वह शब्द है
बस!
एक शब्द हो निःसीम,
ब्रह्माण्ड की तरह
और
समाया हो समूचा ब्रह्माण जिसके भीतर।
एक शब्द हो प्राणमय
जीवन की तरह
और
समाया हो समूचा जीवन जिसके भीतर।
एक शब्द हो सम्वेदना-सिक्त
सम्वेदनाओं की तरह
और
समायी हो समूची सम्वेदनाएँ जिसके भीतर।
एक शब्द हो सर्वशक्तिमान
ईश्वर की तरह
और
समाहित जिसमें दुनिया के सारे ईश्वर
सारे धर्म, सारे ग्रंथ और सारे पंथ भी
अपनी समस्त लीलाओं के साथ जिसके भीतर।
बस!
अंत में एक शब्द और हो, आभामय
सूर्य की तरह
और
समाया हो समूचा ज्ञान जिसके भीतर।
आदिम परंपराओं को ढोने वाले
आदिम मनुष्य की आदिम संतानों
है ऐसा एक शब्द आपके पास?
सुना है
कबीर के पास था ऐसा एक शब्द
ढाई आखर वाला
जिसे पाकर वह मनुष्य बन गया था।
000
kuber
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