गीत - अँखियाँ भूल गयी है सोना, गीतकार - भरत व्यास, संगीतकार - बसंत देसाई, फिल्म - गूँज उठी शहनाई (1959)
अँखियाँ भूल गयी है सोना।
दिल पे हुआ है जादू टोना।
शहनाईवाले तेरी शहनाई रे करेजवा को
चीर गयी, चीर गयी, चीर गयी।
अब दिन ये कैसे गोरी आये।
छुप-छुप के मिलना मन भाये।
सखियों से काहे अब चोरी।
बंध गई रे प्रीत की डोरी।
कोई जुल्मी सँवरिया की, तिरछी नजरिया हो
मार गयी, मार गयी, मार गयी।
अँखियाँ भूल गयी है सोना ............
सखियाँ न मार मोहे ताने।
जिसकी न लगी वो क्या जाने।
भूल जाओगी, भूल जाओगी, ...
भूल जाओगी करना ये ठिठोली।
कोई मिल गया जो हमजोली।
कैसे बच के रहोगे, आहें भर के कहोगे,
मैं तो हार गयी, हार गयी, हार गयी।
अँखियाँ भूल गयी है सोना.............
आपस में मिलते दीवाने।
और हमसे हो रहे बहाने
चितवन कमान पे जो ताने।
वो बाण हमने पहचाने।
नजरों की ये बातें, चोरी-चोरी मुलाकातें,
हम जान गयी, जान गयी, जान गयी।
अँखियाँ भूल गयी है सोना.................
अँखियाँ भूल गयी है सोना।
दिल पे हुआ है जादू टोना।
शहनाईवाले तेरी शहनाई रे करेजवा को
चीर गयी, चीर गयी, चीर गयी।
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