बुधवार, 11 फ़रवरी 2015

कविता

 (1)
फिल्म - अनुपमा (1966)
निर्देशक - ऋषिकेश मुखर्जी
कलाकार - धर्मेन्द्र, शर्मिला टैगोर
गीत - कैफे आज़मी
संगीत हेमंत कुमार
स्वर - लता मंगेशकर

धीरे-धीरे मचल, ऐ दिले बेक़रार, कोई आता है।
यूँ तड़प के न तड़पा मुझे बार-बार, कोई आता है।

उसके आने की खु़शबू हवाओं में है।
उसके कदमों की आहट फ़िजाओं में है।
मुझको करने दे, करने दे सोलह श्रृँगार
कोई आता है।

मुझको छूने लगी उसकी परछाइयाँ।
दिल के नज़दीक बजती है शहनाइयाँ।
मेरे सपनों के आंगन में गाता है प्यार
कोई आता है।

रूठ कर पहले जी भर सताऊँगी मैं।
जब मनायेंगे वो मान जाऊँगी मैं।
दिल पे रहता है ऐसे में कब इख्तियार
कोई आता है।
000

(2)
फिल्म - हम दोनों
संगीत - जयदेव
गीत - साहिर लुधियानवी
स्वर - मोहम्मद रफी, आशा भोसले

अभी न जाओ छोड़कर, के दिल अभी भरा नहीं।

अभी-अभी तो आई हो, अभी-अभी तो,
अभी-अभी तो आई हो, बहार बन के छाई हो,
हवा ज़रा महक तो ले, नज़र ज़रा बहक तो ले,
ये शाम ढल तो ले ज़रा,
ये शाम ढल तो ले ज़रा, ये दिल संभल तो ले ज़रा,
मैं थोड़ी देर जी तो लूँ, नशे की घूँट पी तो लूँ
अभी तो कुछ कहा नहीं, अभी तो कुछ सुना नहीं।
अभी न जाओ छोड़कर, के दिल अभी भरा नहीं।

सितारे झिलमिला उठे, चि़राग जगमगा उठे,
बस अब न मुझको टोकना, न बढ़ के राह रोकना,
अगर मैं रुक गई अभी, तो जा न पाऊँगी कभी,
यही कहोगे तुम सदा, कि दिल अभी नहीं भरा,
जो ख़तम हो किसी जगह, ये एैसा सिलसिला नहीं।
अभी न जाओ छोड़कर, के दिल अभी भरा नहीं।

अभी नहीं, अभी नहीं।
नहीं, नहीं, नहीं, नहीं।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें