मंगलवार, 7 अप्रैल 2015

आलेख

खुमान साव को सम्मानित करने का समय कब आयेगा?


छत्तीसगढ़ी लोकसंगीत अथवा चंदैनीगोंदा का नाम आते ही खुमानलाल साव का व्यक्तित्व प्रकाशित होने लगता है। दाऊ रामचन्द्र देशमुख के बाद चंदैनीगोंदा को वे अब तक संभाले हुए हैं। विगत तेईस वर्षों से ग्राम रवेली में मदराजी महोत्सव उन्हीं के मार्गदर्शन में संपन्न हो रहा है। जयंती यादव, कविता वासनिक, सुनील तिवारी जैसे लोकगीत और लोककला के साधकों, तथा अन्य अनेकों कलाकारों को मैंने उनके सामने श्रद्धा से शीश झुकाते हुए देखा है। ग्राम ठेकवा स्थित उनका आवास इन कलाकारों के लिए किसी तीर्थ से कम नहीं है। लोककलाकार उनका सम्मान करके खुद को धन्य मानते हैं। 

छत्तीसगढ़ी लोककला-लोकसंगीत को खुमान साव का अवदान तथा खुमान साव की प्रतिभा आज किसी से छिपी नहीं है। छत्तीसगढ़ का कोई भी व्यक्ति इससे अनजान नहीं है। 

जीवन ऊर्जासंतुलन का नाम है। शरीर और प्रकृति (वातावरण) के बीच ऊर्जा का संतुलित और सतत प्रवाह होता रहता है। शरीर प्रकृति से जितना लेता है, उतना ही वह प्रकृति में मुक्त भी करता है। ऊर्जा प्रवाह का संतुलन बिगड़ने से शरीर का क्रमिक क्षय होने लगता है।

खुमान साव के संदर्भ में कहें तो 85 वर्ष की अवस्था में यद्यपि वे आज भी ऊर्जावान बने हुए हैं, कला की आभा उनके मुखमण्डल पर देखी जा सेकती है, परन्तु उनके अवदानों के परिप्रेक्ष्य में देखें तो ऊर्जा प्रवाह के संतुलन को बनाये रखने के लिए अब समय आ गया है कि उनके अवदानों के लिए राज्य सरकार भी उनका समुचित सम्मान करे, योग्य अलंकरण से उन्हें अलंकृत करे। खुमान साव उत्कट स्वाभिमानी प्रकृति के इन्सान हैं। किसी सम्मान अथवा अलंकरण के लिए वे अपनी योग्यताओं का विज्ञापन हरगिज नहीं करेंगे। अपने अवदानों के लिए वे कभी भी, किसी भी प्रकार के सम्मान अथवा पुरूस्कार की मांग नहीं करेंगे। शासन से अपेक्षा है कि श्री खुमान साव को अलंकृत करने की दिशा में विचार करे।

निवेदक
कुबेर

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