बुधवार, 27 अप्रैल 2016

कविता

रोटी का गोल होना


रोटी का गोल होना
रोटी होना नहीं है
जैसे -
तवा, सूरज और चांद का गोल होना
रोटी होना नहीं है

रोटी का होना, गोल होना नहीं है

रोटी का होना
सभ्यता और संस्कारों का होना है
रोटी का होना
भाषा और साहित्य का होना है
रोटी का होना
कला और संगीत का होना है
रोटी का होना
धर्म और दर्शन का होना है

रोटी का होना
ईश्वर और देवताओं का होना है

रोटी का होना
मनुष्यता का होना भी हो पायेगा?

रोटी आजकल सचमुच गोल हुई जा रही है

रोटी को गोल होने से बचाना
सभ्यता, संस्कार, भाषा, साहित्य
कला, संगीत, धर्म, दर्शन
ईश्वर और देवताओं को बचाने से
अधिक जरूरी है

रोटी को बचाना, मनुष्यता को बचाना है।
00
कुबेर

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें