोकर मुँहू ले सूअर के सुक्खा मांस अउ काफी के गंध आवत रहय। वोकर पीछू-पीछू लंबा डाढ़ीवाली वोकर घरवाली अउ एक झन स्कूल म पढ़इया लइका जेकर एक आँखी हर खराब हो गे रिहिस, आवत रिहिन।

’’पोर्फिरी’’ दुब्बर आदमी ल देख के मोटल्ला आदमी हर चिल्लाइस। ’’तंय हरस? मोर मयारुक संगवारी! कतका गरमी अउ कतका ठंडकाला बीत गिस तोर से मिले।’’

’’ओहो, पवित्र संत पुरूष,’’ दुब्बर हर चकरित खा के चिल्ला के किहिस, ’’मीशा! मोर बचपन के संगवारी! तंय कोन डहर ले टपक गेस?’’

दुनों संगवारमन एक-दूसर ल तीन घांव ले चूमिन। एक-दूसर ल देख के दुनों के आँखींमन डबडबा गिन। दुनों ल एक-दूसर ले मिल के घोर आस्चर्य होइस।

एक-दूसर ल चूमे के बाद दुब्बर हर किहिस, ’’मोर मयारुक बच्चा, अचानक भेट हो जाही कहिके मंय हर तो सोचे घला नइ रेहेंव। सचमुच आस्चर्य के बात हे। बने ढंग ले मोला देख ले। मंय अभी घला वोतकिच सुदर हंव, जइसे पहिली रेहेंव। एकदम मयारुक अउ छैला जवान। मोला बहुत अच्छा लगिस। अब तंय बता, कइसे हस? अपन किस्मत ल चमकायेस कि नहीं? बिहाव करेस कि नहीं? जइसे कि देखतेच हस, हम तो बिहाव कर डरे हन ........ये हर मोर घरवाली लुईस हरे। लुथेरन परंपरा के मुताबिक येकर मायके के नाम वैंटसेनबैक रिहिस। अउ येहर मोर बेटा हरे, नफनैल, अभी स्कूल म तीसरी कक्षा म पढ़त हे। ये हरे स्कूल के जमाना के मोर मितान, नफन्या। स्कूल म हमर संग कभी नइ छूटय।’’

नफनैल हर थोरिक देर सोचिस अउ बाप के मितान के  सम्मान म अपन टोपी ल निकाल लिस।

’’स्कूल म हमर संग कभी नइ छूटय,’’ दुब्बर हर बात ल आगू बढ़ाइस, ’’तोला सुरता हे, लइकामन तोला कइसे कुडकावंय? वोमन तोर नाम बढ़ाय रिहिन, हेरोस्ट्रेटस, काबर कि तंय हर एक घांव अपन किताब मन ल सिगरेट म जला के छेदा-छेदा कर डरे रेहेस। अउ मोर नाव बढ़ाय रहंय, एफिलिट्स, काबर कि मोला किस्सा-कहानी कहे म मजा आवय। हो ..... हो.... बचपनप के बात आय, नफन्या, लजा मत। इहाँ आ, येहर मोर घरवाली हरे, लुथेरन परंपरा के मुताबिक येकर मायके के नाम वैंटसेनबैक हे। ....... ’’

नफनैल हर पता नइ, का सोचिस ते बाप के पीछू म जाके लुका गिस।

’’अच्छा हे, मयारुक संगवारी, अब तंय बता, कइसे हस?’’ अपन संगवारी डहर प्यार से देखत मोठल्ला हर पूछे के सुरू करिस, ’’का तंय हर नौकरी करथस? कोन दर्जा तक पहुँचे हस?’’

’’मंय तो सबके दुलरवा बच्चा हंव! दू बरस हो गिस, मंयहर कालेज म मूल्यांकनकर्ता के पद म हंव अउ मोर कना स्टानिस्लाव घला हे। पन तनखा हर एकदम कम हे, कोई बात नहीं! मोर घरवाली हर संगीत के कक्षा चलाथे। अउ मंय हर नौकरी के संग निजी तौर म लकड़ी के नक्कासीदार सिगरेट डब्बा, ’कैपिटल्स सिगरेट केस’ बेचे के काम करथंव। एक डब्बा के एक रूबल लेथंव। अउ कोनो हर दस ठन लेथे तब, सवाले पैदा नइ होवय, कम करथंव। कइसनो करके पइसा आना चाही, बस। आप तो जानथव, मंयहर लिपिक के काम करथंव, अउ अब मोर इहाँ विहिच विभाग म टरान्सफर हो गे हे। अब मय इहाँ काम करेबर जावत हंव। अउ अब आप अपन बारे म बतावव? मंय हर सरत लगा सकथंव, अब तक आप सिविल पारसद नइ बन गे हव? अंय?’’

’’बिलकुल नहीं मोर प्रिय बच्चा, वोकरो ले ऊँचा बढ़ जा,’’ मोटल्ला आदमी हर किहिस, मंय तो पहिलिच प्रिवी काउंसलर बन चुके हंव ..... मोर कना दो स्टार हे।’’

सुनके दुब्बर मनखे के मुँहू हर पिंवरा गिस अउ फक पर गिस। जल्दी वोहर अपन चेहरा ल मुरेर-मुरिर के  बनावटी हँसी हँसे लगिस। अइसे लगिस कि जानोमानो वोकर आँखी अउर वोकर चेहरा ले चिंगारी निकलत होय। वोहर फुसफुसा के कुछू किहिस। वोकर चेहरा म हीन भाव दिखे लगिस। वोकर चेहरा ले खुसी के जम्मों भाव गायब हो गिस। वोला अपन सूटकेस, संदूक अउ समान मन तुच्छ लगे लगिस। ....... वोकर घरवाली के लंबा डाढ़ी हर अउ लंबा दिखे लगिस। वोकर बेटा, नफनैल हर एकदम सावधान हो गिस अउ अपन डरेस के बटनमन ल ठीक करे लगिस।

’’महामहिम! मोला खुसी होइस! कोनो कहि सकथे कि बचपन के संगवारी हर अब एक महान व्यक्ति बन चुके हे! वोहर... वोहर..!’’

’’अरे नहीं, नहीं, प्यारे।’’ मोटल्ला हर बात ल आगू बढ़ावत किहिस, ’’अचानक तोला का हो गिस? मंय अउर तंय अभी घला वइसनेच संगवारी हन जइसे बचपन म रेहेन। अउ कोनो आधिकारिक औपचारिकता निभाय के जरूरत नइ हे।’’

’’आप दयालु हव महामहिम! ये आप का कहत हव........?’’ दुब्बर आदमी ल जइसे साँप सूँघ लिस होय, पहिली ले अउ जादा किलौली करत किहिस, ’’महामहिम! आपके किरपा हे जउन मोला अतका महत्व देवत हव, जइसे कि मोर खातिर सरग के भोजन ....... ये, महाहिम, मोर पुत्र नफनैल, ...... मोर पत्नी, लुईस, निस्चित रूप से लुथेरन ।’’

मोटा आदमी हर थोरिक विरोध करे के कोसिस करिस, वोला समझाय के कोसिस करिस, पन दुब्बर अदमी के चेहरा म अपार श्रद्धा, विनम्रता अउ आत्मिक सम्मान के जउन भाव परत देखिस वोकर ले वोहर हार गिस। वोला पतला आदमी ले दुरिहा घूँचना उचित लगिस, फेर जावत-जावत वोहर अपन हाथ ल वोकर हाथ म दे दिस।

पतला आदमी हर वोकर तीन अँगरी ल दबाइस, अउ वोकर सम्मान म अपन पूरा सरीर ल झुका लिस अउ चीनीमन सरीख छींकिस। 

’’वो ...वो.... वो।’’ वोकर घरवाली हर मुसकाइस। नफनैल हर एड़ी रगड़ के अपन टोपी ल उतार लिस। 

तीनों के तीनों अपन हार स्वीकार कर चुके रिहिन।
000kuber000
टीप:-
1. Fleur d'orange: एक परकार के इत्र।
2. Lutheran:  रसियन मूल के जरमन अल्पसंख्यक।
3. Nafanail:  रूस में एक मजाकिया नाम
4. Herostratus:   356 ई. पूर्व के एक विक्षिप्त आदमी जउन हर आर्टेमिस के मंदिर के मंदिर ल जला देय रिहिस।
5. The Stanislav:   रूस म तेरहवाँ नंबर के सरकारी पद
6. Privy councillor:  रूस म तीसरा नंबर के सर्वोच्च सरकारी पद
000

बुधवार, 22 मई 2019

अनुवाद

जूतासाज अउ सैतान - अंतोन चेखव

THE SHOEMAKER AND THE DEVIL
(द शूमेकर एंड द डेव्हिल के छत्तीसगड़ी अनुवाद - कुबेर)


क्रिसमस तिहार के समय रिहिस। मारिया ल चुल्हा तीर सुते बहूत देर हो गे रिहिस, मोमबत्ती के जम्मो मोम ह टघल-टघल के बोहा गे हे, अउ फ्योदोर निलोव ह अभी ले अपन काम म भिड़ेच हे।

वोला अपन काम ल बंद करके बहुत पहिलिच खोर-गली म निकल जाना रिहिस, पन कोलोकॉली गली के रहवासी एकझन गिराहिक ह पंदरही पहिली वोला एक जोड़ी पनही बनाय के आडर देके गे रिहिस। पनही नइ बन पाइस  अउ काली विही गिराहिक ह आके फ्योदोर निलोव ल गारी-गुफ्तार करके गे हे अउ यहू चेताय हे कि काली बिहिनिया होय के पहिली पनहीमन जरूर बन चाही।

’’यहू हर अपराधी जीवन समान हे।’’ काम करत-करत फ्योदोर हर बड़बड़ाइस, ’’कतरो आदमी नींद भांजत हें उ कतरोमन आराम करत हें जबकि मंय हर हत्यारा बरोबर वो सैतान के पनही सिलत बइठे हंव, ये बात ल कोन जानही.............।’’

अचानक झपकी झन आ जाय अउ ढलंग झन जांव कहिके वो हर मेज के खाल्हे एक ठन बोतल रखे रहय जउन ल वो हर रहि-रहि के पीयत जाय, अउ पीये के बाद अपन मुड़ी ल झटकार के अउ चिल्ला के कहय, ’’कोनो दया करके मोला बतावव, का कारण हे कि गिराहिक ह अपन आप म मस्त हे जबकि मंय ह इहाँ काम करे बर मजबूर हंव? काबर कि वोहर पइसावाला हरे अउ मंय ह भिखारी हरंव?’’

वोला अपन गिराहिकमन ऊपर नफरत होय लगिस, खास करके कोलोकॉली गली के वो गिराहिक बर। का होइस कि उदसहा बानी के वो आदमी हर सभ्य दिखथे पन वोकर लंबा चूँदी हे, चेहरा हर पींवरहा हे, नीला रंग के चस्मा पहिरे रथे, अउ जहर सही वोकर बोली हे। वोकर नाव जरमनी म हे जेकर सही उच्चारन कोनो नइ कर सके। वोकर सही-सही पहिचान अउ काम के बारे म बता पाना असंभव हे।

पंदरही पहिली के बात फ्योदोर ल सुरता आ गे जब नाप लेय बर वोहर गिराहिक के घर गेय रिहिस तब वो गिराहिक हर फर्रस म बइठ के उदानी (खप्पर) म कुछू डारत रहय। फ्योदोर के जोहार करे के पहिलिच उदानी (खप्पर) म डारल जिनिस मन अचानक चमकदार लाल लौ के संग भक ले भभक गिस अउ गंधक अउ चिरइमन के पंख जरे के गंध आय लगिस। खोली हर पींयर रंग के धुंगिया ले भर गिस। फ्योदोर ल पाँच घांव ले छिंकासी आइस। 

अउ जब सब होय के बाद वोहर घर आइस तब सोचिस, ’’कोनो आदमी, जेकर मन म ईश्वर के डर होही, अइसन कोनो काम करिच नइ सकय।’’

अउ जब बोतल ह खाली हो गिस, फ्योदोर हर पनही ल टेबल म मढ़ा दिस अउ मुड़ी धर के बइठ गिस, अउ अपन गरीबी के बारे म सोचे लगिस, दिन-रात हाड़तोड़ मेहनत करे के बाद घला वोला अपन जीवन म खुसी के कोनो आस नजर नइ दिखिस। अउ तब वोहर अमीर मनखे, उंकर बड़े-बड़े बंगला, उंकर सवारी गाड़ी अउ उंकर सौ-सौ रूबल के नोट के बारे म सोचे लगिस .......... कितना अच्छा होतिस कि उंकर बड़े-बड़े बंगलामन ल सैतान ह आगी लगा देतिस, उंकर सब घोड़ामन मर जातिन, उंकर फर के कोट अउ सेबल के टोपीमन चिथरा हो जातिन। ये साल के क्रिसमस ह कितना सानदार होतिस कि ये सब अमीरमन धीरे-धीरे भिखारी बन जातिन, इंकर तीर कुछुच नइ बाँचतिस। अउ वो खुद, गरीब जूतासाज, धीरे-धीरे अमीर बन जातिस, अउ बाँकी जम्मों गरीब जूतासाज मन के मालिक बन जातिस।’

इही तरीका ले सपनावत-सपनावत फ्योदोर ल अचानक अपन काम के सुरता आ गिस अउ वोकर आँखी मन उघर गिन।

’’एक काम करे जाय,’’ पनहीमन ल देखत-देखत वोहर सोचिस, ’’काम तो कब के खतम हो गे हे अउ मंय हर इहिंचेच बइठे हंव। अभी तक तो मोला ये पनहीमन ल वो सज्जन गिराहिक घर अमरा के आ जाना रिहिस।’’

वोहर पनहीमन ल लाल रंग के उरमाल म लपेटिस, वोला धरिस अउ सड़क म निकल गिस। बाहिर म बारीक-बारीक पन ठोस बरफ गिरत रहय अउ वोकर चेहरा म सुजी गोभे  सरीख परत रहय अउ भयानक ठंड परत रहय, सड़क म फिसलन अउ अँधिेयारा रहय। सड़क म लगे गैस बत्तीमन टिमिक-टिमिक बरत रहय। इही पाय के फ्योदोर हर खाँस के अपन गला ल साफ करिस। अमीर मनखे मन सड़क म अपन-अपन घोड़ा गाड़ीमन ल अउ स्लेजगाड़ीमन ल जतखत चलावत रहंय। वोमन हैम अउ वोदका के बोतल धरे रहंय। उंकर गाड़ी म बइठे अमीर महिला अउ जवान लड़कीमन वोला देखके गाड़ी ले अपन मुड़ी निकाल-निकाल के हँसत अउ चिल्लवावत रहंय, ’’भिखारी, भिखारी।’’

छात्र, अधिकारी अउ बैपारीमन, जउनमन वोकर पीछू-पीछू आवत रहंय, वोला, ’’सराबी, सराबी, अछूत मोची, नीच भिखारी कहिके वोकर मजाक उड़ावत चिल्लावत रहंय।’’ 

ये सब बातमन ह अपमानजनक रिहिस पन फ्योदोर हर अपन जुबान ल काबू म रखिस अउ खाली घृणा के मारे थूँक दिस। पन जब वारसा के बड़े जूतासाज कुज्मा लिबोडकिन से वोकर मुलाकात होइस अउ जब वोहर बताइस कि, ’’मंयहर एक झन अमीर महिला संग बिहाव कर लेय हंव, मोर तीर काम करनेवाला कतरो कारीगिर हें जबकि तंय हर भिखारी के भिखारी हस अउ तोर तीर खायबर घला कुछुच नइ हे,’’ तब फ्योदोर ल सहन नइ होइस। वोहर वोला दंउड़ाय के सुरू करिस अउ कोलोकॉली लेन के पहुँचत ले वोला दंउड़ाइस।

वोकर गिराहिक ह चैथा नंबर के घर के सबले ऊपरी मंजिल म आखिरी कोन्टा म रहय। उहाँ पहुँचे बर वोला एक ठन लंबा-चैड़ा, अँधियारी आँगन ल पार करे बर परिस अउ तब वोला लंबा अउ सरहा सिढ़िया म चढ़े बर परिस जिहाँ चढ़त खानी ककरो घला गोड़ ह डगमगा जातिस। जब फ्योदोर ह वोकर तीर पहुँचिस तब वो हर फर्रस म बइठ के उदानी (खप्पर) म कोनो जिनिस डारत रहय, बिलकुल वइसनेच जइसे वो हर पंदरही पहिली करत रिहिस।

’’आपके जय हो, मंय हर आपके पनहीमन ल लाय हंव।’’ फ्योदोर ह अनमनहा हो के किहिस।

गिराहिक ह चुपचाप उठिस अउ पनही ल पहिरे के कोसिस करे लगिस। वोकर मदद करे बर फ्योदोर ह माड़ी के भार बइठ गिस अउ वोकर जुन्न पनहीमन ल खीच के निकाल दिस।  पनहीमन ल जइसे निकलिस वइसने वोहर डर के मारे उछल के खड़ा हो गे अउ  दुवारी कोती दंउड़े लगिस। गिराहिक के गोड़मन म पंवरी नइ रहय, पंवरी के जघा खुर रहय जइसन कि घोड़ा मन के रहिथे। 

’’हे भगवान’’ फ्योदोर ह सोचिस, ’’एक काम करना चाही।’’ सबले पहिली डरना छोड़के क्रास बनाना चाही, फेर सब ल छोड़के खाल्हे कोती भागना चाही। पन तुरंत वोहर सोचिस, सैतान संग पहिली घांव अउ हो सकथे आखिरी घांव भेट होय हे, अइसन म येकर फायदा नइ उठाना बड़ा भारी मूर्खता होही। वोहर अपन डर ल काबू म करिस अउ अपन किस्मत आजमाय के कोसिस करे लगिस। क्रास बनाय बर बचे खातिर वोहर अपन हाथमन ल पीठ कोती लेग के बांधलिस अउ बहुत सम्मानजनक ढंग ले खखार के बोले के सुरू करिस, ’’लोगन कहिथें कि दुनिया म सैतानमन ले बढ़के अउ कोनो जादा बुरा नइ होवय, पन हे महामहिम! मंयहर कहिथंव कि दुनिया म सैतान ले जादा शिक्षित अउ कोनो नइ होवय। सैतानमन के, माफ करिहव, खुर अउ पूछी के सिवा अउ कोनो बुराई नइ होय, पन उंकर तीर हजारों विद्यार्थीमन ले जादा बुद्धि होथे।’’

’’आप जउन कहत हव वोकर ले मंय हर खुस हंव,’’ मसका मारत शैतान हर किहिस, ’’धन्यवाद जूतासाज, आप मोर ले का चाहथव?’’

अउ बिना समय बरबाद करे जूतासाज हर अपन किस्मत के रोना रोय लगिस। वोहर कहेके सुरू करिस कि ननपन ले वोहर अमीरी के सपना देखत आवत हे। वोला ये बात के नाराजगी हे कि काबर सब आदमीमन एक समान बड़े घर म नइ रहंय। वोहर पूछिस, वोहर काबर गरीब हे? का वोहर वारसाव के कुज्मा लिबोडकिन ले घला गयगुजरे हे जेकर तीर खुद के घोड़गाड़ी हे अउ जेकर घरवाली हर टोपी पहिरथे? वोकरो वइसने नाक, वइसने हाथ, वइसने गोड़, वइसने पीठ हे, जइसन अमीरमन के होथे पन काबर वोला काम करे बर मजबूर होना परथे जबकि बाकीमन मौज करत रहिथें? काबर वोला मारिया जइसन महिला संग बिहाव करे बर परिस, खुसबू ले महकत कोनो दूसर महिला संग वोकर बिहाव काबर नइ होइस? अमीर गिराहिक मन के बड़े-बड़े घर म वोहर सदा सुदर-सुदर जवान महिला देखथे पन या तो वोहर उंकर कोनो बात ऊपर कुछू धियान नइ देवय या जब वोहर धियान देथे तब वोमन वोला देख के हाँसत रहिथे अउ कहत रहिथे, ’वाह, देख तो, लंबा लाल नाक वाले जूतासाज हे।’ ये बात सच हरे कि मारया हर नेक हे, दयालु हे, हाड़तोड़ मेहनत करनेवाली हे पन वोहर पढ़े-लिखे नइ हे, वोकर हाथ हर भारी अउ कठोर हे, अउ जब कोनो वोला राजनीति या कोनो बौद्धिक विसय ऊपर बोले बर कहिथे तब वो हर भारी मूर्खतापूर्ण बकवास के सिवा अउ कुछुच नइ बोल सकय।

’’तब आखिर तंय का चाहथस?’’ गिराहिक हर वोला बीच म टोकिस।

’’महामहिम सैतान इवानिच! आपसे मोर बिनती हे कि कृपा करके आप मोला अमीर आदमी बना दव।’’

’’बिलकुल। बदला म मोला आप ल मोला अपन आत्मा ल देय बर परही। बिहिनिया, कुकरा बासे के पहिलिच आप ल ये कागज म दस्तखत करे बर परही कि आप मोला अपन आत्मा ल सौंपत हव।’’

’’महामहिम,’’ फ्योदोर ह बिनती करिस, ’’जब आप मन मोला एक जोड़ी पनही बनाय के आदेस देव तब मंय हर तो आपमन ले कोनो पेसगी नइ मांगे रेहेंव। कोनो घला आदेस पहिली देथे अउ चुकारा माल मिले के बाद करथे।’’

’’हाँ, हाँ, बहुत अच्छा।’’ गिराहिक हर उत्तर दिस।

उदानी हर अचानक भभक गिस अउ चमकदार लौ निकले लगिस। गुलाबी रंग के गाढ़ा धुँगिया निकलिस अउ गंधक अउ जलत पंख के गंध आय लगिस।

धुँगिया कम होय के बाद फ्योदोर हर अपन आँखींमन ल रमंज के देखिस कि अब न तो वोहर जूतासाज रहि गिस हे अउ न तो फ्योदोर, बल्कि कोनो दूसर आदमी बन गे हे जउन मस्त कमरकोट पहिरे हे, चैन घड़ी रखे हे, नवा पाजामा पहिरे हे अउ एक ठन बड़े जबर टेबुल तीर आरामी कुरसी म बइठे हे। दू झन सेवकमन वोला छप्पन भोग परोसत हें, अउ परोस के बिनती करत हें, ’’महामहिम, भोजन करे के किरपा करव, आप ल अच्छा लगही।’’

का दौलत रिहिस! सेवकमन वोला भुँजाय मटन अउ खीरा परोसिन, अउ तब भुँजाय हंस लाइन, अउ थोरिकेच पीछू घोड़मुरई के चटनी के संग सूअर के उबले मांस लाइन। ये सब बहुत राजसाही ढंग ले गरिमा अउ सम्मानजनक ढंग ले होइस। फ्योदोर ह खावत जाय अउ गिलास भर-भर के कीमती वोदका पीयत जाय जइसे कि कोनो जनरल, नइ ते कोनो जमीदारमन करथें। अूअर के मांस के बाद वोला उबले अनाज देय गिस, फेर गोस्तचर्बी के संग आमलेट अउ फेर तलल कलेजी। फ्योदोर ह मजा ले ले के खाइस अउ खाके बेहद खुस होइस। अउर का? गोंदली संग पाई अउ क्वास के संग सलजम घला वोला परोसे गिस।

खाय के बाद वोहर सोचिस, ’’अतका खाय के बावजूद अमीर मनखेमन के पेट फूटे काबर नहीं?’’

आखिर म बड़ेजन बरतन म वोला मदरस देय गिस।

रात के भोजन के बाद नीला चस्मा पहिरके सैतान ह परगट होइस अउ सिर नवा के वोला पूछिस, ’’खाना हर पसंद आइस, फ्योदोर निलोव?’’

पन फ्योदोर हर कोनो जवाब नइ दिस, जेवन करे के बाद वोला असमड़ लगत रहय। वोकर मन हर बदला के भावना ले भर गे रिहिस जेकर कारण वोला भयानक गुस्सा आवत रहय। वोहर अपन पनहीमन कोती देखिस अउ पूछिस, ’’मंयहर कभू साढ़े सात रूबल से कम के पनही नइ पहिरंव, ये पनहीमन ल कोन हर बनाय हे?’’

’’कुज्मा लिबोडकिन हर,’’ सेवकमन जवाब दिन।

’’वो मूरख ल अभी बलाव।’’

वारसा के कुज्मा लिबोडकिन ल तुरंत बलाय गिस। वोहर आके दुवारी मेर बहुत सम्मानजनक ढंग ले खड़े हो गिस अउ पूछिस, ’’महोदय! मोर खातिर का आदेस हे?’’

’’जुबान संभाल के बात कर,’’ फ्योदोर हर धमकाइस अउ अपन गोड़मन ल पटकिस, ’’मोर संग हुज्जत करे के कोसिस झनकर, अपन जघा ल झन भूल, उल्टाखोपड़ी, तंय मोची हरस। का तोला पता नइ हे कि पनही कइसे बनाय जाथे? मार-मार के तोर बदसूरत चेहरा के चटनी बना देहूँ! इहाँ तंय काबर आय हस?’’

’’पइसा खातिर।’’

’’पइसा खातिर? मोर आगू से भग जा, सनीचर के दिन आबे। अरे, येला एक तमाचा लगा तो।’’

पन वोला तुरते सुरता आ गिस कि वोकर खुद के जीवन हर का हे अउ गिराहिकमन वोकर संग कइसे बेवहार करथें। वोकर मन हर भारी हो गिस। अपन धियान ल दूसर कोती करे बर वोहर अपन खीसा ले एक ठन बटुआ निकाल लिस अउ पइसा गिने लगिस। बटुआ हर रकम ले भरे रहय, पन फ्योदोर ल तो वोकरो ले जादा के इच्छा रिहिस। नीला चस्मा पहिरे सैतान हर गिलोली करत दुसरा बटुआ लान के दिस। पन वोला तो वोकरो ले जादा होना। अउ जादा, अउ जादा। वोहर रकम ल गिनिस अउ उदास हो गिस।

सांझकुन सैतान हर वोकर सामने लाल पोसाक म सजेघजे एक सुंदर जवान महिला ल लाइस अउ किहिस, कि ये हर आपके नवा पत्नी हरे।

वोहर सांझ ल अपन पत्नी संग चुमाचाटी अउ अदरक के मीठ रोटी खाय म बिताइस। रातकुन वोहर पंख के बनल सुंदर मुलायम गद्दावाले बिस्तर म सुतिस पन वोला नींद नइ आइस अउ एती ले वोती कलथी मारे लगिस। वोला लगिस कि वोहर बेहोस हो गे हे।

’’हमर कना अब अपार धन हे।’’ वोहर अपन घरवाली ल किहिस, ’’हमला भले ढंग ले देख लेना चाही कि बाहिर कोनो चोर तो नइ खड़े हे। अच्छा होही कि तंय हर मोमबत्ती धर के जा अउ देख के आ।’’

वोला सरीरात नींद नइ आइस, तिजोरी के रखवारी म रात हर बीत गिस।

बिहिनिया वोहर सुबह के प्रार्थना करे बर गिरिजा घर गिस। गिरिजा घर म वोहर देखिस कि इहाँ अमीर-गरीब, सब के एक समान सम्मान हे। फ्योदोर हर जब गरीब रिहिस तब अइसन प्रार्थना करय, ’’हे ईश्वर! मोला छिमा कर, मंय हर पापी हंव।’’ अब अमीर होय के बाद घला वोहर इहिच बात ल कहही। तब अमीर अउ गरीब म का फरक हे? अउ मौत के बाद धनवान फ्योदोर ह सोना अउ हीरा के कबर म दफन नइ होय, इही करिया रंग के धरती म दफन होही, जिहाँ गरीब अउ मोचीमन घला दफन होथें। 

फ्योदोर अउ मोची दुनों, एके आगी म लेसाहीं। फ्योदोर ल गुस्सा आय लगिस, वोहर अपन रात के भोजन से सबके तुलना करे लगिस, अउ प्रार्थना करे के बजाय वोहर मनेमन तिजोरी, धन अउ चोरमन के बारे म सोचे लगिस। वोहर अपन बदले आचरन अउ बरबाद आत्मा के बारे म सोचे लगिस।

सोचत-सोचत वोहर पगला गिस अउ फौरन गिरजा घर ले निकल गिस। ये सब दुखदायी बिचार ले छुटकारा पाय खातिर, जइसन कि वोकर आदत रिहिस, जोर जोर से गाना गाय लगिस। फौरन एक झन पुलिसवाले हर दंउड़ के आइस अउ वोकर टोपी के टीप ल छू के किहिस, ’’महोदय, एक सज्जन आदमी ल अइसन ढंग ले सड़क म चिल्ला-चिल्ला के गाना सोभा नइ देवय। आप कोनो मोची नो हव।’’

फ्योदोर हर रूँधना म निहर के खड़ा होके सोचे लगिस कि अपन मन बहलाव बर वोहर का करे? ’’महोदय,’’ एक झन कुली हर आके चिल्लाइस, ’’रूँधना म अइसन निहर के झन खड़ा होवव, आपके सुंदर फर के कोट ह गंदा हो जाही।’’

फ्योदोर हर एक दुकान ल चल दिस अउ एकठन बहुत बढ़िया बाजा खरीद लिस अउ सड़क म आके वोला बजाय लगिस। सब आदमी वोकर डहर देख के हाँसे लगिन।एक झन कोचवान हर वोला ताना मारत किहिस, ’’देखव भला, अब तो सज्जन मनखेमन घला मोचीमन सरीख ......... ।’’

’’सभ्य मनखे मन ल गली-सड़क म अइसन उटपुटांग हरकत करना सोभा नइ देवय,’’ एक झन पुलिसवाले हर आके किहिस, ’’उचित होही कि आप कोनो मधुसाला म चल देवव।’’

भिखारीमन फ्योदोर ल चारों मुड़ा ले घेर लिन अउ केहे लगिन, ’’महासयजी, हमला तिनचकिया गाड़ी दे दव, ईश्वर आपके भला करही।’’

पहिली, जब वोहर जूतासाज रिहिस हे, भिखारीमन वोला कोनो भाव नइ देवंय, अउ अब, वोला छोंड़य नहीं।

अउ वोती घर म, वोकर नवा घरवाली, वो महिला हर, वोकर अगोरा करत बइठे रहय। वोहर हरियर रंग के बलाउज आ लाल रंग के लहँगा पहिरे रहय।

वोहर सोचिस, येहर मोर खातिर अतका चिंतित काबर हे। अउ वोकर पीठ म चपत लगाय खातिर वोहर अपन हाथ ल उठाइस, पन वोकर घरवाली हर फुनफुनवत किहिस, ’’असभ्य, अज्ञानी आदमी, आपला अतका घला पता नइ हे कि एक सभ्य महिला संग कइसन बेवहार करना चाही? यदि तंयहर मोला प्यार करथस तब मोर हाथ ल चूमना चाही। मोला अइसन मारहू तब मोला सहन नइ होही।’’

’’अइसन जीवन घला का जीना!’’ फ्योदोर हर सोचिस,  ’’अइसन आदमीमन के जीवन हर घला का जीवन हरे! आप ल गाना नइ गाना चाही, आप बाजा नइ बजा सकव, आप कोनो महिला के संग हँसी मजाक नइ कर सकव ..... उफ।’’

