मंगलवार, 9 जनवरी 2018

व्यंग्य

2050 में

आजकल मेरा दिमाग सरकने लगा है। कभी-कभी नींद में भी सरक जाता है। आज ऐसा ही हुआ। नींद में मुझे 2050 के किसी प्रतियोगी परीक्षा में पूछे जानेवाले एक प्रश्न और प्रतियोगियों द्वारा लिखे गये उस प्रश्न के उत्तर की उत्तर पुस्तिकाएँ दिखने लगी जो इस प्रकार थी - ’’किसी प्राचीन ग्रंथ के इस अंश का अध्ययन कीजिए - ’लड़कपन खेल में खोया, जवानी नींदभर सोया, बुढ़ापा देखकर रोया।’ इस अंश पर आप अपने विचार तथ्यात्मक रूप में प्रस्तुत कीजिए।’’ 
प्रतियोगियों के उत्तर इस प्रकार थे -

1. दिये गये सेन्टेंस की स्क्रिप्ट और लैंगुएज से पता चलता है कि यह अधिक ओल्ड नहीं है। लगभग ट्वन्टीएथ सेंचुरी के फोर्थ-फीफ्थ डेकेड का लगता है। 

2. इस सेन्टेंस के एकोरडिंग होल ह्यूमेन लाइफ को तीन सेगमेंन्ट्स - बचपन, जवानी और बुढ़ापा में डिवाइड किया गया है। 

3. इस सेन्टेंस के फर्स्ट सेगमेंन्ट में बचपन और खेल का रिफरेंस दिया हुआ है। उस समय ह्यूमेन लाइफ में लोग पहले बचपन की स्टेज से गुजरते थे। इतना ही नहीं, बचपन को खेल में वेस्ट भी करते थे। क्या बच्चों के लिए उस समय कंप्यूटर जैसी किसी इलेक्ट्रानिक डिवाइस बनाई जा चुकी थी? यह मोस्ट अमेजिंग इंन्सिडेंट लगता है। द फर्स्ट थिग - उस समय बचपन को इतना इम्पोर्टेन्स दिया जाता था, एण्ड सेकंड इज, उस समय के बच्चों के पास खेलने के लिए खेल भी होते थे और टाइम भी। यह एक हैरान करनेवाली इन्फरमेशन है।

4. इस सेन्टेन्स के दूसरे क्लाज में जवानी और नींद का रिफरेंस मिलता है। यह इन्फरमेशन तो और भी अनबिलिविएबल है कि उस समय के जवानों को नींद आती थी। वे सो भी सकते थे।

5. इस सेन्टेंस के अंतिम क्लाज में बुढ़ापा देखकर रोने का रिफरेंस है।  लगता है कि उस समय बूढ़ों को इम्पोरटेन्स दिया जाता था। उन्हें बर्डन और बेकार नहीं समझा जाता था। एण्ड दिस इज रिमार्केबल थिंग - चाहे रोकर ही सही, उस समय के बूढ़े अपना जीवन जी लेते थे। 

6. कन्क्लूजन यह कि यह सेन्टेंस टू मच अमेजिंग एण्ड अनबिलीविएबल इन्फरमेशन्स से भरा हुआ है। इस सेन्टेन्स में दी गई इन्फरमेशन्स पर इन्टेन्सिव रिसर्च की जरूरत है। रिअली, क्या उस समय इस तरह की बातें होती होंगी?
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