शनिवार, 4 नवंबर 2017

कहानी

एक प्रचलित कथा -

एकता का प्रयास

एक जंगल था। वहाँ के राजा शेर और सियार में बड़ी मित्रता थी। सियार अपनी धूर्तता से शिकार फाँसता। शेर शिकार करता। दोनों दावतें उड़ाते। एक बार दोनों में अनबन हो गई। सियार ने शेर को धमकाते हुए कहा - ’’मिस्टर शेर! तुम मुझे नहीं जानते। मुझसे दुश्मनी करके तुम यहाँ का राजा नहीं रह सकोगे।’’
शेर ने सियार की इस धमकी पर ध्यान नहीं दिया। इसकी सजा उसे भुगतना पड़ी। सियार चुप बैठनेवाला नहीं था। शेर को सबक सिखाने के लिए उसके शातिर खोपड़ी में पहले से ही कई योतजनाएँ उबालें मार रही थी। उसने वन्य प्राणियों को इकट्ठा करके समझाया - ’’भाइयों! युग बदल गया है। अब इस जगल में वंशवाद नहीं चलेगा। राजा का चुनाव प्रजातांत्रिक ढंग से होना चाहिए।’’
समस्त वन्य प्राणियों ने सियार का समर्थन किया।
प्रजा की मांग के आगे शेर राजा को झुकना पड़ा। राजा के चुनाव के लिए जंगल में मतदान हुआ। संख्या बल और सियार के तिकड़मों के चलते शेर को हराकर बंदर वहाँ का राजा बन गया।
शेर निराश नहीं हुआ। उसने पड़ोस के जंगल में जाकर अपना नया साम्राज्य कायम कर लिया। अब उसे जब भी भूख लगती, वह अपने इस नये साम्राज्य के पशुओं का शिकार नहीं करता। अपने पुराने साम्राज्य में घुस आता। छोटे जानवरों का बेरहमी से शिकार करता। जी भरकर उपद्रव करता, आतंक फैलाता और पेट भरकर लौट आता। शेर काफी शिकार छोड़ जाता। सियार इस पर मौज करता।
एक दिन एक डरी-सहमी हिरण ने बंदर राजा से फरियाद किया कि चलकर परिवार की रक्षा करें और आपना राजधर्म निभायें। शेर ने उसके परिवार पर हमला किया है।
बंदर अपनी तरह से उस हिरण के परिवार की रक्षा करने लगा। दांत किटकिटाता, इस पेड़ से उस पेड़ कूदता, हूप-हूप की आवाजें करता।
नीचे शेर आराम से शिकार करता रहा। हिरण का परिवार तबाह हो गया। हिरण ने कहा - ’’राजा होकर भी आपने शेर से मेरे परिवार की रक्षा नहीं की। लानत है आप पर।’’
बंदर राजा ने कहा - ’’तुम देख ही रही हो। क्या मैंने कोशिश नहीं किया? कोशिश करने में मैंने कमी किया हो तो बताओ?’’
’’व्यर्थ की बातें मत करो।’’ हिरण ने कहा, ’’शक्तिशाली का मुकाबला करने के लिए एकता चाहिए। एकता का प्रयास करो।’’
कहते हैं, बंदर राजा एकता के प्रयास में लगे हुए है।
000kuber000

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें