बुधवार, 8 मई 2019

अनुवाद

बदनामी - अंतोन चेखव

(अंग्रेजी ले छत्तीसगढ़ी म अनुवाद - कुबेर)

प्रसिद्ध लेखक अउ अध्यापक सेर्गेई कैपिटोनिक अहिनीव हर अपन बेटी के बिहाव इतिहास अउ भूगोल के अध्यापक के संग करत रिहिस। बहुत सानदार ढंग ले विवाह समारोह चलत रिहिस। बैठकखोली म मेहमानमन ह नाच, गाना अउ खेल म मस्त रिहिन। काम करे खातिर वो हर क्लब के बैरामन ल किराया म बुलाय रिहिस जउनमन ह करिया रंग के ढीला-ढाला पोसाक, फुंदरावाला टोपी अउ मइलहा-मइलहा टाई पहिरे रहंय, अउ मेहमानमन के बीच हँसी के पात्र बने रहंय। 

मेहमानमन के हँसी-मजाक अउ बातचीत के हो-हल्ला ले खोली ह गूँजत रहय। सोफा म गणित के अध्यापक टार्नतुलोव, फ्रांसीसी शिक्षक पासदेक्वाई, अउ कनिष्ठ करारोपण अधिकारी मज्दा, एक के बाद एक बइठे रिहिन अउ एक-दूसर के बात ल काँटत जोर-जोर से गोठियावत रिहिन। ककरो बात ल कोनो सुने बिना वोमन मेहमानमन  ल जिंदा दफन करे के घटना अउ अध्यात्मवाद के बिसय म गोठबात करत रिहिन। वोमन म कोनो ल अध्यात्मवाद ऊपर बिस्वास नइ रिहिस फेर सबके एके मत रिहिस कि दुनिया म बहुत सारा अइसे धटना धटित होवत रहिथे जउन मन इनसान के बुद्धि के बाहिर के बात होथे। इनसान के बस के बाहिर के बात होथंय।

बगलवाला खोली म जानेमाने साहित्यकार डोडोन्स्की हर मेहमानमन ल कोनो घला रस्ता चलइया आदमी ल गोली मारे के संत्रीमन के अधिकार के बारे म समझावत रहय। विषय, जइसन कि आप समझत होहू, चिंताजनक रिहिस पन उहाँ बहुत झनमन येकर ले सहमत रिहिन।

साधारण मेहमान, जिंकर इन विद्वानमन के बीच आ के बइठे के हिम्मत नइ रिहिस वोमन हर बाहिर अंगन म खड़े रिहिन अउ खिड़की डहर ले झांक-झांक के मजा लेवत रिहिन।

ठीक आधा रात के बात हरे, घर के मालिक हर ये बात के पता करे बर कि भोजन के तइयार होय म अउ कता समय लगही, रसोई घर म गिस। रसाईघर ह खाल्हे ले उप्पर तक खाय-पीये के समान, जइसे कि बदख अउ मछली के गोस्त अउ अइसने दूसर चीज  के गंध ले भरे रहय। दू ठन टेबलमन म हल्काफुल्का नास्ता अउ पीये के जिनिस मन ल अबड़ सुदर अकन ले सजा के रखे गे रिहिस। बेढंगी, ललबेंदरी मुँहू के अउ हँवला कस फूले पेटवाली रसोइया मारफा हर समान मन ल सजाय म व्यस्त रिहिस।

’’मारफा! मोला स्टरजन मछली ल देखा, कइसे बने हे।’’ अपन हथेलीमन ल रगड़त अउ चटखारा लेवत अहिनीव हर किहिस। भोजन के खुसबू के मारे वोकर मुँहू हर पनछिया गे रिहिस। ’’वाह! का जोरदार खुसबू हे। इच्छा होवत हे कि सबला मही हर चट कर जावंव। आजा, स्टरजन मछली ल मोला पहिली देखा।’’

मारफा हर एक ठन बेंच तीर गिस अउ बहुत सलीका से अखबार के तेलहा कागज जउन म समानमन ह ढंकाय रिहिस, ल हटाइस। अ..हा, नाना परकार के चीज माढ़ेे रहय, जेमा एक ठन बड़े जबर स्टरजन मछली घला रहय, जउन ह जेली से डंकाय रिहिस अउ  जैतून, गाजर अउ दूसर चीज ले अबड़ सुंदर अकन ले सजाय गे रिहिस।

