सोमवार, 4 अप्रैल 2016

आलेख

पूजा 

मेरा विवेक कहता है - ’धर्म दो तरह के हैं। पहला वह, जो प्राकृतिक और सवयंभू है और दूसरा वह जिसे मनुष्यों ने बनाया है। ईश्वर भी दो तरह के हैं - पहला, जो प्राकृतिक और सवयंभू है, जिसने ब्रह्माण्ड को बनाया, हमें बनाया और दूसरा जिसे हम मनुष्यों ने बनाया है। मेरी आस्था पहले पर है।’
प्रकृति का साहचर्य होना, प्रकृति से प्रेम करना, प्रकृति की रचनाओं को आदर देना-उनका सम्मान करना ही सबसे बड़ा धार्मिक कृत्य है। और यही ईश्वर की पूजा भी।

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