सोमवार, 24 अक्तूबर 2016

टिप्पणी

इन्सानियत का अन्तकाल

जब से इस देश में पूँजीवाद का एकछत्र साम्राज्य शुरू हुआ है तब से 3,50,000 किसानों ने आत्महत्या की है। इतने किसानों की आत्महत्या ब्रिटिश राज में भी नहीं हुई थी। दुनिया के किसी देश में इतनी बड़ी संख्या में किसानों ने आत्महत्या नहीं की है। और क्या मजाल कि सरकार एक वाक्य बोले। जिसको राष्ट्रीय शोक या राष्ट्रीय शर्म का विषय बनना चाहिए उस पर चुप्पी के अलावा और कुछ नहीं। एक तरह से इन्सानियत के अन्तकाल का यहाँ मामला है।
(मैनेजर पाण्डेय, नया ज्ञानोदय, अक्टुबर 16, पृ. 137)

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