सोमवार, 1 जून 2015

आलेख

लाला सुखीराम के बही खाते

 

 ’मदर इण्डिया’ लोक की फिल्म है। इसमें अनेक मार्मिक बातें कही गई है। बिरझू जब लाला सुखीराम के बहीखाते में लिखे अक्षरों को पढ़ नहीं पाता, कोई भी ग्रामीण नहीं पढ़ पाता, तो वह पढी-लिखी नायिका से कहती है कि तू मुझे भी विद्या सिखा दे ताकि मैं लाला सुखीराम के बही खाते में लिखी उस विद्या को पढ़ सकूँ जिसने तीस सालों से हमारा जीवन नर्क बना रखा है। उस विद्या को पढ़ सकूँ जिसने हमारे हल छीने, हमारे बैल छीने, हमारी जमीनें छीनी, हमारे हिस्से का अनाज छीना, हमारे सुख और चैन छीने।
लोक की नजरों में, जीवन को नर्क बनाने वाली विद्याएँ समाज में सदा मौजूद रही हैं, आज भी मौजूद हैं, और ये सभी विद्याएँ लाला सुखीरम के बही खाते की उपज हैं। जो वेद-शास्त्र और पोथी पुराण हजारों सालों से स्वर्ग के सपने और नर्क का भय दिखाकर लोक-जीवन के वर्तमान को नर्क बना रहे हैं, वे क्या हैं? लाला सुखीराम के बही खाते ही न? लोक का दर्शन इस रहस्य को भी पहचानता है।

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