अहिनीव के टकटकी बंध गे अउ अचरित खा के वोकर मुँहू ह उघर गे। वोकर चेहरा हर चमके लगिस। वोहर आँखीफार के ऊपर कोती देखे लगिस अउ बिना तेल ओंगाय गाड़ीचक्का के आवाज कस अपन ओठमन ल ’चट-चट’ बजावत किहिस। पलभर खड़े रेहे के बाद वोहर मारे खुसी के चुटकी बजावत अपन ओठमन ल फेर चट-चट बजाइस।

’’ओ ... हो... ! अतेक जोरदार चुम्माचाटी .......... मारफा, कोन हर तोला अतका जोरदार चूमत हे?’’ दूसर खोली कोती ले आवाज आइस अउ मेहमानमन के स्वागत सत्कार करइया कटे बालवाले वैंकिन हर दरवाजा म प्रवेश करिस। ’’कोन हरे वो ह। अ.. हा.. सेर्गेई कैपिटोनिक अहिनीव! आप से मिल के मजा आ गे। सच कहत हंव, आप एक मस्तमौला दादा हव अउ इही उमर म तो चुमाचाटी के आनंद आथे।’’

’’ऐ! मंय ह चूमत नइ हंव।’’ अहिनीव हर झेंपत-झेंपत किहिस, ’’तोला इसन कोन हर बताइस? मंय हर तो खाली ...... चटखारा लेवत रेहेंव .... देख अइसे.... मछली के खुसबू के कारण मोर मुँहू हर पनछिया गे हे....... खुसी के मारे ..... अचानक चटखारा के आवाज निकलगिस।’’
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’’अब दुनिया भर ल तंय हर ये बात ल बताबे।’’ अहिनीव के मुँहू उतर गे। वोकर चेहरा ले खुसी हर गायब हो गे।
अहिनीव हर डर्रा गिस।

’’येला तो अब फांसी म टांगे बर परही।’’ अहिनीव हर सोचिस, ’’दुस्ट हर अब जा के दुनिया भर म ढ़िढोरा पीटही अउ सहरभर म मोर बदनामी करही।’’

अहिनीव ह उदास हो गे। चुपचाप बैठक खोली म गिस अउ लुकाचोरी वैंकिन ल खेजे लगिस।

वैंकिन हर पियानो बाजा कना बेफिकर होके खडे दिखिस। पियानो ल इस्पेक्टर के सारी हर हाँस-हाँसके बजावत रिहिस अउ वैंकिन हर तको निहरके वोकर संग हाँस-हासँके गोठियावत रिहिस।

’’मोरेच बारे म बात करत हे।’’ अहिनीव हर सोचिस, ’’मोर बदनामी करत हे। येला तो बम फेक के उड़ा देना चाही। ..... अउ वहू ह पतिया गे। वहू हर पतिया गे। अउ देख तो, कइसे हाँसत हे। अरे! मोर ऊपर कुछू दया करव। नहीं! मंय हर ये बात ल बगरन नइ देवंव  ...... बिलुकुल नहीं। वोला ये बात ऊपर बिसवास होय के पहिलिच मोला कुछ करना होही। अभीचे करना परही। ...... सब कना जा जाके सब बात ल सच-सच बता देना चाही कि वो हर लफंगा हे अउ मूरख हे.... वोहर जउन-जउन बात मोर बारे म बताय हे, सब बकावास हरे।’’
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अहिनीव ह खीझ के मारे अपन मुड़ी ल झटकारिस तहू ले वोकर उदासी हर नइ गिस। वोहर पासदेक्वाई तीर गिस। ’’मंय हर भोजन के तइयारी देख के अभी-अभी रसोईघर ले आवत हंव।’’ वो हर वो फ्रांसिसी कना जाके किहिस, ’’मोला पता हे, आप स्टरजन मछली के शौकीन हव। मंय हर वोकरो बेवस्था करे हंव न। प्यारे! आप ल बिसवास नइ होही, डेढ़ गज लंबा मछली हे। हा .. हा .. हा ..। अउ हाँ! मंय तो भूलतेच हंव ... रसोईघर म ... अभी-अभी ... स्टरजन मछली ल लेके एक ठन मजेदार बात हो गे। मंय ह भोजन तइयार होइस कि नहीं, अतका पता करे बर रसोईघर म जाके स्टरजन उछली ल देखना भर चाहत रेहेंव। देखते साट मोर मुँहू म पानी आ गे अउ उत्तेजना के मारे मोर मुँहू ले जोरदार चटखारा के आवज निकल गिस। वोतकिच समय, वो मूर्ख, वैंकिन हर पहुँच गिस अउ केहे लगिस ..... ’हा .. हा .. हा .. । तब आप इहाँ चुम्माचाटी करत हव। वहू रसोइया, मारफा संग।’ वाह का कल्पना हे। मूर्ख, बदमास। वो बिचारी तो एकदम डर गे, जइसे जानवरमन के बीच खड़े होय। अउ वो बदमास, सनकी आदमी, चुम्माचाटी के गोठ करत फिरत हे।’’ 

