शनिवार, 22 अक्तूबर 2016

कविता

ब्रह्माण्ड का पहला इतिहास


यह हमें बताया गया है -
’अंधकार अज्ञानता का प्रतीक है’
इसीलिए इसे हम जानते हैं
इसे हम इसलिए नहीं जानते हैं कि
इसे हमने जाना है
हमने कभी कोशिश नहीं की
अंधकार को जानने की
’अंधकार को सदैव हमने
अज्ञानता के प्रतीक रूप मे ही जाना है’।

अंधकार किसका प्रतीक है?
और -
अंधकार क्या है?
दोनों भिन्न प्रश्न हैं
अंधकार को अज्ञानता का प्रतीक बताना
अंधकार को जानने के प्रयास की विफलता है
इसीलिए
अंधकार को जानने का दंभ भरना
अंधकार की और अधिक गहरी पर्त में दफ्न होना है।

ब्रह्माण्ड के पूर्व भी अँधकार था
ब्रह्माण्ड को अँधकार ने ही रचा था
अंधकार ने ब्रह्माण्ड रचकर
खुद का पहला इतिहास रचा था
समय के सफों पर
अपनी भाषा और अपनी लिपि में लिखा था
जिसे न तो कभी देखा गया
न पहचाना गया, न पढ़ गया

और इस तरह अंधकार को
कभी किसी के द्वारा नहीं जाना गया।

अंधकार को जाने बिना ब्रह्माण्ड को जानना
और दुनिया के बारे में कुछ भी जानना
दुनिया को अधूरा जानना है।

दुनिया के बारे मे
हमारी अब तक की सारी जानकारी
अधूरी और आधी जानकारी है।
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