वोहर अभी अपन घरवाली संग चहा पीये बर बइठे घला नइ रिहिस अउ वो नीला चस्मावाले सैतान हर परगट हो गिस, किहिस, ’’आ जा फ्योदोर निलोव, अब मंय हर मोला जउन करना रिहिस, करके देखा देंव। अब मोर कागज म दस्तखत करव अउ मोर संग आवव।’’

अउ सैतान हर फ्योदोर ला खींच के सीधा नरक म लेग गिस अउ खुद अंतरधान हो गिस। चारों डहर ले सैतान मनहर चिल्लाय लगिन, ’’मूरख, उल्टा खोपड़ी, गघा।’’

नरक म मोम के भयानक डरावना गंध बगरे रहय उअ उहाँ साँस लेना तको मुस्किल होवत रहय। 

अउ अचानक सब कुछ गायब हो गिस।

फ्योदोर हर अपन आँखींमन ल उघारिस अउ टेबुल म रखाय पनहीमन ल अउ टीपा के चिमनी ल देखिस। 

चिमनी के काँच हर घुँगिया के मारे करिया गे रिहिस। चिमनी के बाती ले बेहद मद्धिम अंजोर अउ बेहद बदबूदार धुँगिया आवत रहय। टेबुल के नजीक म नीला चस्मा पहिरे गिराहिक हर खड़े हो के गुस्सा म चिल्लवात रहय,  ’’मूरख, उल्टा खोपड़ी, गघा। बदमास, आज मंय हर तोर मजा बताहूँ। आडर लेय पंदरही होगे अउ आज ले मोर पनहीमन ल बनाय नइ हस। तोर हिसाब से मोर पनही खातिर का मंय हर रोज दसों चक्कर लगावँव? नीच, जंगली।’’

फ्योदोर हर अपन मुड़ी ल डोलाइस अउ पनही मन ल तइयार करे लगिस। तब तक गिराहिक हर वोला गारीगुफ्तार करत अउ धमकावत खड़ेच रिहिस। सुनत-सुनत जब थक गिस तब फ्योदोर हर वोला प्यार से पूछिस, ’’आप का बेवसाय करथव महोदय जी।’’

’’मंय हर बंगाल के आतिसबाजी के काम करथंव। मंयहर आतिसबाजी के मिस्त्री हरंव।’’ अउ वोहर बिहिनिया के प्रार्थना गाय के सुरू कर दिस। फ्योदोर हर वोला वोकर पनहीमन ल दिस अउ पइसा लेके गिरिजाघर कोती चल दिस।

भालू के खालवाले कालीन लगे गाड़ी अउ स्लेजमन सड़क म येती-वोती चलत रहंय। वैपारी, महिला अउ अधिकारी, सबमन गरीब जनता संग संघरा फुटपाथ म चलत रहंय ......... पन फ्योदोर ल न तो उंकर मन से ईरखा होइस अउ न उंकर ठाटबाट ल देख के कोनो जलन होइस। अब वोला लगे लगिस कि दुनिया म अमीर होय कि गरीब, सब बराबर दुखी हें। कोनो अपन घोड़ागाड़ी म मगन हे तब कोनो जोर-जोर से गाना गाय म अउ कोनो अपन बाजा बजाय म मगन हे। पन एक बात सब बर समान हे, सब ल एके समान कबर म दफन होना हे। अउ येकर खातिर अपन जीवन ल, आपन आत्मा के छोटे ले छोटे अंस ल घला सैतान के हवाले करना उचित नइ हे।
000kuber000

मंगलवार, 14 मई 2019

आलेख

मेरा अतिम अध्यापन

(सेवा निवृति के अवसर पर दिया गया वक्तवय)

मित्रो! कबीर की एक बहुप्रचलित साखी है जिसे हम बचपन से पढ़ते-सुनते आ रहे हैं -
’’निंदक नियरे राखिए, आंगन कुटी छवाय। 
बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय।।’’

आप सभी ने इस साखी के अर्थ और इसके निहितार्थ पर चिंतन किया होगा। आपकी निष्पत्ति क्या है, आप ही बेहतर बता पायेंगे परंतु मेरा निष्कर्ष कुछ इस प्रकार है -  हर मनुष्य के अंदर अच्छाइयाँ और बुराइयाँ दोनों होती हैं। परंतु मानव स्वभावगत कारणों से हमें हमारी बुराइयाँ दिखाई नहीं देतीं। निंदक अपने स्वभाव की वजह से अनायास हमारी कमजोरियों को हमारे सामने प्रस्तुत कर देता है। वह हमें अपनी बुराइयों के परिष्कार का अवसर प्रदान करता है और अप्रत्यक्ष रूप से हमारे स्वभाव को निर्मलता प्रदान करता है।

पीठ पीछे हम किसी की जी भरकर बुराई कर सकते हैं परंतु यदि वह सामने उपस्थित हो तो हम केवल उसकी प्रशंसा ही करेंगे। मित्रमंडलियों में सामान्य चर्चा के दौरान यही देखने-सुनने को मिलता है। आमतौर पर दो अवसरों पर खुलेदिल से प्रशस्तिकथन का दौर चलता है - पहला, विदाई के लिए आयोजित कार्यक्रमों में और दूसरा, शवयात्रा के समय। मित्रमंडलियों में सामान्य चर्चा के दौरान हो या किसी की बिदाई का अवसर हो, केवल प्रशस्तिकथन ही नहीं होना चाहिए। ऐसे अवसरों पर प्रशस्तिकथन के साथ संबंधित की व्यावहारिक दुर्बलताओं की ओर, उसकी कमजोरियों और बुराइयों की ओर भी इशारा होना चाहिए। सच्चे मित्र की पहचान करने के लिए इसे एक पैमाने के रूप में स्वीकार किया गया है। प्रशस्ति कथन मृतकों की शवयात्रा की परंपरा है। शवयात्रा के समय मृतक की केवल अच्छाइयों का बखान करने की परंपरा है परंतु इसके इतर, अन्य अवसरों पर, मेरा विश्वास है कि आमने-सामने जिस व्यक्ति की आप प्रशंसा कर रहे होते हैं, जाहिरतौर पर वह जीवित ही होता है। अपनी प्रशंसा और आलोचना, दोनों को समान भाव से स्वीकार करनेवाला व्यक्ति एक सजग और चेतना संपन्न व्यक्ति होता है। केवल प्रशंसा का अभिलाषी व्यक्ति शव के समान होता है। 

मित्रो, बिदाई की इस घड़ी में बोलने के लिए बहुत सारी बातें हैं, परंतु दो कारणों से बोलने का औचित्य मैं समझ नहीं पा रहा हूँ -
1. अधिकांश बातें पूर्व में कही जा चुकी हैं और पुनरावृत्ति उचित नहीं है। पुनरावृत्ति से ऊब पैदा होती है। आप सब विद्वान हैं। आपके लिए मेरे पास बोलने के लिए नया कुछ भी नहीं है। विद्वानों की मंडली में मौन अधिक मुखर होना चाहिए। और,
2. बोलना एक कला है जो मुझमें नहीं है। और यही वजह है कि अनेक अवसरों पर मेरी बातों से आपका अपमान हुआ होगा। आपको दुख वहुँची होगी। मैं नहीं चाहता कि आज भी ऐसा कुछ हो। आदमी को व्यावहारिक भी होना चाहिए जबकि मैं नितांत अव्यावहारिक व्यक्ति हूँ।

फिर भी कुछ बातें अपने बारे में मैं जरूर कहना चाहूँगा महज स्पष्टीकरण के रूप में। इसे आप मेरी आत्म प्रशंसा भी कह सकते हैं।

विद्यालय और महाविद्यालय के मेरे सभी सहपाठी जो शासकीय सेवा में गये, उनमें शिक्षक कोई नहीं बना। मैं भी शिक्षक नहीं बनना चाहता था। शिक्षक बनना मेरी विवशता थी। अभी भी बहुत सारे शिक्षक होंगे जो किसी न किसी विवशता के चलते शिक्षक बन गये हैं। मजबूरी में बने शिक्षकों से अच्छे शिक्षण की उम्मीद करना मूर्खता है। इसीलिए मैं कामना करता हूँ कि मेरे जैसा कोई व्यक्ति शिक्षक न बन सके। शिक्षक बननेवाला हर व्यक्ति शतप्रतिशत शिक्षकीय मानसिकता के साथ ही शिक्षा के इस पवित्र क्षेत्र में आये। परंतु हमारे देश में शिक्षक चयन की ऐसी किसी पद्धति का सर्वथा अभाव है। हमारे पास शिक्षक प्रशिक्षण की ऐसी कोई विधि, प्रणाली या प्रक्रिया नहीं है जिससे गुजरकर हर प्रशिक्षार्थी का एक समर्पित शिक्षक के रूप में कायान्तरण हो सके। किसी मजबूरी के कारण बने शिक्षकों की मानसिकता को बदल कर उन्हें एक समर्पित शिक्षक के रूप में विकसित कर सकनेवाली शिक्षक प्रशिक्षण की कोई पद्धति हमारे पास नहीं है। दूसरी ओर देखें, दुनिया में अनेक देश ऐसे हैं, जहाँ पाँच से सात वर्षों की कठिन प्रशिक्षण के बाद, और एक समर्पित शिक्षक के रूप में कायांतरण होने के बाद ही किसी प्रशिक्षु को शालाओं में भेजा जाता है। 

मित्रो! 2015 में ग्रीष्मावकाश के दौरान रावतपुरा सरकार शिक्षण संस्थान, लिमोरा, रायपुर में शिक्षको के लिए आयोजि 10 दिवसीय प्रशिक्षण में मुझे भाग लेने का अवसर मिला था। वहाँ पर राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद् के विद्वानों, शिक्षाशास्त्रियों, अजीम प्रेमजी फाऊण्डेशन के प्रशिक्षकों तथा राज्य भर से पहुँचे प्राचार्यों और व्याख्याताओं के समक्ष मैंने शिक्षक प्रशिक्षण से संबंधित एक सुझाव प्रस्तुत किया था जो इस प्रकार है - हमारे विद्याालयों में इस प्रकार की सुविधा और व्यवस्था है कि विद्यार्थी अपनी-अपनी इच्छाओं और रूचियों के अनुसार गणित, जीवविज्ञान, कृषि विज्ञान, वाणिज्य आदि विषयों का चयन करते हैं और तद्अनुसार वे शिक्षा प्राप्त करते हैं। 12 वीं उत्तीर्ण करने के बाद विशेषज्ञ डाॅक्टर या इंजीनियर बनने के लिए उन्हें संबंधित संस्थानों में लगभग छ साल कठिन परिश्रम करना होता है। उसके बाद ही वह डाॅक्टर अथवा इंजीनियर बन पाता है। परंतु इसे विडंबना ही कहा जाना चाहिए कि शिक्षक बनने के लिए हमारे यहाँ या तो किसी प्रकार के प्रशिक्षण की आवश्यकता ही नहीं है अथवा एक या दो साल के प्रशिक्षण की औपचारिकता निभाकर ही कोई भी व्यक्ति शिक्षक बन सकता है। शिक्षा के क्षेत्र में इससे बड़ा मजाक और कुछ नहीं हो सकता। डाॅक्टर या इंजीनियर बनाने की पद्धति की तरह ही शिक्षक बनाने की पद्धति हमारे यहाँ क्यों नहीं है? शिक्षक बनने की कामना करनेवाले विद्यार्थियों को कक्षा 10 के बाद ही प्रशिक्षण की विशेष प्रक्रिया के तहत लाया जाय और सात या आठ सालों के बाद वह किसी डाॅक्टर या इंजीनियर की भांति पूर्ण शिक्षक के रूप तैयार होकर विद्यानयों में नियुक्त हों। 

क्या शिक्षण कार्य डाॅक्टर या इंजीनियर के काम से गया बीता काम है? स्मरण हो, "विद्वानों ने कहा है - एक गलत इंजीनियर एक भवन को और एक गलत डाॅक्टर एक जीवन को बर्बाद करता है, परंतु एक गलत शिक्षक एक समूची पीढ़ी को नष्ट कर देता है।" 

विद्वानों के इस कथन के निहितार्थ को मैंने समझने का प्रयास किया। यह निर्विवाद सत्य है कि बच्चे भविष्य के राष्ट्रनिर्माता हैं और एक विकसित, सुरक्षित और सुदृढ़ राष्ट्र निर्माण के लिए उन्हें गढ़ने की जिम्मेदारी शिक्षक की है। समर्पित शिक्षक के बिना यह कैसे संभव होगा? मैंने स्वयं को बदलने का प्रयास किया। और इस प्रयास में मैं जब तक तथ्यों को और शिक्षकीय जीवन की सच्चाई को कुछ-कुछ समझ पाता, स्वयं को एक समर्पित शिक्षक के रूप में कायांतरित कर पाता, इस द्वंद्व में मेरी आधी सेवा अवधि समाप्त हो चुकी थी। मैंने स्वयं को एक अच्छा शिक्षक कभी नहीं महसूस किया, मजबूरी के चलते शिक्षक बननेवाला व्यक्ति एक अच्छा शिक्षक कैसे हो सकता है। और अपने कार्यकाल के अंतिम वर्षों में जब मैंने  स्वयं को कुछ बेहतर शिक्षक के रूप में महसूस करने लगा तब तक काफी पानी बह चुका था। इस बात के लिए मैं अपने आप को जीवन भर माफ नहीं कर पाऊँगा।

और फिर तो, बाद में, शिक्षकीय कार्य को कभी भी मैंने पेशे के रूप में या व्यवसाय के रूप में नहीं लिया। मेरे लिए शिक्षण व्यवसाय नहीं, धर्म है। व्यवसाय का अर्थ है - खरीद-फरोख्त और लाभार्जन। खरीदी-बिक्री और धनार्जन। शिक्षा धन अर्जन का नहीं ज्ञान अर्जन का क्षेत्र है। शिक्षा का आधार ज्ञान है और ज्ञान खरीदने-बेचने की वस्तु नहीं, यह तो केवल बाँटने की चीज है। ज्ञान बाँटने से कम नहीं होता, बढ़ता ही है। परंतु बाँटने के लिए हमारे पास कुछ तो हो। बाँटने के लिए मेरे पास कुछ तो होना चाहिए। मेरे पास यदि बाँटने के लिए कुछ नहीं है तो मैं बाँटूगा क्या? शिक्षा का उद्देश्य है बच्चों को सिखाना। यदि मैंने कुछ सीखा नहीं है तो बच्चों को सिखाऊँगा क्या? इसके लिए मुझे कुछ अर्जित करना पड़ता है। इसके लिए मुझे तैयारी करनी पड़ती है। जिस दिन मैं तैयार होकर जाता हूँ उस दिन ही मैं बाँट पाता हूँ और बच्चों को कुछ सिखा पाता हूँ। उस दिन मुझे सचमुच आत्मिक आनंद की अनुभूति होती है क्योंकि तब मैंने अपना धर्म निभाया है। शिक्षण मेरा धर्म है, विद्यालय मेरा मंदिर और बच्चे मेरे लिए साक्षात ईश्वर हैं।

मित्रो! शिक्षण का अर्थ पढ़ाना नहीं, सिखाना है। हमें इस अवधारणा को ईमानदारी और सच्चे मन से स्वीकार करना होगा। बच्चे पढ़ने के लिए स्कूल नहीं आते हैं, वे सीखने के लिए आते हैं और आप वहाँ उन्हें पढ़ाने के लिए नहीं हैं, उन्हें सिखाने के लिए हैं। पढ़ाना और सिखाना, दो भिन्न और मौलिक बातें हैं। पढ़ाने के लिए किसी खास विधि की आवश्यकता नहीं है परंतु बिना किसी खास विधि के आप बच्चों को कुछ नहीं सिखा पायेंगे। सिखाने की विधियों का अनुसंधान आपको ही करना होगा। इसके लिए आपको प्रतिदिन, प्रति कालखंड और प्रतिक्षण सतत ’निरीक्षण और प्रयोग’ की प्र्रक्रिया से गुजरना होता है। हर विद्यार्थी स्वयं में विलक्षण होता है क्योंकि हरेक के पास कोई न कोई ऐसी प्रतिभा अवश्य होती है जो केवल उसी के पास होती है, अन्य किसी दूसरे के पास नहीं होती है। आपको उसके इस विशिष्ट प्रतिभा को पहचनना होगा क्योंकि इसके बिना उस बच्चे को सिखाने की न तो आप उस खास विधि का अनुसंधान कर पायेंगे, न ही उसे कुछ सिखा पायेंगेे और न ही उसके साथ आप न्याय कर पायेंगे। 

अपनी विलक्षण प्रतिभा और रचनात्मकता के साथ हर विद्यार्थी एक जिज्ञासु के रूप में आपके समक्ष बैठा है। आपका कर्तवय है कि आप उस विद्याार्थी के अंदर की उस विलक्षण प्रतिभा को पहचानें और उसे निखारने में उसकी सहायता करें। कक्षा में बच्चों को, उसे अपनी रचनात्मक कौशल का उपयोग करने का अवसर आपको देना होगा ताकि उसका उपयोग वह सीखने की प्रक्रिया में कर सके। आपके सामने सीखने के लिए बैठा हुआ बच्चा पत्थर की कोई प्रतिमा नहीं है, एक जीता-जागता इंसान है, जिसका हृदय मानवीय संवेदनाओं से और जिसका मस्तिष्क अनंत जिज्ञासाओं से भरा हुआ है। उसका अपना एक व्यक्तित्व है, उसके अंदर आत्मसम्मान, आत्मगौरव और आत्माभिव्यक्ति की भावना कूट-कूटकर भरी हुई है। उसकी संवेदनाओं, उसकी जिज्ञासाओं और उसकी रचनात्मकता का उपयोग उसे सिखाने की प्रक्रिया में आप कर सकें, ऐसा कौशल और ऐसी तकनीक आपके पास जरूर होनी चाहिए। आपको उसके आत्मगौरव और आत्मसम्मान की भावना को सुदृढ़ करने के लिए उसे महत्व और सम्मान देना चाहिए। बच्चे अपनी जिज्ञासाओं को शांत कर सके इसके लिए उन्हें कक्षा में प्रश्न करने का अवसर, प्रेरणा और प्रोत्साहन मिलना चाहिए। बच्चे अपने आप को अभिव्यक्त कर सकें इसके लिए उन्हें बोलने का अवसर दिया जाना चाहिए। बच्चों के रचनात्मक कौशल का उपयोग उनके सीखने की प्रक्रिया में हो इसके लिए जरूरी है कि कक्षा में आप उन्हें सक्रिय रखें और उन्हें सक्रिय रहने का अवसर निर्मित करें।

बच्चों के अंदर सीखने की अपार क्षमताएँ होती हैं जो उनके अंदर की रचनात्मक कौशल और जिज्ञासु प्रवृत्ति के कारण होता है। परिवार में माता-पिता आपने विकसित होते शिशु को मम्मी-पापा, भाई, बहन, चाचा, चाची, दादा जैसे गिनेचुने शब्द ही सिखाते हैं परंतु तीन साल की अवस्था तक पहुँचते-पहुँचते उस शिशु के द्वारा अर्जित शब्द भंडार की प्रचुरता और विभिनन विषयों और विभिन्न क्षेत्रों में उसके द्वारा अर्जित ज्ञान का भंडार हमें आश्चर्यचकित करता है। यह सब उसे किसने सिखाया? उसने कहाँ से सीखा? सीखा या अर्जित किया? अधिकांश चीजे बच्चे अपने अनुभव और अपनी रचनात्मक कौशल से ही सीखते हैं। इसके लिए उन्हें अधिकाधिक अवसर मिलना चाहिए। कक्षा में आप उसे अवसर प्रदान करें।

आप परमाणु की नाभिकीय विखण्डन की प्रक्रिया के बारे जानते हैं कि कैसे एक विखंडित परमाणु के द्वारा पैदा हुई ऊर्जा दूसरे परमाणुओं को विखंडित करता चला जाता है और पलभर में पूरा द्रव्य विखंडित होकर अपार ऊर्जा में परिवर्तित हो जाता है। बच्चों के ज्ञानार्जन और सीखने की प्रक्रिया नाभिकीय विखंडन की श्रृँखला की तरह ही होती है। आपके द्वारा बच्चों को दिया गया एक ज्ञान, आपके द्वारा सिखाया हुआ एक शब्द उसके अंदर ज्ञान और शब्द भंडार का विस्फोट करता चला जाता है।

यदि मेरा नाम कुबेर सिंह साहू न होकर केवल कुबेर ही होता, कुबेर नाथ या कुबेरकांत, या ऐसा ही कुछ दूसरा होता, तब भी आज मैं ऐसा ही होता जैसा कि अभी हूँ। परंतु यदि मैं शिक्षक नहीं होता तो जैसा मैं अभी हूँ वैसा मेरा होना संभव नहीं था। मित्रो! पुनर्जन्म में मेरा विश्वास नहीं है, परंतु वास्तव में ऐसा होता होगा तो, किसी विवशता के चलते शिक्षक बननेवाला यह कुबेर ईश्वर से प्रार्थना करता है उसका पुनर्जन्म एक शिक्षक के रूप में ही हो।

एक शिक्षक के रूप में आप विशिष्ट  व्यक्ति हैं और आपसे भी अधिक विशिष्ट हैं आपके विद्यार्थी, इस बात को आप महसूस करें। बच्चों को सिखाने के लिए आपका विशिष्ट होना, आपकी तैयारियों का विशिष्ट होना बेहद जरूरी है। सिखाने का आधार सिर्फ अनुशासन ही नहीं प्रेम भी होना चाहिए। आपके अंदर शिक्षा और छात्रों के प्रति जितना अधिक प्रेम और समर्पण का भाव होगा आप उतने ही अच्छे शिक्षक बन पायेंगे। किसी भी क्षेत्र में कामयाब होने के लिए पहली अनिवार्यता समर्पण का भाव और अपने काम के प्रति प्रेम का होना है। और प्रेम के विषय में  कबीर ने कहा है -
’’प्रेम न बारी ऊपजे प्रेम न हाट बिकाय। 
राजा परजा जिस रुचे, सीस देय लेइ जाय।।’’
धन्यवाद।

रविवार, 12 मई 2019

अनुवाद

एक महिला के कहानी - एंटोन चेखव 

('अ लेडीज स्टोरी' के छत्तीसगढ़ी अनुवाद - कुबेर)

नौ साल पहिली के बात हरे, सहायक वकील  प्योत्र सर्गेइच अउ मंय अपन-अपन घोड़ा म सवार हो के चिट्ठी लाय बर स्टेसन कोती जावत रेहेन। मौसम अहुत मजेदार रिहिस। पन पता नहीं कइसे, अचानक बादर गरजे के भयंकर आवाज आय लगिस, अउ हमन एक भयानक तूफानी बादल ल अपन कोती आवत देखेन। तूफान हर आके हमन ल घेर लिस।

दूसर कोती हमर घर अउ गिरिजा घर के चबूतरा अउ पिल्हरमन ह चांदी के समान सफेद चमकत दिखिस। बारिस अउ करा के गंध आय लगिस। मोर संगी हर बहुत ज्ञानी निकलिस अउ अइसन डरावना समय म घला हँस-हँस के मूर्खतापूर्ण बकवास करे लगिस। किहिस, ’’कितना अच्छा होतिस कि काई रचे अउ घुघुवा मन के बसेरावाले पुराना जमाना के कोई बहुत आलीसान मीनारवाले किला हमर छुपे खातिर कहूँ ले प्रगट हो जातिस अउ अंत म हमर ऊपर गाज गिर जातिस ।’’

तब  फेर पानी के पहिली बौछार राई अउ जौ के खेत डहर ले आइस, भयानक बडोरा अइस अउ धुर्रा हर गोल-गोल घुमत अगास म उड़े लगिस। प्योत्र सर्गेइच हर हँसिस अउ अपन घोड़ा म सवार हो गिस।

बहुत सुंदर।’’ वो हर चिल्ला के किहिस, ’’बहुत मजेदार।’’

वोकर भव्यता से प्रभावित हो के महूँ हर हँसे लगेव, ये सोच के कि एक मिनट महू ल अपन शरीर ल भिगोय के मजा ले लेना चाही, हो सकथे हमर ऊपर सहिच म बिजली गिर जाय।

भयंकर तूफान म बेदम होके हमन अपन घोड़ा ल तेजी से दौड़ायेन अउ खुद ल असहाय पखेरू समान महसूस करेन। अइसन परिस्थिति हर ककरो घला मन म रोमांचित अउ हड़बड़ी करे बर काफी रिहिस। खैर! हमन अपन घर के आंगन म आखिर पहुँचिच गेन। बड़ोरा हर घला थम गिस पन पानी के बड़े-बड़े बूंद घर के छत अउ आंगन के घांस म गिरे लगिस। जान बची, लाखो पाय।

प्योत्र सर्गेइइच हर मोर अउ अपन, दुनों झन के घोड़ा के लगाम ल धर के घुड़सार म लेगिस। मंय हर दुवारी म खड़े होके बारिस के तिरछाा बूंद मन ल देखत वोकर अगोरा करे लगेंव। खेत के बनिस्बत घांस के खुसबू हा इहाँ जादा तेज, मीठ अउ रोमांचक लगिस। तूफान, बादली अउ बारिस के कारण धुँघलका छा गे रिहिस।

’’का मुसीबत रिहिस।’’ प्योत्र सर्गेइइच हर किहिस, जब भयानक तूफान अउ गरजना हर मोर कोती आइस तब तो मोला अइसे लगत रिहिस कि अगास ह चिरा के दू फांक हो जाही। येकर बारे म आपके का कहना हे?’’

 तेज घुड़सवारी के कारण वो हर अभी घला हफरत रिहिस अउ दुवारी म मोर बाजू म खड़े कहो के मोर डहर देखत रिहिस। मंय ह घला वोला मोला निहरत देख सकत रेहेंव।

’’नताल्या व्लादिमीरोवना’’, वोहर किहिस, ’’इहाँ अइसने पल भर खड़े हो के आप ल देखे खातिर मंय ह कुछ भी दे सकथंव। आज आप बहुत सुंदर लगत हव।’’

वोहर बिकट परसन्न हो के ललचहूँ नजर से मोर कोती देखत रिहिस। वोकर चेहरा ह पिंवरा गे रिहिस। वोकर दाढ़ी अउ मेछा म बारिस के बड़े-बड़े बूंदमन अटक गे रिहिन अउ चमकत रिहिन। अइसे लगत रिहिस कि वहूमन मोला ललचहूँ नजर से देखत हें।

’’मंय तोर से प्यार करथंव।’’ वो हर किहिस, ’’मंय हर तोर से प्यार करथंव। आप ल निहारे म मोला आनंद आवत हे। मोला पता हे कि आप मोर पत्नी नइ बन सकव। पन मोला कुछू नइ चाहिए, मंय कुछ नइ पूछंव, केवल अतका जानथंव कि मंय हर तोर से प्यार करथंव। आप कुछूच मत कहव, कोनो जवाब झन देवव, मोर बात ऊपर बिलकुल धियान झन देवव, अतका जान लेवव कि आप मोला बेहद प्रिय हव। बस, अइसने अपन डहर मोला देखन भर दव।’’

वोकर ये उमंग अउ उत्साह हर मोला नीक लगिस। मंय हर उत्साह ले भरे वोकर चेहरा ल देखेंव। वोकर आवज ल सुनेंव जउन हर बारिस के पानी के आवाज म घुलमिल गे रिहिस अउ बिना हिलेडुले खड़े रेहेंव, जानोमानों मोर सरीर म हिलेडुले के ताकत नइ हे। वोकर आँखी के चमक अउ वोकर मीठ-मीठ बात ल मंय हर आखिर तक सुनत रेहेंव।

’’आपके चुप रहना अउ कुछुच नइ कहना बड़ा सानदार हे’’ प्योत्र सर्गेइच हर किहिस, ’’बिलकुल अइसने चुपचाप खड़े रहव।’’

वोकर गोठ सुन के मोला बहुत अच्छा लगिस मंय हर खुस हो के हँसत-हँसत अउ बारिस म भींजत घर कोती दँउड़ेंव। वहू हर खुस हो के हँसत-हँसत मोर पिछलग्गा भागिस।

दुनों झन भींगत, हफरत, ललइका मन समान चहकत सिढ़िया चढ़ के खोली म पहुँचेन अउ पलंग म पटिया गेन। मोर बाप अउ मोर भाई अउन मन कभू मोला अइसन हँसत अउ अइसन खुस होवत देखे के आदी नइ रिहिन, चकित हो को मोर कोती देखे लगिन अउ वहू मन हाँसे लगिन।

तूफान अउ बदली खतम हा चुके रिहिस। गरजना घलो माड़ गे रिहिस, पन पानी के बूँद मन अभी घला प्योत्र सर्गेइच के दाढ़ी म चमकत रिहिस। पूरा सांझभर, रात के खाना खाय के बेरा होवत ले प्योत्र सर्गेइच हर गावत रिहिस, सीटी बजावत रिहिस अउ कुकुर संग खोली म उछलकूद करत खेलत रिहिस ताकि समोवार गरम करनेवाला नौकरमन ल वोहर परेसान कर सके। रात के खाना खाय के समय वो हर डट के खाइस, मूर्खतापूर्ण बात करत रिहिस। किहिस कि जउन हर ठंड के मौसम म ताजा-ताजा खीरा खाथे वोकर सांस म बसंत के खुसबू आथे।

सोय के बेरा मंय हर मोमबत्ती जलायेंव, खिड़कीमन ल पूरा खोल देंव। एक अनजान भाव हर आके मोर आत्मा ल घेर लिस। मोला सुरता आइस कि मंय हर सुतंत्र हंव, स्वस्थ हंव, मोर कना पद अउ  प्रतिस्ठा हे, धन-संपत्ति हे, मंय हर सबके चहेती हंव। अउ सबसे बड़े बात कि मोर कना पद अउ  प्रतिस्ठा हे, धन-संपत्ति हे। हे भगवान!ये सब हर कतका अच्छा हे। ..... फेर बगीचा डहर ले ओसवाले ठंडी हवा के झोंका अइस। मंयहर ये सोचे लगेंव कि का मंय हर प्योत्र सर्गेइच से प्यार करथंव कि नहीं। अउ सोचत-सोचत बिना कुछू निर्णय के मंय ह सुत गेंव।

अउ बिहिनिया जब मंय ह अपन बिस्तर म सूरज के प्रकाश के धब्बा अउ नीबू पेड़ के छँइहा देखेव, कल के सारा घटना हर मोर दिमाग म उभरे लगिस। जीवन हर मोला बड़ा समृद्ध अउ नाना तरह के रंग से भरे हुए जान परिस। जल्दी-जल्दी कपड़ा बदल के मंय हर टहले खातिर बगीचा कोती चल देंव।
0

अउ वोकर बाद का होइस?  
कइसे - कुछ नहीं। जब हम जड़काला म सहर म रहत रेहेन प्योत्र सर्गेइच हर बीच-बीच म हमला देखे खातिर आते रहय। गाँव म रहे के मजा गाँवेच म आथे पन गरमी के मौसम म। सहर म, वहू हर जड़काला म वोकर माजा खतम हो जाथे। सहर म जब आप वोकर प्याला म चाय डालथव तब अइसे लगथे कि वोहर दूसर के कोट ल पहिन के बइठे हे। चाय के प्याला गजब देर तक हलावत वो हर कभू प्रेम के बात घला कर लेथे पन  गाँव के आनंद इहाँ कहाँ। 

इहाँ, सहर म हम  दूनों झन वो दीवाल के बारे म जादा सोचथन जउन ह हम दूनों के बीच म खड़े हे। मोर कना पद हे, धन हे अउ वोहर गरीब हे। वोहर कोनो रईस नो हे, बल्कि एक भैरा बाप के बेटा अउ मामूली सहायक सरकारी वकील भर हे। हम दूनों झन - मय ह अपन जवानी के उमंग म अउ वोहर पता नहीं काबर - ये दीवाल ल बेहद ऊँचा अउ बेहद मजबूत मानथन। जब वोहर सहर म हमर संग रहिथे, खिसियानी हँसी हंँस के कुलीन समाज के घोर आलोचना करत रहिथे। अउ जब बैठक म संग म कोनो अनजान आदमी बइठे रहिथे तब वो हर बिलकुल खामोस रहिथे।

 दुनिया म अइसे कोनो दीवाल नइ हे जउन ल टोरे नइ जा सके। पन जहाँ तक मंय जानथव, ये मामला म हमर प्रेम कहानी के हीरो हर बेहद  डरपोक, बेहद सुस्त अउ बेहद निकम्मा हे। ये मामला म वोहर हार माने बर तइयार बइठे हे। वोकर ये डरपोकनापन हर मोला बेहद निरास कर देय हे। संघर्स करे के बजाय वोहर कुलीन वर्ग ल असिस्ट कहिके वोकर आलोचना म बिता दिस अउ आलोचना करत समय वोहर ये भूल जाथे कि सबले जादा असिस्ट विही हर लगथे।

मोला वोहर प्यार करिस, जीवन के खुसी हर मोर ले जादा दुरिहा नइ रिहिस, अउ मोला अइसे लगत रिहिस कि वो खुसी मोला हासिल होवत हे, मंय हर बेफिक्री अउ सहजता से जीवन जीये के सुरू कर देय रेहेंव। भला-बुरा सोचना छोड़ देय रेहेंव। .... जिंदगी मजा म बीतत रिहिस। लोग मोर प्यार अउ उज्ज्वल भविस्य के कामना करंय। बुलबुल के समान चहकत मोर दिन-रात हर गुजरे।  प्रकृति हर बेहद मीठा अउ सुगंधित लगय। पन ये सब अब कोनो धुधरा के समान बिना निसानी छोड़े गायब हो गे हें। ..... कहाँ हे वो सब?

मोर बाप गुजर चुके हे। मंय बड़े हो चुके हंव। वो सबो मन, जउन मोला दुलार करंय, मोला सहारा देवंय, मोर मन म उम्मीद जगांवय ........... बारिस कस पिता के दुलार, बादर के गड़गड़हट कस जीवन के उमंग, खुसी के बिचार, प्रेम के गोठ ...... सब नंदा गें अब तो उंकर सुरताभर बचे हे। अब तो मोला अपन अवइया जीवन म इहाँ ले उहाँ तक खाली मरूस्थल दिखथे जिहाँ न तो कोनो जीवन हे, न कोनो जीवित प्राणी, खाली सूना अगास हे अउ हे डरावना अंधकार ।

घंटी बजथे .....  प्योत्र सर्गेइच हो सकथे। जब जडकला के ठुठवा पेड़मन ल देख के सोचथंव, कि येमन गरमी म कतका हराभर रिहिन हे, अउ फुसफुसा के कथिव, ’’ओह! मयारुक प्योत्र सर्गेइच।’’

अउ जब मंय ह बसंत के अपन संगवारी मन ल देखथंव, जिंकर संग मंय ह दिन बिताय हंव, तब मोर हिरदे ह दुख से भर जाथे। तब भी मंय ह फुसफुसा के कथिव, ’’ओह! मयारुक प्योत्र सर्गेइच।’’

बहुत पहिलिच वोहर मोर पिता के दफ्तर ल सहर में स्थानांतरित कर लेय हे। अब वहू हर अपन उमर ल बड़े दिखथे। अपन प्यार ल ठुकरा के वोहर अब बकबक करना छोड़ देय हे। दफ्तर म काम करना अब वोला पसंद नइ हे। अब वोहर बीमर कस दिखथे। अब वोहर जीवन म कुछ हासिल करे के कोसिस करना बंद कर देय हे। जीवन से ऊब गे हे। उदास अउ चुपचाप, चूल्हा तीर बइठ के आगी के लपट अउ धुंगिया ल देखत रहिथे। 

समझ म नइ आवय, मंय वोला का कहंव? ’’तब बता, मंय ह तोर से का गाठियांव?

वो हर कथिे, ’’कुछुच नहीं।

अउ चुप्पी साध  लेथे। आगी के लपट के लाल चमक हर वोकर उदास चेहरा म नाचे लगथे।

जब मंय हर बीते दिन के बारे म सोचथंव, मोर खांद हर कांपे लगथे, मोर नरी ह ओरम जाथे अउ मंय हर धारोधार रोय लगथंव। मोला खुद ऊपर अउ ये आदमी ऊपर असहनीय दुख होय लगथे। बीते दिन, जउन हर उछाह अउ खुसी ले भरपूर रिहिस, अब हमला तियाग के चल देय हे। अब तों मंय हर अपन पद, धन अउ प्रतिस्ठा के बारे म घला नइ सोचंव।

जोर-जोर से सुसकइ ल बंदकरके, अउ अपन कनपटीमन ल दबावत मंय हर धिरलगहा केहंव, ’’हे भगवान, हे प्रभु, मोर जीपन हर अबिरथा हो गे।

वो हर वइसनेच सांत बइठे रिहिस, मोर से अतका घला नइ किहिस कि ’’मत रो’’। वो हर ये समझथे कि अब मोर रोय के दिन आ गे हे अउ मोला रोना चाही।

 मंय हर वोकर आँखींमन म झांक के देखेंव कि वोमा मोर खातिर दुख हाबे, अउ महू ल हे। एक डरपोक अउ असफल इनसान जउन हर मोर जिनगी ल  संवार नइ सकिस, के संग झंझट मोल ले के मंय हर खुद हार गे हंव।

जब मंय हर दुवारी म वोला देखेंव अनुमान लगायेंव कि विही हरे, कोट पहिरे कुछू सोचत खड़े रिहिस हे। बिना कुछू बोले वोहर दू घांव ले मोर हाथ ल चूमिस। बहुत देर तक मोर आँसू ले तरबतर चेहरा ल देखिस, तब मोला बिसवास होय लगिस कि वोहर फिर से विही तूफान ला, पानी के विही बौछार ल, वो दिन के मोर चेहरा के विही हँसी ल, लहुटा के ले आना चाहत हे। वो दिन मोर से कुछू केहे खातिर वोहर तरस गे रिहिस तब मोला अच्छा लगे रिहिस हे। पन आज वोकर चुप्पी हर मोर जानलेवा बन गे हे। आखिर वो हर कुछुच नइ किहिस, मुड़ी ल डोलाइस अउ मोर हाथ ल दबाभर दिस। हे ईश्वर! वोकर मदद कर।

वोला बाहिर निकलत देखके मंय हर अपन अध्ययन खोली डहर चल देंव। चिमनी के आगू चटाई म बइठ के देखे लगेंव। अंगारा हर राख से ढंका गे रिहिस।  ताप हर मद्धिम पड़ गे रिहिस। खिड़की डहर ले तेज बर्फीला  हवा के झोंका अइस अउ राखल चिमनी कोती ले उड़ा के ले गिस।

नौकरानी हर भीतर आइस, वोहर मोला नीद म सुते समझ के मोला नाम धर के पुकारिस।
000kuber000

शनिवार, 11 मई 2019

अनुवाद

ताबूतसाज - अंतोन चेखव

(राॅथचाइल्ड्स फेडल के छत्तीसगढ़ी अनुवाद - कुबेर)

एकठन छोटकुन सहर रिहिस, पन गाँव ले घला गे-बीते। येला तइहा जमाना के आदमीमन तकलीफ सहिके बसाय रिहिन होही, जउनमन अब मर-खप गे हें अउ अब इहाँ उंकर कोनों नामोंनिसान नइ हे। इहाँ के अस्पताल अउ जेल म ताबूत के जरूरत अउ मांग बहुत कम हे। व्यापार के लिहाज ले देखे जाय तब ये सहर ह बिलकुल बेकार हे। याकोव इवानोव हर कहूँ राजधानी नइ ते बड़का सहर म रहिके व्यापार करतिस ते वोकर खुद के आलीसान घर होतिस अउ लोगन मन वोला बड़ा ईज्जत के साथ याकोव मैटवेइच कहिके बलातिन। इहाँ, नानकुन सहर म, बात उल्टा हे, लोगन मन वोकर नाम रखे हें - ब्रांज। कोनो गरीब किसान के समान वोहर घोर गरीबी म अपन जिनगी बितावत आवत हे। एक ठन नानचुक खोलीवाले झोपड़ी म, जिहाँ एक तीर म चूल्हा, दूठन पलंग, ताबूत, बिरिंच अउ कतरो जरूरी समान मन कोचकिच ले गंजाय हे, विहिंचे वोहर अपन घरवाली मारफा संग रहय। 

याकोव हर बहुत सानदार अउ मजबूत ताबूत बनावय। आदमी मन बर वोला नापजोख के जरूरत नइ पड़य, यहाँ तक कि जेल खातिर बनाय तभो वोला नापजोख के जरूरत नइ पड़य, काबर कि भले वोहर सत्तर साल के हो गे रिहिस पन अभी घला वोहर हट्टाकट्टा रिहिस अउ वोकर ले जादा वजनी अउ जादा ऊँचपूर आदमी इहाँ अउ कोनो नइ रिहिन। पन मालिकमन खातिर अउ खानदानी लोगन खातिर वोहर लोहा के फुट स्केल म एकदम नापजोख के अउ बड़ हिसाब ले ताबूत बनावय। पन लइकामन के ताबूत बनाय म वोला हमेसा अखरे अउ बनाबे करय ते बिना नापजोख के, कामचलाऊ। 

पइसा झोंके के समय वोहर इही कहय, ’’मंय ह कबूल करथंव कि घटिया काम हर मोला बिलकुल पसंद नइ हे।’’
ताबूत के व्यवसाय के अलावा वोहर सारंगी बजाके घला थोर-बहुत कमा लेवय।
0

टीना मढ़े के काम करनेवाला मोइजी इल्यीच शेहक नाम के एक झन यहूदी हर 'यहूदी आर्केस्ट्रा' चलावय। वोहर कस्बाभर म आधा ले जादा रकम पेसगी लेय बिना ककरो बिहावबर म बजाय बर राजी नइ होवय वोकरे आर्केस्ट्रा म याकोव हर सारंगी बजाय के काम करे। बिसेस करके रूसी गाना शेक बजाय म याकोव के बराबरी कोनो नइ कर सकय। 

एक घांव आधा रूबल रोजी म आर्केस्ट्रा म वोला सारंगी बजायबर बुलाय गिस। जब वोहर बजाय के सुरू करिस तब वोकर मुँहू हर ललिया गे अउ चेहरा हर पसीना ले तरबतर हो गे। उहाँ लसुन के तेज गंध फैले रिहिस जेकर कारण वोला सांस लेय म तकलीफ होवत रिहिस। सारंगी हर चर्र-चर्र बजे लगिस। मंद स्वर म गानेवाला जउन हर वोकर कानेच तीर बइठे रिहिस, हफरे लग गिस। बांसुरी बजइया पतला-दुबला, लाल चुंदीवाले यहूदी, जेकर चेहरा म लाल अउ नीला रंग के नस के जाला सरीख बगरे रहय अउ जेकर नाम राॅथ्सचाइल्ड रिहिस, वोकर डेरी बाजू म बइठे रहय, अउ बजाय म घेरी-बेरी गड़बड़ी करत रहय। याकोव ल वोहर फुटे आँखी नइ सुहावय। राॅथ्सचाइल्ड हर करोड़पति केहे म चिढ़ जावय। एक तो बिना कारण के याकोव के मन म यहूदी मन खातिर, बिसेस करके करोडपति राॅथ्सचाइल्ड के नाम म घृणा अउ तिरस्कार के भाव भरे रिहिस, अउ ऊपर ले बजाय म गड़बड़ी, याकोव हर वो बाँसुरीवाले यहूदी संग झगड़े लगिस अउ एक घांव वोला हकन के मार घला दिस। 

राॅथ्सचाइल्ड हर गुस्सागे अउ खखुवा के वोकर डहर देखे लगिस, किहिस, ’’तोर कला के प्रति यदि मोर मन म स्म्मान नइ होतिस ते अभीेचे तोला उठा के खिड़की डहर ले फेंक देतेंव।’’ अउ वोहर रोये लगिस।

इही कारण से आर्केस्ट्रावाले मन याकोव ल बजायबर नइ बुलावंय। जब कोनो यहूदी उपस्थित नइ रहितिस अउ बहुत जरूरी होतिस तभे वोला मजबूरी म बलाय जातिस।
0

लगातार भारी नुकसान अउ पइसा के तंगी के कारण याकोव  के दिमाग हर कभू ठिकाना म नइ रहय अउ वोहर बेहद चिड़चिड़ा स्वभाव के हो गे रिहिस। जइसे कि रविवार के दिन अउ संत दिवस के दिन काम करना पाप समझे जाय। सोमवार के दिन ल असुभ माने जाय। ये तरीका ले सालभर म खाली दू सौ दिन काम के रिहिस अउ बाँकी दिन, चाहे भला लगे कि बुरा, नफा-नुकसान के बारे म सोचत हाथ हलावत बइठे रहव। 

यदि सहर म ककरो घर बिना गाना-बजाना के बिहाव होतिस या कि शेहक हर वोला बजाय बर नइ बलातसि तब वोकर अउ नुकसान होतिस। 

जेल अधीक्षक ल बीमार परे दू साल पूर गे हे अउ याकोव ल वोकर मरे के अगोरा हे, लेकिन वोहर बड़े डाक्टर मन से इलाज कराय बर राजधानी चल दिस अउ विहिंचे मर गिस। कम से कम दस रूबल के नुकसान। वो हर इहाँ मरतिस ते याकोव हर वोकर बर सुंदर अउ बहुत महंगा ताबूत बना के रखे रिहिस, अउ वोला सजाय रिहिस। ये नुकसान के बिचार कर-करके वोला नींद नइ आवय। वोहर वो ताबूत ल अपन पलंग तीर रख के बस सोचत रहय।

अउ अइसन तरीका ले नुकसान होय ले जब वोकर दिमाग म  तरह-तरह के मूर्खतापूर्ण बिचार आतिस अउ वोला नींद नइ आतिस तब वो हर अपन सारंगी ल अपन गोद म धर के बजाय लगतिस। रात के अंधियार म सारंगी के संगीत हर चारोंमुड़ा बगर जावय अ वोला बड़ा सांति मिलय।
0

बीते बरस के मई महीना के छै तारीख के बात हरे, वोकर घरवाली डोकरी, मारफा हर अचानक बीमार पर गिस। वोला सांस लेय म घोर तकलीफ होय लगिस। जइसे कि वोहर निहरे-निहरे रेंगय, खुदे निकाल के सोसनभर पानी पीइस तभो ले वोला कोनो फायदा नइ होइस। अतका बीमार होय के बावजूद वोहर बिहिनिया पानी लायबर चल दिस अउ चूल्हा घला जला डारिस।

सांझ होवत-होवत वो हर खटिया धरलिस। याकोव हर दिनभर अपन सारंगी ल बजावत बइठे रिहिस। जब अंधियार हो गिस, वोहर अपन वो किताब ल निकाल के देखे लगिस जउन म वोहर रोज के घाटा के हिसाब लिखय। देख के वोहर बेहद उदास हो गे। वोहर सालभर के नुकसान के हिसाब करे लगिस जउन हर एक हजार रूबल ले जादा निकलिस। 

वोहर बेहद परेसान हो गिस। वोला लगिस कि मोती के हार ह वोकर हाथ ले छूट के गिर गिस हे अउ मोती के दानामन हर छितरा गिस हे अउ वोकर गोड़ म रमजावात हे अउ वोहर मोती के गिरल दानामन ल उठावत हे अउ अइसने करत अउ पछतावत वोकर उमर हर पहा गिस हे। 

वोकर मुँहू हर ललिया गिस। चेहरा हर पसीना म तरबतर हो गिस। वोहर सोचिस कि अगर इही हजार रूबल ल वोहर बैंक म जमा कर देतिस ते कम से कम चालीस रूबल तो वोकर ब्याजे हर हो जातिस। मतलब चालीस रूबल के नुकसान अलग। सच बात तो ये हरे कि जिनगी म वोला नुकासानेच नुकसान होइस, नुकसान के अलावा अउ कुछू नइ होइस।

’’याकोव!’’ अचानक वोकर घरवाली हर वोला पुकारिस, ’’मंय ह मरत हंव।’’

वोहर जाके पत्नी ल गौर से देखिस। वोकर चेहरा हर बुखार के मारे गुलाबी हो गे रिहिस अउ असामान्य ढंग ले खुस अउ चमकदार दिखत रिहिस। याकोव, जउन हर हमेसा वोकर चेहरा ल डरे-सहमे, उदास, दुखी अउ मुरझाय हुए देखे के आदी रिहिस, अइसन देख के चकरित हो गिस। वोहर सोचिस कि डोकरी हर सचमुच मरत हे अउ वोहर ये बात म खुस होवत हे कि अब वोला ये दुखभरे जिनगी ले, ये झोपड़ी ले, ये ताबूत ले अउ ये याकोव ले छुटकारा मिलनेवाला हे। ...........डोकरी हर टकटकी बांधके छत कोती देखत रिहिस। वोकर चेहरा म प्रसन्नता के भाव रिहिस, मानो कि मौत ल वोहर अपन मुक्तिदाता के रूप म देख के वोकर संग गोठियावत होय।

पंगपंगाय के बेरा होगिस अउ खिड़की डहर ले बेर ह उवत दिखिस। डोकरी डहर देखके याकोव हर दुखी मन से सोचे लगिस कि हाय! जिनगी म एक घांव घला वोहर अपन पत्नी संग प्रेम से नइ गोठियाइस, वोकर सुख के बारे कभू नइ सोचिस, अउ जिनगी म एक घांव घला वोकर बर वोहर उरमाल तक नइ खरीदिस। वोकर संग बिहाव करके वोला जिनगी म एक दिन घला अराम करे बर नइ दिस। जिनगी भर वोकर ऊपर चिल्लाइस, अपन नुकसान होय के गुस्सा ल वोकर ऊपर उतारिस, भले कभू वोला वोहर मारिस नहीं पन हमेसा वोकर डहर मुटका ताने रहय अउ वोला भयभीत करके रखे रहय, जिनगी भर बिचारी हर भय अउ आतंक म जीवन बिताइस। वोहर वोला कभू चहा पीये बर नइ दिस, काबर कि येमा बहुत खरचा होथे, अउ बिचारी हर गरम पानी पी-पीके जिनगी गुजारिस।

अउ याकोव हर समझ गिस कि अब मरे के बेरा डोकरी के चेहरा म अतका संतोस, अतका खुुसी अउ अतका आनंद के भाव काबर हे अउ वोकर चेहरा म आज डर अउ आतंक के भाव काबर नइ हे।

बिहिनिया होवतसात याकोव हर परोसी घर ले घोड़ागाड़ी मांग के ले आइस अउ मारफा ल अस्पताल लेग गिस। उहाँ जादा मरीज नइ रिहिन अउ तीन घंटा ले जादा अगोरा करे बर नइ परिस। वोला ये जानके बड़ संतोस होइस कि मरीजमन ल डाक्टर हर नइ देखत हे काबर कि वोहर खुदे बीमार हे। वोकर जघा म मरीजमन ल वोकर सहायक मैक्जिम निकोलाइच हर देखत हे, जउन हर भले सराबी अउ गुस्सैल हे, फेर जेकर बारे म लोगन म मानता हे कि वोहर डाक्टर ले जादा जानथे अउ वोकर ले जादा अच्छा इलाज करथे।


’’भगवान करे, आपके दिन अच्छा गुजरे।’’ अपन घरवाली ल इलाजवाले खोली कोती लेगत-लेगत याकोव हर डाक्टर ल किहिस, ’’क्षमा करहू मैक्जिम निकोलाइच, हमन आप ल बहुत तंग करथन काबर कि हमन खुदे दुख अउ किलीफ धर के आय रहिथन। ये हरे आपके मरीज, मोर अद्र्धांगिनी, मोर जीवन संगिनी, जइसन कि केहे जाथे, कि इंकर बिना जीवन अधूरा होथे।’’

आँखी छटका के अउ अपन मेछा ल अइंठत डक्टर ह मरीज के जांच करे के सुरू करिस। डोकरी ह एक ठन स्टूल म बइठे रिहिस। वोकर मुँहू ह खुले रिहिस, कमर हर झुके रिहिस अउ पियास के मारे तलफथ कोनो चिरई कस दिखत रिहिस।

’’ओ..ह।’’ सहायक ह धीरे ले किहिस, ’’सर्दी-जुकाम अउ बुखार। सहर म मोतीझरा के प्रकोप हे। अच्छा हे, डोकरी हर अपन पूरा जीवन जी चुके हे। अभी येकर कतका उमर हे?’’

’’एक साल अउ बीतही तहाँले सत्तर साल के हो जाही मैक्जिम निकोलाइच।’’

’’अच्छा हे, डोकरी हर अपन जीवन जी लिस, अब तो बिदाई के समय आ गे हे।’’

’’आप बिलकुल ठीक कहत हव, मैक्जिम निकोलाइच, सही बात हे’’ विनम्र ढंग ले हँसके याकोव ह किहिस, ’’आपके कृपा अउ दया के खातिर आपके धन्यवाद। पन मोला अतका केहे के अनुमति देवव कि संसार म कीड़ा-मकोरा तको ल जीये के इच्छा होथे।’’

’’अगर ये बात हे तब’’ सहायक हर किहिस, ’’ये तो ये महिला के ऊपर निरभर हे कि वोहर जीही कि मरही, अच्छा! मोर सलाह हे कि येकर मुड़ी ल धीरे-धीरे चपकबे अउ ये पउडर ल दिन म दू घांव ले येला खवाबे। .... तो ठीक हे, नमस्कार।’’

वोकर हावभाव ले याकोव हर समझ गे कि मामला ह गंभीर हे। ये पावडर से कोई फायदा होनेवाला नइ हे। वोला समझ म आ गिस कि मारफा हर कल नइ ते परोन दिन तक नइ बचय। वो हर सहायक के कोहनी ल टहोका मारिस अउ धीरे से किहिस, ’’आप येला कप के उपचार देहू तब न मैक्सिम निकोलाइच।’’

’’मोर कना टाइम नइ हे। टाइम नइ हे, मोर मित्र। अपन डोकरी ल लेके जा। ईश्वर के नाम ले, अलविदा।’’

’’आप बहुत दयालू हव’’ याकोव हर किहिस, ’’वोकर पेट म खराबी हे तब ये पावडर या कोनो ड्राप ले का फायदा। वोहर ठंड के मारे कांपत हे, वोला खून के परीक्षण के जरूरत हे, मैक्सिम निकोलाइच।’’

पन तब तक सहायक के ध्यान हर दूसर मरीज कोती चल देय रिहिस। एक किसान महिला हर एक लड़का के संग खोली म आइस।

’’संग म जा, संग म जा, वो हर याकोव ल किहिस, ’’अब येकर ले कोई  फायदा नइ हे।  कहूँ  दूसर जघा ले जा अउ जोंक के उपचार करा। हम तोर खातिर ईश्वर ले प्राार्थना करत हन।’’ सहायक हर गुस्सा हो के चिल्लाइस, ’’तंय मोर विरोध म बोलथस। मूरख कहीं के।’’

याकोव ल घला गुस्सा आ गिस, वोकर मुँह हर ललिया गिस, पन वोहर बड़बड़ा के रहिगिस, कुछू नइ किहिस। वोहर मारफा ल अपन हाथ म उचा के झाोड़ागाड़ी म बइठारिस। अस्पताल के रवइया ल देख के वोहर किहिस, ’’ईश्वर हर कलाकार मन के इहाँ अच्छा बस्ती बसाय हे। कोनो ल काकरो डर नहीं। कप के उपचार अमीरमन खातिर हे, पन गरीबमन खातिर जोंक के उपचार तो हो सकत हे। राक्षस कहीके।’’

जब वोमन घर पहुँचिन अउ अपन झोपड़ी म अंदर गिन, मारफा ह चूल्हा तीर जा के दस मिनट तक खड़े रिहिस। वोला डर रिहिस कि कहूँ वो हर बिस्तर म ढलंग जाही ते याकोव हर फेर अपन नुकसान के रोना रो के वोला डाँटही अउ बखाने के सुरू कर दीही।

याकोव हर मारफा ल डरत-डरत देखिस अउ सोचे लगिस, काली संत जाॅन, देव पुरूष के दिवस हे, परोनदिन अद्भुत कर्मशील संत निकोलस के दिवस हे अउ वोकर एक दिन बाद सोमवार, अशुभ दिन, चार दिन ले काम बंद रही, अउ सबले जादा डर हे कि तब तक मारफा ह जिंदा रही कि नइ रही, तब अच्छा होही कि एकरबर आजे ताबूत बना लेना चाही। 

वोहर अपन लोहा के फुट स्केल ल धर के गिस अउ मरफा के सरीर के बारीकी ले नाप लिस। फेर मारफा ह सो गिस। याकोव हर वोला छोड़के ताबूत बनायबर भिड़ गिस।

जब ताबूत हर तैयार हो गिस तब वोहर अपन औजारमन ल संभाल के रख दिस। अपन हिसाबवाले किताब ल निकालिस अउ वोमा लिखिस, ’’मारफा इवानोव के ताबूत, दू रूबल चालीस कोपेक।’’

अउ आह भरके चुपचाप बइठ गिस। डोकरी ह दिनभर अचेत होके सुते रिहिस पन सांझ होवत समय, जब मुंधियार हो गिस वोहर अचानक डोकरा ल चिल्ला के बुलाइस। ’’तोला सुरता हे याकोव’’ वोकर डहर प्रसन्नमुद्रा म देख के डोकरी हर किहिस, ’’पचास बरस पहिली के बात के तोला सुरता हे, भगवान हर हमला सुदर चूंदी वाले बच्ची देय रिहिस? हम वोला गोदी म ले के नदिया तीर जाके सरपत के रूख तरी बइठ जावन अउ सुंदर अकन गीत गावन।’’ अउ दर्द से भरे हँसी हाँसत-हाँसत वो हर आगू किहिस, ’’वो बच्ची ह मर गिस।’’

याकोव हर सुरता करे के कोसिस करिस पन वोला न तो बच्ची के सुरता अइस अउ न सरपत रूख के। ’’ये हर खाली तोर कल्पना हरे।’’ वोहर किहिस।

तब तक पादरी ह पहुँच गिस। वोहर अंतिम समय के नेंग करिस अउ वोकर आत्मा के परमात्मा म विलीन होय के कामना करिस। मारफा हर बेहोसी म कुछ गीत गाय सही बड़बड़ाय के सुरू कर दिस अउ बिहाने के होत ले प्राण ल त्याग दिस।


परोसी बुजुर्ग महिलामन वोला नहवाइन अउ वोला नवा कपड़ा पहिराइन अउ तब वोला ताबूत म सुता दिन।

पंचक के प्रकोप ले बचे बर याकोव हर खुदे वोकर सरीर ऊपर पवित्र मंत्र के जाप करिस। कबर कोड़इयामन बर वोकर तीर कुछुच नइ रिहिस, जइसे कि वोमन तो वोकर हितैसी रिहिन।

चार झन किसानमन मिल के वोकर ताबूत ल उठाइन अउ वोला कब्रिस्तान तक पहुँचाइन, पइसा के खातिर नहीं बल्कि सम्मान भाव के कारण। ताबूत के पीछू-पीछू कतरो महिला, भिखारी, मलंग साधूमन के दल अउ वो सबमन, जउनमन डोकरी के जान-पहिचानवाले रिहिन हे, पवित्र भाव से वोकर शव यात्रा म सामिल होइन। ........ अइसन शव यात्रा ल देख के याकोव ल बड़ा आत्मिक आनंद होइस, कि अतका सुंदर, अउ अतका कीमती ताबूत हर मृतात्मा ल नसीब नइ होवय। मारफा ल अंतिम बिदाई देय खातिर वोहर वोकर ताबूत के स्पर्स करिस अउ सोचिस, ’’इही हर दुनिया के सबले पवित्र काम हरे।’’
0

पन अंतिम संस्कार करके लहुटत खानी याकोव ल भयंकर सदमा हर घेर लिस। वो हर अपनआप ल बीमार अनुभव करे लगिस, वोला सांस लेय म भयंकर तकलीफ होय लगिस, बुखार धरे कस लगे लगिस, गोड़मन म कमजोरी के अनुभव होय लगिस। वोला पीये के इच्छा सताय लगिस।

अउ फेर मारफा के संग बिताय दिन हर एक-एककरके वोकर आँखी म नाचे लगिस कि कइसे वोहर मारफा ल जिनगी म कभू सुख नइ दे पाइस, कभू झणभर वोकर संग प्रेम के गोठ नइ कर सकिस,। बावन बरिस वोमन एके झोपड़ी म खुरच-खुरच के बिताइन पर कोई तो अइसे पल नइ बीतिस जब वो हर मारफा के बारे म सोचिस होही। वोकर ऊपर वो हर कभू ध्यान नइ दिस जइसे कि वोहर आदमी नहीं बल्कि कोनो कुकुर बिलाई रिहिस होही। अउ मारफा, तभो ले बिचारी हर चूल्हा जलातिस, पानी लायबर जातिस, खाना पकातिस, लकड़ी चीरतिस, अउ अंत म एके बिस्तर म वोकर संग सुततिस, जब वो हर कोनो बिहाव घर म बाजा बजाके अउ लटलट ले पी के बेसुध हो के रात कुन लहुटतिस, मारफा हर वोकर सारंगी ल बड़ जतन ले खूँटी म टांगतिस, वोला बिस्तर म सुतातिस। ये सब काम वोहर जीवनभर बिना कोनो सिकायत के चुपचाप करिस अउ सहिस।
0

राॅथ्सचाइल्ड हर हाँसत-हँसत वोकर से मुलकात करे बर अइस अउ वोला झुक के सलम करिस। चाचा! मंय हर तुहिंच ल खोजत रेहेंव।’’ वोहर किहिस, ’’मोइजी इल्यीच शेहक ह आप ल सलाम केहे हे अउ वोकर इच्छा हे कि आप जाके वोकर संग मुलाकात करतेव।’’

याकोव के कुछू काम म मन नइ लगत रिहिस। वोकर मन होय कि वोहर जोर-जोर से रोय। ’’मोला तंय अकेल्ला छोड़ दे।’’ वो हर किहिस अउ रेंग दिस। 

’’आप अइसन कइसे कर सकथो।’’ राॅथ्सचाइल्ड हर कंझा के किहिस अउ वोकर आगू म आ के खड़ा होगिस, ’’मोइजी इल्यीच हर नाराज हो जाही। आप ल वोकर से एक घांव जरूर मिलना चाही।’’

यहूदी ल हफरत देखके याकोव के चेहरा हर तमतमा गिस। वोला पलक झपके अउ सांस लेय म तकलीफ होय लगिस। वोकर करिया रंग के धब्बावाले हरियर रंग के कोट ल देख के अउ वोला सभ्य अउ अनजान बने के नाटक करत देख के याकोव के मन म घृणा भर गिस।

’’अरे! लहसुनिया, तंय हर मोला परेसान काबर करत हस।’’ याकोव ह चिल्लाइस, ’’जिद्द झन कर।’’

यहूदी हर घला गुस्सागे। वो हर चिल्लाइस, ’’अहाँ, अतेक झन चिल्ला, नइ ते उठा के रूँधना के वो पार फेंक देहूँ।’’

’’दूर हो जा मोर नजर से।’’ याकोव हर वोला घूर के देखिस अउ वोकर डहर मुटका तान के झपटिस, ’’तुम जुटहा यहूदीमन बर कोन हर काम करही?’’