तभे टार्नतुलोव हर आ गिस, किहिस, ’’अरे कोन सनकी आदमी यार, हमू ल तो बतावव?’’

’’अरे अउ कोन? विही, वैंकिन। मंय हर भोजन के तइयारी देख के अभी-अभी रसोईघर ले आवत हंव ...................।’’ अउ अहिनीव हर वैंकिन के सारा किस्सा ल जस के तस फेर बताय लगिस, ’’वो सनकी, राक्षस हर मोर बदनामी करत फिरत हे। आप मोर बिस्वास करव। चाहे तो मंय हर कोनो कुतिया ल चूम सकथंव, फेर मारफा ल? आप ल बिसवास होही?’’ अहिनीव ह किहिस।

वो हर पीछू लहुट के देखिस, पीछू म मज्दा हर खड़े रिहिस। ’’हम वैंकिन के बारे म बात करत रेहेन।’’ अहिनीव ह किहिस, ’’का सनकी आदमी हे वो ह? वोहर रसोईघर म गे रिहिस। मोला मारफा के बगल म खड़े देख परिस। अउ बस! ये सब मूर्खतापूर्ण कहानी ल गढ़ लिस। ’आप काबर चूमत हव?’ वोहर कहिथे। अरे! आदमी के पास कुछ तो दिमाग होना चाही न। अउ मंय! कोनो  टर्की कुकरी ल भले चूम लेहूँ फेर मारफा ल? मंय कहिथंव, मोर खुद के घरवाली हे। मूर्ख, सनकी, वोहर मोर बदनामी करे बर तुले हुए हे।’’

’’अरे कोन हर आपके बदनामी करेबर तुले हुए हे?’’ स्कूल म धर्मग्रंथ के पाठ पढ़ानेवाला पादरी हर अहिनीव तीर आ के पूछिस।

’’वैंकिन। आप ल पता हे? मंय ह रसाईघर म खड़े रेहेंव, स्टरजन मछली ........।’’

अउ ये तरह ले आधा घंटा म सब मेहमान मन स्टरजन मछली अउ वैंकिन के प्रकरण के बारे म जान गिन।
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’’अब वोला बतावन दे।’’ अहिनीव हर अपन हथेलीमन ल रमजत सोचिस, ’’घूम-घूम के बतावन दे। वोहर अपन कहानी ल मिर्च-मसाला लगा-लगा के बताही। अपन मूखर्ता के भरपूर प्रदर्सन करही। पन अब वोकर बात ल कोनो नइ पतियावय। मूर्ख वैंकिन, ये बात ल मंय अब अच्छा ढंग ले जानथंव।’’

अउ अहिनीव ल खूब मानसिक सांति मिलिस। वोहर मनभर के पीइस। दू के जघा चार गिलास पीइस। अपन बदनामी के बचाव करके वोहर बड़ खुस होइस। मेहमान मन ल बिदा करिस अउ बड़ खुस होके अबोध बालक मन के समान बिस्तर मा जा के सुत गिस, दूसर दिन बिहिनिया वो घटना के बारे म वोहर जादा कुछू नइ सोचिस।

