सोमवार, 12 दिसंबर 2016

कविता

व्युत्क्रम अनुपात


जब-जब, जितना-जितना
मंहगे और चटक वस्त्र ओढ़ते जाता हूँ
तब-तब, उसी अनुपात में
उतना ही अनावृत्त होते जाता हूँ।
वैज्ञानिक इसमें व्युत्क्रम अनुपात का नियम ढूँढेंगे।
नीयत के खोंटेपन के इन आयामों को
खोंटे नीयत के इन चलित दृश्यों को
पता नहीं आप क्या कहेंगे
समझ नहीं आता, मैं इसे क्या कहूँ
पर अपने व्यवहार-व्यापार की इस सच्चाई को मैं
पल-प्रतिपल जरूर देखता हूँ।
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