राॅथ्सचाइल्ड हर डर के मारे अधमरा हो के गिर गिस अउ मुड़ी कना अपन हाथमन ल हिलाय लगिस, फेर वोहर लकाधरा उठिस अउ जतका वोकर मरियल टांगमन म ताकत रिहिस, उछल-उछल के उलांडबाटी खावत भागे लगिस। याकोव हर वोकर मरियल रीढ़ के लचकई ल देखत रहिगिस। वोला भागत देखके पारा के लइकामन ल मजा आ गिस अउ सब झन ’’यहूदी, यहूदी’’ चिल्लावत वोकर पीछू-पीछू भागे लगिन। ये तमासा ल देख के मोहल्ला के कुकुरमन तको जुरिया गें अउ भूंकत-भूंकत वहूमन वोकर पीछू-पीछू भागे लगिन। कोई हर सीटी बजा के कुकुरमन ल लुहा दिस। कुकुरमन वोकर ऊपर झपट परिन। तब  एक दर्दनाक चीख सुनई परिस, कोनो कुकुर हर राॅथ्सचाइल्ड ल हबक दिस होही।
0

याकोव हर चरावन मैदान कोती घूमे बर निकलगिस अउ सहर के बाहिरे-बाहिर जतखत घूमे लगिस। मोहल्ला के लइकामन चिल्लाय लगिन, ’’ब्रांज इहाँ हे, ब्रांज इहाँ हे,।’’

वोहर नदी म आ गिस जिहाँ पनचिरई मन किंव-किंव नरियावत अउ बदखमन क्वेक-क्वेक नरियावत हवा के झोंका संग तउरत रिहिन। सूरज हर चढ़  के गरम हो गे रिहिस अउ पानी म वोकर छँइहा हर चमकत रिहिस। वोकर चमक म याकोव के आँखीमन चकमकाय लगिस। याकोव हर नदी के तीरे-तीरे चले लगिस। तभे वोहर एक झन गुलाबी गालवाले मोटल्ली महिला ल घठौंदा म नहावत देखिस, वोकर मन म विचार आइस, ’’हट, उदबिलाव कहीं के।’’

घटौदा के नजीके म लइकामन मांस के टुकड़ लगा-लगा के मछरी पकड़त रहंय। याकोव ल देख के वोमन जोर-जोर से चिलाइन, ’’ब्रांज, ब्रांज’’। अउ तब वोला दिखिस सरपत के एक ठन जुन्ना, झपाटादार, मोट्ठा पेड़उरावाले रूख, जेमा कँउवा मन खोंदरा बना डरे रिहिन .......... अउ अचानक याकोव के कल्पना म एक झन सुदर चूंदीवाले लइकी खड़े दिखिस। वोहर सोचिस, आखिरी समय म मारफा हर जउन सरपत पेड़ के अउ जउन लइकी के बारे म केहे रिहिस, कहीं ये हर विही तो नइ होही? पेड़ हर कतका बड़ हो गे हे अउ लइका घला हर कतेक बड़े हो गे हे।

याकोव हर पेड़ खाल्हे बइठ गिस अउ बीते समय के सुरता करे लगिस। वोहर नदी के दूसर किनारा डहर देखिस जिहाँ अभी पानी वाले घास के मैदान हे, पहिली उहाँ बहुत बड़े भोज के जंगल रिहिस हे। अउ ये डहर चटर्रा पहाड़ी रिहिस अउ वोकर वो पार बादर के अमरत ले देवदार के जंगल रिहिस। नदिया म बड़े-बड़े नाव चले। पर अब सब कुछ सफाचट हो गे हे। वो पार मोटियारी टुरी कस खाली एकठन भोज के पेड़ भर खड़े हे। नदी म बदख, पनचिरइ अउ कुलहंस कुछुच नइ रिहिस अउ अइसे नइ लगय कि कभू इहाँ बड़े-बड़े नाव चलत रिहिस होही। वोकर आँखी के आगू सफेद कुलहंस के झुंड दिखे लगिस। वोकर मन अउ कुलहंस के झुंडमन आपस मिल गिन। 

वोहर सोचे लगिस कि वोकर बीते चालीस-पचास साल हर नदी डहर आय बिना कइसे गुजर गिस। आइस भी होही ते ये सब चीज ल वोहर देखिस कइसे नहीं। अतका सुंदर नदी ल छोड़ के वोहर जिनगी भर खाली बनावटी जिनिस ले देखत अटके रहिगिस। सायदे कभू वोहर मछरी पकड़े के काम करिस होही जेला बेच के पइसा कमाय जाय सकत रिहिस अउ बैंक म जमा करे जा सकत रिहिस। नाव के बैपार कर सकत रिहिस, जउन हर ताबूत के धंधा से जादा फायदा के होतिस। वोहर बदख अउ कुलहंस पक्षी के सिकार करके अउ वोल मास्को तक भेजके पइसा कमा सकत रिहिस। जंगल के लकड़ी के बैपार कर सकत रिहिस, आखिर जंगल तो साफ होइच गिस। साल म कम से कम दस रूबल तो वोहर बचाइच सकत रिहिस। पन पूरा जिनगी ल वो हर नुकसान के धंधा म खपा दिस। बिना सुख पाय जिनगी पहा गिस। का ये हर वोकर किस्मत म लिखाय रिहिस? आदमी ह दुरभाग्य अउ नुकसान से बच के काबर जीवन नइ बिता पाय? 

जीवन भर वो हर अपन पत्नी ल का सुख दे सकिस। खाली डाटिस अउ धमकाइस। वो दिन वो यहूदी ल वोहर काबर धमकाइस जेकर ये परिणाम होइस कि बिचारा ल कुकुर ह चाब दिस। वोकर अपमान करे के वोला का अधिकार रिहिस?

 आदमी ह एक दूसर खातिर कबर इरखादोसी करथें? काबर दूसरा ल नुकसान अउ दुख पहुँचाय खातिर छल करथें? यदि आदमी ये सब ले बच के चलंय अउ मेलमिलाप से रहंय ते कोनों ल नुकसान काबर होय। काबर कोनो ल दुख मिलय?

सांझकुन अउ रातभर वोकर नजर-नजर म कुलहंस पक्षी के संहार, सरपत के पेड़, वो लइका के सुदर चेहरा झूलत रिहिस। वोला मारफा हर पक्षी के रूप म दिखे लगिस जउन हर पियास के मारे तलफत रिहिस। राॅथ्सचाइल्ड के कमजोर अउ पींयर चेहरा वोकर आँखी-आँखी म झूलत रिहिस। वो रात याकोव हर अपन सारंगी ल बजाय बर पाँच घांव ले उठिस

बिहिनिया वोहर मुस्किल से उठिस अउ अस्पताल चल दिस। मैक्सिम निकोलाइच ह वोला बिलकुल वइसनेच बताइस कि सिर ल धीरे-धरे दबाना हे। वोला खाय बर कुछ चूर्ण दिस। वोकर हावभाव से लगिस कि मामला कुछ गड़बड़ हे अउ चूर्ण से कुछू फायदा होनेवाला नइ हे। याकोव ल जना गिस कि मामला गंभीर हे। 

जइसने वोहर घर पहुँचिस, वोहर सोचे लगिस कि मौत से डरना काबर? येकर से तो फायदाच हे, नुकसान नहीं। तब फेर न तो भोजन-पानी के जरूरत हे अउ न टैक्स पटाय के। न तो ककरो संग लड़ाई झगड़ा, न फायदा कमायबर झूठ अउ ठगफुसारी करे के जरूरत। कबर म सुते के बाद एक नहीं बल्कि हजारों सालबर सबसे मुक्ति। मनुष्य के जीवन के मतलब हे नुकसान अउ मौत के मतलब हे फायदा। निसंदेह इही ह अंतिम सच हे। तभो ले कड़वा सच ये हरे कि जीवन बहुत अजीब चीज हरे। ईश्वर हर दुनिया ल अतेक निर्मम अउ अतेक संघर्षशील काबर बनाय हे कि जीवन हर बिना कोई लाभ अउ सुख म गुजर जाथे?

मौत से वोहर दुखी नइ रिहिस, पन घर म, जइसने वोहर अपन सारंगी ल देखिस, वोकर मन हर दुखी हो गे। कब्र म तो वोहर येला धर के जा नइ सकय, येला इहिंचे छोड़ के जायबर परही। धनदोगानी, कुछू संग म नइ जावय। इही बात चीड़ अउ देवदार के जंगल के बारे म घला सच हे। सब ल एक दिन खतम हो जाना हे। दुनिया के हर चीज नासवान हे।

याकोव हर अपन सारंगी ल छाती म लगा के अपन झोपड़ी के बाहिर दुवारी म बइठ गिस। अपन बर्बाद अउ लाभहीन जीवन के बारे म सोचे लगिस, अउ सारंगी ल बजाय लगिस। वो हर का बजात रिहिस, खुदे नइ जानय पन संगीत हर बेहद दर्दीला अउ आत्मा ल छूनेवाला रिहिस। वोकर आँखी ले आँसू गिर-गिरके वोकर गाल म बोहाय लगिस। वोहर अपन जिंदगी के बारे सोच के जतका दुखी होवत जावय, वोकर सारंगी से निकलनेवाला संगीत हर वोतका दर्दीला होवत जावय।

दरवाजा म एक घांव अउ दस्तक होइस अउ राॅथ्सचाइल्ड हर घर म प्रवेस करिस। आधा अंगना तक तो वोहर बेधड़क आ गिस फेर याकोव ल बइठे देख के वोहर ठिठक गिस। वोहर डर के मारे हाथ-गोड़ ल सकेल के खड़े हो गिस अउ इसारा ले पूछे लगिस के ये सब काए।

’’नजीक आ जा मोर भाई’’ याकोव ह बेहद प्रेम से वोला बलाइस अउ किहिस, ’’आ भीतर चल।’’ 

राॅथ्सचाइल्ड ल याकोव के अइसन व्यवहार ऊपर बिसवास नइ होइस अउ वोहर वोकर ले सात फूट दुरिहच म रुक गिस।

’’तंयहर मोला मारबे तो नहीं न’’ वोहर किहिस, ’’बदख के पिल्ला। मोइजी इलीइच हर मोला अउ भेजे हे। डर झनी याकोव,  वोकर तीर जा अउ वोला बता। वोकर बिना हम नइ मिल सकन। बुधवार के दिन बिहाव के कार्यकरम हे। सुन ..... में। श्री शापोवालोव हर अपन बेटी के बिहाव एक भला आदमी संग करत हे। बहुत आलीसान बिहाव होनेवाला हे।’’ अउ यहूदी हर अपन एक आँखी ल चपकत दिस।

’’मंय हर नइ आ सकंव।’’ बड़ मुसकिल से सांस लेवत याकोव हर किहिस, ’’भाई! मंय हर बेहद बीमार हंव।’’ अउ वोहर सारंगी ल फेर बजाय लगिस। वोकर आँखी ले आँसू हर झर-झरके सारंगी ऊपर गिरे लगिस। राॅथ्सचाइल्ड हर वोकर बाजू म खड़े रिहिस अउ मंत्रमुग्ध हो के सुने लगिस। वो हर अपन हथेली मन ल याकोव के छाती म फेरिस। वोकर मन के डर अउ घृणा हर धीरे-धीरे दुख अउ पीड़ा म बदलत गिस। वोहर अपन आँखीं मन ल झुका लिस, जइसे कि वोकर आत्मा हर आनंद अउ उत्साह से भर गिस होय, अउ किहिस ’’अद्भुद’’ अउ वोकर आँखीमन हर आँसू ले भर गिस। आँसू ह झर-झर के वोकर गाल अउ वोकर हरियर कोट ल भिंगोय लगिस।


अउ दूसर दिन याकोव हर दिनभर तलफत बिस्तर म सुते रिहस। सांझकुन जब पादरी हर आइस वोला वोकर पाप के जउन ल वोहर जीवन म कभू करे रिहिस होही, के स्वीकार कराइस। याकोव के स्मरण सक्ति हर छीन हो गे रिहिस। वोला मारफा के दुखी सूरत अउ यहूदी के प्रति घृणा के सुरता अइस, खासकरके जब वोकरे कारण वोला कुकुर हा चाबे रिहिस। अउ बहुत धीरे से अउ मुस्किल से वो हर पादरी ल किहिस, ’’ये सारंगी ल राॅथ्सचाइल्ड ल दे देबे।’’

पादरी हर किहिस, ’’बहुत अच्छा।’’
0

अउ अब सहर भर म हर आदमी हर इही पूछथे कि राॅथ्सचाइल्ड ल अतका सानदार सारंगी कहाँ ले मिलिस। वोहर येला बिसाय हे कि चोरी करे हे कि बख्सीस म पाय हे? 

अब बहुत दिन हो गे हे, वोहर बाँसुरी बजाना छोड़ दे हे। अब वोहर सारंगी के सिवा अउ कुछुच नइ बजावय। अब वोकर सारंगी ले वइसनेच सुरीला संगीत निकलथे जइसे कभू वोकर बाँसुरी ले निकलत रिहस। पन जब वोहर याकोव के वो धुन ल बजाय के सुरू करथे, जउन ल वोहर अपन झोपड़ी के दुवारी म बइठ के बजाय रिहिस, बेहद कारुणिक, अउ आत्मा ल छू लेनेवाला तब सुननेवाला के आँखी ले तरतर-तरतर आँसू झरे लगथे। वोहर खुदे अपन आँखी मन ल मूंद लेथे अउ कहिथे ’’अद्भुत .....।’’

अब तो सहर भर के मनखे, चाहे व्यापारी होय कि अधिकारी राॅथ्सचाइल्ड के ये संगीत के पीछू पागल हो गे हे। राॅथचाइल्ड के माँग बराबर बाढ़ते जावथ हे। येला लगातार अउ दर्जनों घांव ले सुन के घला लोगन के आत्मा ह तृप्त नइ होवय।
000kuber000

बुधवार, 8 मई 2019

अनुवाद

बदनामी - अंतोन चेखव

(अंग्रेजी ले छत्तीसगढ़ी म अनुवाद - कुबेर)

प्रसिद्ध लेखक अउ अध्यापक सेर्गेई कैपिटोनिक अहिनीव हर अपन बेटी के बिहाव इतिहास अउ भूगोल के अध्यापक के संग करत रिहिस। बहुत सानदार ढंग ले विवाह समारोह चलत रिहिस। बैठकखोली म मेहमानमन ह नाच, गाना अउ खेल म मस्त रिहिन। काम करे खातिर वो हर क्लब के बैरामन ल किराया म बुलाय रिहिस जउनमन ह करिया रंग के ढीला-ढाला पोसाक, फुंदरावाला टोपी अउ मइलहा-मइलहा टाई पहिरे रहंय, अउ मेहमानमन के बीच हँसी के पात्र बने रहंय। 

मेहमानमन के हँसी-मजाक अउ बातचीत के हो-हल्ला ले खोली ह गूँजत रहय। सोफा म गणित के अध्यापक टार्नतुलोव, फ्रांसीसी शिक्षक पासदेक्वाई, अउ कनिष्ठ करारोपण अधिकारी मज्दा, एक के बाद एक बइठे रिहिन अउ एक-दूसर के बात ल काँटत जोर-जोर से गोठियावत रिहिन। ककरो बात ल कोनो सुने बिना वोमन मेहमानमन  ल जिंदा दफन करे के घटना अउ अध्यात्मवाद के बिसय म गोठबात करत रिहिन। वोमन म कोनो ल अध्यात्मवाद ऊपर बिस्वास नइ रिहिस फेर सबके एके मत रिहिस कि दुनिया म बहुत सारा अइसे धटना धटित होवत रहिथे जउन मन इनसान के बुद्धि के बाहिर के बात होथे। इनसान के बस के बाहिर के बात होथंय।

