सोमवार, 12 जनवरी 2015

कविता

एक खूबसूरत नगमा


फिल्म: शमा (1961)
गीत: कैफे आज़मी
संगीत: गु़लाम मोहम्मद
स्वर: सुरैया

धड़कते दिल की तमन्ना हो, मेरा प्यार हो तुम।
मुझे क़रार नहीं, जब से बेक़रार हो तुम।

खिलाओ फूल किसी के, किसी चमन  में रहो,
जो दिल की राह से गुजरी वो बहार हो तुम।

ज़हेनसींब अता की जो दर्द की सौग़ात,
वो ग़म हसीन है जिस ग़म के ज़िम्मेदर हो तुम।

चढ़ाऊँ फूल या आँसू तुम्हारे क़दमों में,
मेरी वफ़ाओं की उल्फत की यादगार हो तुम।
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