POCSO ACT, 2012
’’बच्चे देश के भविष्य हैं’’
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012
(14 नवंबर 2012 से प्रभावी)
यथा संशोधित
दण्ड विधि (संशोधन) अधिनियम, 2013
(03. 02. 2013 से प्रभावी)
प्रचलित नाम
POCSO ACT, 2012
THE PROTECTION OF CHILDREN FROM SEXUAL OFFENCES ACT, 2012
w.e.f.14th November,2012
As amended
CRIMINAL LAW (AMENDMENT) ACT, 2013
w.e.f. 03rd February, 2013
सामान्य परिचय
The UN Convention on the Rights of the Child, 1989 (UN - CRC) संयुक्त राष्ट्र की महासभा द्वारा 1989 में बालकों के अधिकारों से संबंधित सम्मेलन में अंगीकार किये गये प्रस्ताव, जिसमें बालक के सर्वोत्तम हित को सुरक्षित करने के लिए सभी राज्य पक्षकारों द्वारा पालन किये जाने वाले मानकों को विहित किया गया है, उसे भारत सरकार द्वारा 11 दिसंबर 1992 को स्वीकार किया गया है
प्रस्ताव की मूल भावनाएँ
बालक के उचित विकास के लिए उसकी निजता और और गोपनीयता के अधिकार का संरक्षण किया जाय
बालक के सर्वोत्तम हितों और कल्याण को अधिक महत्व दिया जाय
बालक के शारीरिक स्वास्थ्य, भावात्मक, बौद्धिक और सामाजिक विकास को सुनिश्चित किया जा सके।
बालकों का लैंगिक शोषण और लैंगिक दुरुपयोग जघन्य अपराध है, और उन पर प्रभावी रूप से कार्यवाही की जाए।
बालकों के विरुद्ध लैंगिक अपराध
प्रवेशन लैंगिक हमला -
बालक के योनि, मुँह, मूत्रमार्ग या गुदामार्ग में किसी भी चीज का किसी भी सीमा तक प्रवेश कराना या बालक से उसके साथ या किसी अन्य व्यक्ति के साथ ऐसा करवाना; या इन अंगों पर मुँह लगाना;
प्रवेशन लैंगिक हमला के लिए दण्ड -
कारावास जिसकी अवधि सात साल से कम नहीं होगी किन्तु जो आजीवन कारावास तक हो सकेगी और जुर्माना
गुरूतर प्रवेशन लैंगिक हमला -
पुलिस अधिकारी, सशस्त्र बल या सुरक्षा बल के सदस्य, लोक सेवक, जेल, संरक्षण गृह, संप्रेषण गृह या बालकों की अभिरक्षा या देखभाल के किसी भी संस्थान के कर्मचारी, सरकारी या निजी अस्पताल के प्रबंधक या कर्मचारीवृंद, शैक्षणिक संस्था या धार्मिक संस्था के किसी कर्मचारीवृंद द्वारा प्रवेशन लैंगिक हमला
प्रवेशन लैंगिक हमला जिससे बालक शरीरिक अथवा मानसिक रूप से असक्त हो जाता है, रोगी हो जाता है, उसके जननांगों को क्षति पहुँता हो, हथियार के बल पर किया गया हो
प्रवेशन लैंगिक हमला के समय हत्या का प्रयास किया हो
प्रवेशन लैंगिक हमला के द्वारा बालिका की दशा में यदि वह गर्भवती हो जाय;
गर्भवती बालिका के साथ प्रवेशन लैंगिक हमला
बारह वर्ष की कम आयु के बालक साथ प्रवेशन लैंगिक हमला
बालक के अभिभवक, संरक्षक या नाते-रिश्तेदार द्वारा प्रवेशन लैंगिक हमला
गुरूतर प्रवेशन लैंगिक हमला के लिए दण्ड -
कारावास जिसकी अवधि दस साल से कम नहीं होगी किन्तु जो आजीवन कारावास तक हो सकेगी और जुर्माना
लैंगिक हमला और उसके लिए दण्ड
लैंगिक हमला
जो कोई लैंगिक आशय के साथ बालक की योनि, लिंग, गुदा या स्तनों को छूता है या बालक को ऐसे व्यक्ति या अन्य व्यक्ति की योनि, लिंग, गुदा या स्तन छूने के लिए तैयार करता है या लैंगिक आशय के साथ ऐसा कोई अन्य कार्य करता है जिसमें प्रवेशन किये बिना शारीरिक संपर्क अंतग्र्रस्त होता है, उसके द्वारा लैंगिक हमला किया गया माना जायेगा।
लैंगिक हमले के लिए दण्ड
कारावास जिसकी अवधि तीन वर्ष से कम नहीं होगी किन्तु जो पाँच वर्ष तक हो सकेगी और जुर्माने से भी दण्डनीय।
गुरूतर लैंगिक हमला और उसके लिए दण्ड
गुरूतर लैंगिक हमला
पुलिस अधिकारी, सशस्त्र बल या सुरक्षा बल के सदस्य, लोक सेवक, जेल, संरक्षण गृह, संप्रेषण गृह या बालकों की अभिरक्षा या देखभाल के किसी भी संस्थान के कर्मचारी, सरकारी या निजी अस्पताल के प्रबंधक या कर्मचारीवृंद, शैक्षणिक संस्था या धार्मिक संस्था के किसी कर्मचारीवृंद द्वारा प्रवेशन लैंगिक हमला
प्रवेशन लैंगिक हमला जिससे बालक शरीरिक अथवा मानसिक रूप से असक्त हो जाता है, रोगी हो जाता है, उसके जननांगों को क्षति पहुँता हो, हथियार के बल पर किया गया हो
प्रवेशन लैंगिक हमला के समय हत्या का प्रयास किया हो
प्रवेशन लैंगिक हमला के द्वारा बालिका की दशा में यदि वह गर्भवती हो जाय;
गर्भवती बालिका के साथ प्रवेशन लैंगिक हमला
बारह वर्ष की कम आयु के बालक साथ प्रवेशन लैंगिक हमला
बालक के अभिभवक, संरक्षक या नाते-रिश्तेदार द्वारा प्रवेशन लैंगिक हमला
गुरूतर लैंगिक हमले के लिए दण्ड
कारावास जिसकी अवधि पाँच वर्ष से कम नहीं होगी किन्तु जो सातवर्ष तक हो सकेगी और जुर्माने से भी दण्डनीय।
लैंगिक उत्पीड़न और उसके लिए दण्ड
लैंगिक उत्पीड़न
किसी व्यक्ति द्वारा किसी बालक पर लैंगिक उत्पीड़न किया गया है जब ऐसा व्यक्ति -
लैंगिक आशय से कोेई शब्द कहता है या ध्वनि या अंग विक्षेप करता है या कोई वस्तु या शरीर का कोई भाग प्रदर्शित करता है।
लैंगिक आशय से उस व्यक्ति द्वारा किसी अन्य व्यक्ति द्वारा बालक को अपने शरीर या शरीर का कोई भाग प्रदर्शित करने के लिए कहता है।
बालक को अश्लील साहित्य दिखाना
बालक का पीछा करना
बालक से संपर्क बनाने का प्रयास करना
अश्लील प्रयोजनों के लिए बालक को प्रलोभन देना या परितोषण करना।
लैंगिक उत्पीड़न के लिए दण्ड
कारावास जिसकी अवधि तीन वर्ष तक हो सकेगी और जुर्माने से भी दण्डनीय।
अश्लील साहित्य के प्रयोजनों के लिए बालक का उपयोग और उसके लिए दण्ड
अश्लील साहित्य के प्रयोजनों के लिए बालक का उपयोग
जो कोई किसी बालक का उपयोग मीडिया के किसी प्रारूप में लैंगिक परितोषण, जिसके अंतर्गत -
जननेन्द्रिय का प्रदर्शन
वास्तविक या नकली लैंगिक कार्य
अशोभनीय या अश्लीलतापूर्ण प्रदर्शन के लिए करता है इसके अंतर्गत दोषी होगा।
जननेन्द्रिय का प्रदर्शन
वास्तविक या नकली लैंगिक कार्य
अशोभनीय या अश्लीलतापूर्ण प्रदर्शन के लिए करता है इसके अंतर्गत दोषी होगा।
अश्लील साहित्य के प्रयोजनों के लिए बालक का उपयोग और उसके लिए दण्ड
कारावास जिसकी अवधि पाँच वर्ष से कम नहीं होगी किन्तु जो दस वर्ष तक हो सकेगी और जुर्माने से भी दण्डनीय।
बालक को अंतग्र्रस्त करने वाले अश्लील साहित्य के भंण्डारण के लिए दण्ड
तीन वर्ष तक का कठोर कारावास और जुर्माना
दुष्प्रेरण और किसी अपराध को कारित करने का प्रयास और उसके लिए दण्ड
मामलों की रिपोर्ट करने की प्रक्रिया
अपराधों की रिपोर्ट करना
कोई भी व्यक्ति (जिसके अंतर्गत बालक भी हैं) जिसे यह आशंका है कि इस अधिनियम के अधीन कोई अपराध किये जाने की संभावना है या यह जानकारी रखता है कि ऐसा कोई अपराध किया गया है, वह निम्नलिखित को ऐसी जानकारी उपलब्ध करायेगा -
(क) विशेष किशोर पुलिस युनिट, या
(ख) स्थानीय पुलिस।
सूचना देने वाले को रिपोर्ट पढ़कर सुनाया जायेगा।
यदि रिपोर्ट बालक द्वारा दी गई है तो रिपोर्ट सरल भाषा में अभिलिखित किया जायेगा, जिसे बालक समझ सके।
विशेष किशोर पुलिस युनिट, या स्थानीय पुलिस को यह समाधान होने पर कि वह बालक जिसके विरुद्ध अपराध किया गया है, उसे देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता है, 24 घंटे के अंदर बालक को संरक्षण गृह या अस्पताल में भर्ती करेगी तथा बालककल्याण समिति (CHILD WELFARE COMMITTEE) और विशेष न्यायालय को सूचित करेगी।
मामलों की रिपोर्ट करने के लिए मीडिया, स्टूडियो और फोटो चित्रण सुविधाओं की बाध्यता
मामले की रिपोर्ट करने या अभिलिखित करने में विफल रहने के लिए 6 माह से एक वर्ष तक तक का कारावास या जुर्माना हो सकता है।
बालक के कथनों को अभिलिखित करने के लिए प्रक्रिया
बालक के कथन का अभिलिखित किया जाना
बालक के निवास या उसके पसंद के स्थान पर उप-निरीक्षक से अन्यून किसी स्त्री पुलिस अधिकारी द्वारा।
पुलिस अधिकारी वर्दी में नहीं रहेगा।
बालक अभियुक्त के संपर्क में न आए
बालक को रात में पुलिस स्टेशन में निरुद्ध नहीं किया जायेगा।
बालक की पहचान संरक्षित रखा जायेगा जब तक कि बालक के हित में विशष न्यायालय द्वारा अन्यथा निर्देशित न किया गया हो।
मजिस्टेªट द्वारा बालक के कथन का अभिलेखन
बालक द्वारा बोले गए अनुसार कथन अभिलिखित किया जायेगा।
विशेष न्यायालय
प्रत्येक जिले के लिए इस अधिनियम के अधीन अपराधों का विचारण करने के लिए सेशन न्यायालय एक विशेष न्यायालय होगा ।
विशेष लोक अभियोजक
प्रत्येक न्यायालय में एक विशेष लोक अभियोजक की नियुक्ति होती है।
इस अधिनियम के अधीन किसी अपराध का विचारण करते समय अभियुक्त को दंड प्रक्रिया संहिता के अधीन उसी विचारण में आरोपित किया जा सकेगा
बालक द्वारा किसी अपराध के घटित होने और विशेष न्यायालय द्वारा आयु का अवधारण करने की दशा में प्रक्रिया बालक पर किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम,2000 के अधीन कार्यवाही की जायेगी विशेष न्यायालय द्वारा ऐसे बालकों की आयु का समाधान स्वयं किया जायेगा। विशेष न्यायालय द्वारा किया गया कोई आदेश मात्र आयु संबंधी पश्चातवर्ती किसी सबूत के कारण अविधिमान्य नहीं समझा जायेगा
बालक के साक्ष्य को अभिलिखित और मामले का निपटारा करने के लिए अवधि -
साक्ष्य का अभिलेखन तीस दिनों के भीतर किया जायेगा।
मामले का निपटारा एक वर्श के भीतर किया जायेगा।
विशेष न्यायालय यह सुनिश्चित करेगा कि बालक किसी भी प्रकार से साक्ष्य के अभिलिखित करते समय अभियुक्त के सामने प्रदर्शित नहीं किया गया है, जबकि उसी समय यह भी सुनिश्चित करेगा कि अभियुक्त उस बालक का कथन सुनने और अपने अधिवक्ता को सूचित करने की थिति में है।
विशेष न्यायालय मामलों का विचारण बंद कमरे में और बालक के माता-पिता या बालक के विश्वास और भरोसे के आदमी के समक्ष करेगा।
:प्रस्तुति:
कुबेर सिंह साहू (व्याख्याता)
शास. उच्च. माध्य. शाला कन्हारपुरी, वार्ड 33, राजनांदगाँव, छत्तीसगढ़
मो.: 9407685557
Gmail :- kubersinghsahu@gmail.com
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