पर, हाय! आददमी ह कुछू अउ सोचथे अउ ईश्वर कुछू अउ करथे। शैतान के जीभ हर बड़ा चंचल होथे। वोहर तुरंत अपन काम कर डरिस। अहिनीव ह अपन बचाव खातिर जउन कुछ उपाय करे रिहिस वोहर बेकार साबित होइस। वोकर कोनो फायदा नइ होइस।
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ठीक एक हफ्ता बाद के बात हरे। बुधवार के दिन स्कूल म तिसरइया पाठ पढ़ा के अहिनीव हर विस्किन नाम के एक झन उपद्रवी बालक के बारे म सोचत शिक्षक कक्ष के बीच म खड़े रिहिस। वोतका समय स्कूल के प्रधानपाठक हर आइस अउ वोला अपन तीर बलाइस। ’’मोर डहर देख सेर्गेई कैपिटोनिक अहिनीव।’’ वोहर किहिस, ’’मोला आप से कुछ कहना हे। ...... कहना नइ चाहीे, फेर बहुत सरम के बात हरे। मंय हर आप ल चेतावनी देवत हंव ..... येहर मोर कर्तव्य हरे। आप देखतेच हव ... आपके बारे म कतका अफवाह उड़त हे कि आप कइसे प्यार-मोहब्बत के चक्कर म पड़े हव  ....वो भी अपन रसोइया के संग? आपके प्यार-मोहब्बत के बारे म मोला कुछू नइ कहना हे। आप वोकर संग लफंगई करव ... वोला चुमाचाटी करव .... आपके मरजी। पन ये सब खुले आम तो झन करव। प्लीज .. मंय हर आप ल ताकीद करत हंव .... आप ये झन भूलव कि आप एक स्कूल मास्टर हव।’’
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अहिनीव हर हक्काबक्का होगिस। वोकर चेहरा हर तुरंत मुरझा गिस। वोहर एकदम उदास हो गिस। वोहर घर जाय बर निकलिस, वोला लगिस कि वोहर भांवर माछी के झुंड ले चारों डहर ले घिर गे हे, या कि जइसे कोनो मनखे ह डबकत पानी म छटपटात हे। रास्ता म वोला लगिस कि पूरा सहरभर के मनखेमन वोकरे डहर टकटकी बांध के देखत हें अउ वोकर सरीर ह पूरा-पूरा दागदार हो गे हे। 

घर म एक नवा मुसीबत हर वोकर अगोरा करत रिहिस।

’’कइसे, आप रोज के समान अपन खाना ल काबर नइ खावत हव?’’ वोकर घरवाली हर रातके खाना खाय के समय पूछिस। ’’का बात के आप ल अतका दुख हे? आपके प्यार हर आपके मन ल अतका दुखी कर दे हे? मारफा हर तोर दिल ल अतका टोर दिस हे? मंय सब जानथंव श्रीमानजी। मोर हितैसी मित्रमन मोर आँखी ल खोल दिन हे। ..हे भगवान .... तंय हर कतका जंगली हस?’’ अउ वेकर घरवाली ह गुस्सा के मारे वोकर मुँह म खाना ल फेंक के चल दिस।

अहिनीव हर टेबल ले उठिस। वोला अइसे लगिस कि वोकर पाँव के खाल्हे के धरती ह गायब हो गे हे। बिना कोट पहिरे अउ बिना टोपी लगाय वो हर वैंकिन के घर के रद्दा पकड़िस अउ वोकर घर पहुँच गिस।

’’कमीना!’’ वो हर किहिस, ’’काबर तंय ह सहरभर के आघू मोला चिखला म बोरेस? काबर तंय ह मोर अतका बदनामी करेस?’’

’’कोन से बदनामी? आप ये का कहत हव?’’ 

मारफा ल चूमे के अफवाह फैलानेवाला कोन हरे? तंही हरस न? बता मोला राक्षस, तंही हरस न? बटमार कही के?’’

वैंकिन ल अपन सभ्यता अउ सालीनता हर तार-तार होवत दिखिस। वोहर अपन आँखी ल ऊपर डहर करके ईश्वर ल साक्षी मान के किहिस, ’’ईश्वर ह मोला नस्ट कर देय, मोला अंधरा कर दे, भगवान हर मोला बेघर कर दे अउ घर ले निकले के पहिली मोर ऊपर हैजा के प्रकोप ला दे, यदि मंय हर मारफा अउ आपके बारे म एक भी सब्द केहे होहूँ।।’’ 

वैंकिन के अइसन निर्विकार कथन ऊपर संदेह करना बेकार रिहिस। ये बात हर प्रमाणिक तौर म सिद्ध हे कि अहिनीव के ये बदनामी के रचयिता वोहर नो हे।

’’तब कोन हर ये बदनामी ल बगराइस।’’ अहिनीव हर चकित हो गिस। वोहर पूरा घटना के बारे म सोचे लगिस। वोहर अपन छाती ल पीटे लगिस। ’’तब आखिर कोन हरे वो आदमी?’’
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मंय घला आप सब सहृदय पाठक मन से पूछथंव, ’’अहिनीव के बदनामी करनेवाला कोन हरे?’’
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