बुधवार, 25 मार्च 2015

व्यंग्य

व्यंग्य

खबरों का विरेचन


सेहत को ठीक रखने के लिए लोग तरह-तरह के नुस्खे सुझाते हैं। कुछ सुझाव ट्रेडमार्क वाले होते हैं। दण्ड पेलना और योगा इसी श्रेणी में आते हैं। हम ठहरे उजबक आदमी। ट्रेडमार्क वाली चीजें देखकर हमें मितली आने लगती हैं, अतः ये हमारे लिए बेकार की चीजें हैं।

बहुत से लोग एक कहावत कहते हैं, ’सुबह-शाम की हवा, लाख रूपय की दवा।’ टहलने और लाख रूपय की दवा का उपयोग करने के लिए हमारे यहाँ मैदान नहीं हैं। फिर भी, सुबह-सुबह जब मैं लाख रूपय की दवा खाने निकलता हूँ, उसकी गंध और सड़क किनारे लोटा लेकर बैठी हुई माताओं-बहनों और बहू-बेटियों को देखकर अवसाद की स्थिति में चला जाता हूँ। लिहाजा यह नुस्खा भी मेरे लिए अनुपयोगी साबित हुआ।

कुछ लोग कहते हैं कि सुबह-सुबह डटकर पानी पीना चाहिए। पानी अंदर और रोगकारक वस्तुएँ बाहर। पेट साफ तो शरीर साफ और शरीर साफ तो बीमारियाँ साफ। पर इसमें भी पेंच है। पिछले कुछ सालों की तरह इस साल भी, अभी-अभी यहाँ पीलिया और डायरिया फैलने लगी हैं। स्वास्थ्य विभाग वाले रोज विज्ञापन देकर बता रहे हैं कि यह जल जनित रोग है और गंदे जल की वजह से फैल रही हैं। इन विज्ञापनों को पढ़कर अब इस नुस्खे पर से भी विश्वास जाता रहा। 

पेट साफ रखने के लिए किसी अचूक और निरापद नुस्खे पर मैं पिछले पचीस साल से रिसर्च कर रहा था। परिणाम अब आया है। आया है, तो बड़ा सुखद आया हैं। पिछले एक-डेढ़ साल से खुद पर आजमा रहा हूँ। बड़ा सुखी हूँ। नुस्खा पूरी तरह निरापद और मुफ्त है। इसके लिए मुझे रोज छः बजे बिस्तर का त्याग करना पड़ता है। (कुछ पाने के लिए कुछ खोना तो पड़ेगा ही।) अखबार वाला इसी समय आता है। मेरे मोहल्ले में मेरे घर को छोड़कर सबके घर अखबार बटता है। मुझे इन्हीं में से किसी की प्रतीक्षा रहती है। धीरज का फल मीठा होता है। कोई न कोई अनछुआ अखबार हाथ लग ही जाता है। अब क्या बताऊँ, पराया अनछुआ अखबार हाथ लग जाने पर मुझे कितना आनंद मिलता है। बस इतना समझ लीजिए, इसके सामने परम आनंद, ब्रह्म आनंद और अखण्ड आनंद, सब तुच्छ हैं।

अखबार के शब्द जैसे ही दिमाग में प्रवेश करते हैं, पेट खाली हाने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। परंतु इसके लिए अखबार में तीन तरह की खबरों का होना जरूरी है। इससे अखबार और भी असरकारक और अधिक फलदाई बन जाता है। पहले नंबर की खबर के ऊपर श्री चारु चन्द्र सेन की उपस्थिति जरूरी है। श्री चारु चन्द सेन बहुप्रभावी प्रतिभा के श्रोत पुरुष हैं। इनका वक्तव्य देना, व्याख्यान देना, पढ़ना, लिखना, बोलना, उठना, बैठना, चलना, खाना, सोना, हर कृत्य दिव्यता लिए होती है। इनकी हर अदा से प्रभावशालिता की दिव्य रश्मियाँ प्रकीर्णित होती रहती हैं। इनकी प्रभावशालिता की दिव्य रश्मियाँ इस काम के लिए बहुत असरकारक सिद्ध हुई हैं। सारे अखबारों में इनकी इन्हीं दिव्यताओं की खबरें नियमित रूप से छपती रहती हैं। उस दिन अखबार वालों से शायद चूक हो गई होगी। श्री चारु चन्द सेन जी अखबार से अनुपस्थित थे। पेट खाली करने में बड़ी दिक्कत हुई। स्कूल समय पर नहीं पहुँच सका। प्राचार्य महोदय का व्यंग्य सहना पड़ा।

दूसरा समाचार सरकारी तंत्र में किसी घोटाले का और तीसरा किसी बलात्कार का होना जरूरी है। निराश होने की जरूरत नहीं है। इन खबरों के बिना अब कोई अखबार छपता ही नहीं है। इन खबरों को पढ़कर दिल, दिमाग और पेट सहित शरीर की सारी नसें ऐंठने लगती हैं। नसों का ऐंठना अच्छे विरेचन का संकेत हैं। कुछ ही पलों में पेट और दिमाग, दोनों का पूरी तरह विरेचन हो जाता है। पेट और दिमाग दोनों ही खाली और तनाव रहित हो जाते हैं। मेरा खाली दिमाग अपने महान् भारतीय संस्कृति पर गर्व करके ताजे गुलाब की तरह खिल उठता है।

सोचता हूँ, इन खबरों को पढ़कर मेरी भुजाओं की नसें कब फड़केंगी।
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kuber
9407685557

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