बगलवाला खोली म जानेमाने साहित्यकार डोडोन्स्की हर मेहमानमन ल कोनो घला रस्ता चलइया आदमी ल गोली मारे के संत्रीमन के अधिकार के बारे म समझावत रहय। विषय, जइसन कि आप समझत होहू, चिंताजनक रिहिस पन उहाँ बहुत झनमन येकर ले सहमत रिहिन।

साधारण मेहमान, जिंकर इन विद्वानमन के बीच आ के बइठे के हिम्मत नइ रिहिस वोमन हर बाहिर अंगन म खड़े रिहिन अउ खिड़की डहर ले झांक-झांक के मजा लेवत रिहिन।

ठीक आधा रात के बात हरे, घर के मालिक हर ये बात के पता करे बर कि भोजन के तइयार होय म अउ कता समय लगही, रसोई घर म गिस। रसाईघर ह खाल्हे ले उप्पर तक खाय-पीये के समान, जइसे कि बदख अउ मछली के गोस्त अउ अइसने दूसर चीज  के गंध ले भरे रहय। दू ठन टेबलमन म हल्काफुल्का नास्ता अउ पीये के जिनिस मन ल अबड़ सुदर अकन ले सजा के रखे गे रिहिस। बेढंगी, ललबेंदरी मुँहू के अउ हँवला कस फूले पेटवाली रसोइया मारफा हर समान मन ल सजाय म व्यस्त रिहिस।

’’मारफा! मोला स्टरजन मछली ल देखा, कइसे बने हे।’’ अपन हथेलीमन ल रगड़त अउ चटखारा लेवत अहिनीव हर किहिस। भोजन के खुसबू के मारे वोकर मुँहू हर पनछिया गे रिहिस। ’’वाह! का जोरदार खुसबू हे। इच्छा होवत हे कि सबला मही हर चट कर जावंव। आजा, स्टरजन मछली ल मोला पहिली देखा।’’

मारफा हर एक ठन बेंच तीर गिस अउ बहुत सलीका से अखबार के तेलहा कागज जउन म समानमन ह ढंकाय रिहिस, ल हटाइस। अ..हा, नाना परकार के चीज माढ़ेे रहय, जेमा एक ठन बड़े जबर स्टरजन मछली घला रहय, जउन ह जेली से डंकाय रिहिस अउ  जैतून, गाजर अउ दूसर चीज ले अबड़ सुंदर अकन ले सजाय गे रिहिस।

अहिनीव के टकटकी बंध गे अउ अचरित खा के वोकर मुँहू ह उघर गे। वोकर चेहरा हर चमके लगिस। वोहर आँखीफार के ऊपर कोती देखे लगिस अउ बिना तेल ओंगाय गाड़ीचक्का के आवाज कस अपन ओठमन ल ’चट-चट’ बजावत किहिस। पलभर खड़े रेहे के बाद वोहर मारे खुसी के चुटकी बजावत अपन ओठमन ल फेर चट-चट बजाइस।

’’ओ ... हो... ! अतेक जोरदार चुम्माचाटी .......... मारफा, कोन हर तोला अतका जोरदार चूमत हे?’’ दूसर खोली कोती ले आवाज आइस अउ मेहमानमन के स्वागत सत्कार करइया कटे बालवाले वैंकिन हर दरवाजा म प्रवेश करिस। ’’कोन हरे वो ह। अ.. हा.. सेर्गेई कैपिटोनिक अहिनीव! आप से मिल के मजा आ गे। सच कहत हंव, आप एक मस्तमौला दादा हव अउ इही उमर म तो चुमाचाटी के आनंद आथे।’’

’’ऐ! मंय ह चूमत नइ हंव।’’ अहिनीव हर झेंपत-झेंपत किहिस, ’’तोला इसन कोन हर बताइस? मंय हर तो खाली ...... चटखारा लेवत रेहेंव .... देख अइसे.... मछली के खुसबू के कारण मोर मुँहू हर पनछिया गे हे....... खुसी के मारे ..... अचानक चटखारा के आवाज निकलगिस।’’
0

’’अब दुनिया भर ल तंय हर ये बात ल बताबे।’’ अहिनीव के मुँहू उतर गे। वोकर चेहरा ले खुसी हर गायब हो गे।
अहिनीव हर डर्रा गिस।

’’येला तो अब फांसी म टांगे बर परही।’’ अहिनीव हर सोचिस, ’’दुस्ट हर अब जा के दुनिया भर म ढ़िढोरा पीटही अउ सहरभर म मोर बदनामी करही।’’

अहिनीव ह उदास हो गे। चुपचाप बैठक खोली म गिस अउ लुकाचोरी वैंकिन ल खेजे लगिस।

वैंकिन हर पियानो बाजा कना बेफिकर होके खडे दिखिस। पियानो ल इस्पेक्टर के सारी हर हाँस-हाँसके बजावत रिहिस अउ वैंकिन हर तको निहरके वोकर संग हाँस-हासँके गोठियावत रिहिस।

’’मोरेच बारे म बात करत हे।’’ अहिनीव हर सोचिस, ’’मोर बदनामी करत हे। येला तो बम फेक के उड़ा देना चाही। ..... अउ वहू ह पतिया गे। वहू हर पतिया गे। अउ देख तो, कइसे हाँसत हे। अरे! मोर ऊपर कुछू दया करव। नहीं! मंय हर ये बात ल बगरन नइ देवंव  ...... बिलुकुल नहीं। वोला ये बात ऊपर बिसवास होय के पहिलिच मोला कुछ करना होही। अभीचे करना परही। ...... सब कना जा जाके सब बात ल सच-सच बता देना चाही कि वो हर लफंगा हे अउ मूरख हे.... वोहर जउन-जउन बात मोर बारे म बताय हे, सब बकावास हरे।’’
0

अहिनीव ह खीझ के मारे अपन मुड़ी ल झटकारिस तहू ले वोकर उदासी हर नइ गिस। वोहर पासदेक्वाई तीर गिस। ’’मंय हर भोजन के तइयारी देख के अभी-अभी रसोईघर ले आवत हंव।’’ वो हर वो फ्रांसिसी कना जाके किहिस, ’’मोला पता हे, आप स्टरजन मछली के शौकीन हव। मंय हर वोकरो बेवस्था करे हंव न। प्यारे! आप ल बिसवास नइ होही, डेढ़ गज लंबा मछली हे। हा .. हा .. हा ..। अउ हाँ! मंय तो भूलतेच हंव ... रसोईघर म ... अभी-अभी ... स्टरजन मछली ल लेके एक ठन मजेदार बात हो गे। मंय ह भोजन तइयार होइस कि नहीं, अतका पता करे बर रसोईघर म जाके स्टरजन उछली ल देखना भर चाहत रेहेंव। देखते साट मोर मुँहू म पानी आ गे अउ उत्तेजना के मारे मोर मुँहू ले जोरदार चटखारा के आवज निकल गिस। वोतकिच समय, वो मूर्ख, वैंकिन हर पहुँच गिस अउ केहे लगिस ..... ’हा .. हा .. हा .. । तब आप इहाँ चुम्माचाटी करत हव। वहू रसोइया, मारफा संग।’ वाह का कल्पना हे। मूर्ख, बदमास। वो बिचारी तो एकदम डर गे, जइसे जानवरमन के बीच खड़े होय। अउ वो बदमास, सनकी आदमी, चुम्माचाटी के गोठ करत फिरत हे।’’ 

तभे टार्नतुलोव हर आ गिस, किहिस, ’’अरे कोन सनकी आदमी यार, हमू ल तो बतावव?’’

’’अरे अउ कोन? विही, वैंकिन। मंय हर भोजन के तइयारी देख के अभी-अभी रसोईघर ले आवत हंव ...................।’’ अउ अहिनीव हर वैंकिन के सारा किस्सा ल जस के तस फेर बताय लगिस, ’’वो सनकी, राक्षस हर मोर बदनामी करत फिरत हे। आप मोर बिस्वास करव। चाहे तो मंय हर कोनो कुतिया ल चूम सकथंव, फेर मारफा ल? आप ल बिसवास होही?’’ अहिनीव ह किहिस।

वो हर पीछू लहुट के देखिस, पीछू म मज्दा हर खड़े रिहिस। ’’हम वैंकिन के बारे म बात करत रेहेन।’’ अहिनीव ह किहिस, ’’का सनकी आदमी हे वो ह? वोहर रसोईघर म गे रिहिस। मोला मारफा के बगल म खड़े देख परिस। अउ बस! ये सब मूर्खतापूर्ण कहानी ल गढ़ लिस। ’आप काबर चूमत हव?’ वोहर कहिथे। अरे! आदमी के पास कुछ तो दिमाग होना चाही न। अउ मंय! कोनो  टर्की कुकरी ल भले चूम लेहूँ फेर मारफा ल? मंय कहिथंव, मोर खुद के घरवाली हे। मूर्ख, सनकी, वोहर मोर बदनामी करे बर तुले हुए हे।’’

’’अरे कोन हर आपके बदनामी करेबर तुले हुए हे?’’ स्कूल म धर्मग्रंथ के पाठ पढ़ानेवाला पादरी हर अहिनीव तीर आ के पूछिस।

’’वैंकिन। आप ल पता हे? मंय ह रसाईघर म खड़े रेहेंव, स्टरजन मछली ........।’’

अउ ये तरह ले आधा घंटा म सब मेहमान मन स्टरजन मछली अउ वैंकिन के प्रकरण के बारे म जान गिन।
0
’’अब वोला बतावन दे।’’ अहिनीव हर अपन हथेलीमन ल रमजत सोचिस, ’’घूम-घूम के बतावन दे। वोहर अपन कहानी ल मिर्च-मसाला लगा-लगा के बताही। अपन मूखर्ता के भरपूर प्रदर्सन करही। पन अब वोकर बात ल कोनो नइ पतियावय। मूर्ख वैंकिन, ये बात ल मंय अब अच्छा ढंग ले जानथंव।’’

अउ अहिनीव ल खूब मानसिक सांति मिलिस। वोहर मनभर के पीइस। दू के जघा चार गिलास पीइस। अपन बदनामी के बचाव करके वोहर बड़ खुस होइस। मेहमान मन ल बिदा करिस अउ बड़ खुस होके अबोध बालक मन के समान बिस्तर मा जा के सुत गिस, दूसर दिन बिहिनिया वो घटना के बारे म वोहर जादा कुछू नइ सोचिस।

पर, हाय! आददमी ह कुछू अउ सोचथे अउ ईश्वर कुछू अउ करथे। शैतान के जीभ हर बड़ा चंचल होथे। वोहर तुरंत अपन काम कर डरिस। अहिनीव ह अपन बचाव खातिर जउन कुछ उपाय करे रिहिस वोहर बेकार साबित होइस। वोकर कोनो फायदा नइ होइस।
0

ठीक एक हफ्ता बाद के बात हरे। बुधवार के दिन स्कूल म तिसरइया पाठ पढ़ा के अहिनीव हर विस्किन नाम के एक झन उपद्रवी बालक के बारे म सोचत शिक्षक कक्ष के बीच म खड़े रिहिस। वोतका समय स्कूल के प्रधानपाठक हर आइस अउ वोला अपन तीर बलाइस। ’’मोर डहर देख सेर्गेई कैपिटोनिक अहिनीव।’’ वोहर किहिस, ’’मोला आप से कुछ कहना हे। ...... कहना नइ चाहीे, फेर बहुत सरम के बात हरे। मंय हर आप ल चेतावनी देवत हंव ..... येहर मोर कर्तव्य हरे। आप देखतेच हव ... आपके बारे म कतका अफवाह उड़त हे कि आप कइसे प्यार-मोहब्बत के चक्कर म पड़े हव  ....वो भी अपन रसोइया के संग? आपके प्यार-मोहब्बत के बारे म मोला कुछू नइ कहना हे। आप वोकर संग लफंगई करव ... वोला चुमाचाटी करव .... आपके मरजी। पन ये सब खुले आम तो झन करव। प्लीज .. मंय हर आप ल ताकीद करत हंव .... आप ये झन भूलव कि आप एक स्कूल मास्टर हव।’’
0

अहिनीव हर हक्काबक्का होगिस। वोकर चेहरा हर तुरंत मुरझा गिस। वोहर एकदम उदास हो गिस। वोहर घर जाय बर निकलिस, वोला लगिस कि वोहर भांवर माछी के झुंड ले चारों डहर ले घिर गे हे, या कि जइसे कोनो मनखे ह डबकत पानी म छटपटात हे। रास्ता म वोला लगिस कि पूरा सहरभर के मनखेमन वोकरे डहर टकटकी बांध के देखत हें अउ वोकर सरीर ह पूरा-पूरा दागदार हो गे हे। 

घर म एक नवा मुसीबत हर वोकर अगोरा करत रिहिस।

’’कइसे, आप रोज के समान अपन खाना ल काबर नइ खावत हव?’’ वोकर घरवाली हर रातके खाना खाय के समय पूछिस। ’’का बात के आप ल अतका दुख हे? आपके प्यार हर आपके मन ल अतका दुखी कर दे हे? मारफा हर तोर दिल ल अतका टोर दिस हे? मंय सब जानथंव श्रीमानजी। मोर हितैसी मित्रमन मोर आँखी ल खोल दिन हे। ..हे भगवान .... तंय हर कतका जंगली हस?’’ अउ वेकर घरवाली ह गुस्सा के मारे वोकर मुँह म खाना ल फेंक के चल दिस।

अहिनीव हर टेबल ले उठिस। वोला अइसे लगिस कि वोकर पाँव के खाल्हे के धरती ह गायब हो गे हे। बिना कोट पहिरे अउ बिना टोपी लगाय वो हर वैंकिन के घर के रद्दा पकड़िस अउ वोकर घर पहुँच गिस।

’’कमीना!’’ वो हर किहिस, ’’काबर तंय ह सहरभर के आघू मोला चिखला म बोरेस? काबर तंय ह मोर अतका बदनामी करेस?’’

’’कोन से बदनामी? आप ये का कहत हव?’’ 

मारफा ल चूमे के अफवाह फैलानेवाला कोन हरे? तंही हरस न? बता मोला राक्षस, तंही हरस न? बटमार कही के?’’

वैंकिन ल अपन सभ्यता अउ सालीनता हर तार-तार होवत दिखिस। वोहर अपन आँखी ल ऊपर डहर करके ईश्वर ल साक्षी मान के किहिस, ’’ईश्वर ह मोला नस्ट कर देय, मोला अंधरा कर दे, भगवान हर मोला बेघर कर दे अउ घर ले निकले के पहिली मोर ऊपर हैजा के प्रकोप ला दे, यदि मंय हर मारफा अउ आपके बारे म एक भी सब्द केहे होहूँ।।’’ 

वैंकिन के अइसन निर्विकार कथन ऊपर संदेह करना बेकार रिहिस। ये बात हर प्रमाणिक तौर म सिद्ध हे कि अहिनीव के ये बदनामी के रचयिता वोहर नो हे।

’’तब कोन हर ये बदनामी ल बगराइस।’’ अहिनीव हर चकित हो गिस। वोहर पूरा घटना के बारे म सोचे लगिस। वोहर अपन छाती ल पीटे लगिस। ’’तब आखिर कोन हरे वो आदमी?’’
0

मंय घला आप सब सहृदय पाठक मन से पूछथंव, ’’अहिनीव के बदनामी करनेवाला कोन हरे?’’
000kuber000