राजा की अभ्यर्थना में दो शब्द
हे राजन!
तुम महान हो।
तुम महान हो।
इस धरती पर तुम ईश्वर के रूप हो
इसलिए नहीं
इसलिए कि
ईश्वर जैसे विवादित अवधारणा से परे
अवधारणा नहीं तुम एकमात्र यथार्थ हो
इसलिए नहीं
इसलिए कि
ईश्वर जैसे विवादित अवधारणा से परे
अवधारणा नहीं तुम एकमात्र यथार्थ हो
कर नहीं सकता कोई दोष तुम्हें दूषित
हो नहीं सकता कोई पाप तुम पर साबित
नैतिकता और कानून से तुम मुक्त हो
सांसारिक अपराधों से असंपृक्त हो
हो नहीं सकता कोई पाप तुम पर साबित
नैतिकता और कानून से तुम मुक्त हो
सांसारिक अपराधों से असंपृक्त हो
तुम्हारे सलाहकार और मंत्री भी
उतने ही दिव्य हैं
क्योंकि,
वे ही देश हैं
वे ही दरवेश हैं
उनके लिए
जनता हव्य और औरतें भोग्य हैं
तुमसे भी अधिक वे योग्य हैं
उतने ही दिव्य हैं
क्योंकि,
वे ही देश हैं
वे ही दरवेश हैं
उनके लिए
जनता हव्य और औरतें भोग्य हैं
तुमसे भी अधिक वे योग्य हैं
हे राजन!
तुम महान हो।
तुम ही ज्ञेय हो
तुम ही ज्ञान हो।
000
कुबेर
तुम महान हो।
तुम ही ज्ञेय हो
तुम ही ज्ञान हो।
000
कुबेर
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें