गुरुवार, 2 नवंबर 2017

आलेख

हँसते हुए चेहरे


अलग-अलग स्टाइल में मित्रों को हँसते हुए देखकर हँसने-मुस्कुराने से संबंधित कुछ मुहावरों की याद आ जाती है। जैसे - हँसना, खिसियानी हँसी हँसना, दिल खोलकर हँसना, जग हँसाई होना, ठहाके लगाना आदि। और याद आता है यह गाना - ’इतना जो तुम मुस्कुरा रहे हो, क्या गम है जिसको छिपा रहे हो।’

सोशल मीडिया पर भी दाँत दिखाते हुए बहुत सारे मित्र मौजूद हैं। ऊपर दिये गये मुहावरों में से कोई न कोई मुहावरा इन चेहरों पर बिलकुल सटीक बैठता है। स्वाभाविक रूप से हँसता हुआ चेहरा हँसने-मुस्कुराने से संबंधित सभी मुहावरों को धता बताता हुआ बिलकुल ही अलग दिखता है। स्वाभाविक हँसी प्रकृति की गोद से फूटते हुए झरनों के समान होती है।

’हर फिक्र को धुएँ में’ उड़ानेवालों अर्थात बीड़ी या सिगरेट पीनेवालों में दो चेहरे बढ़े प्रसिद्ध हुए हैं। एक देव साहब हैं, सदा चमकनेवाली दुनिया के चमकते हुए सितारे। बीड़ी पीकर आभिजात्यपन को दागदार नहीं बनाया जा सकता, लिहाजा वे सिगरेट पीते है और सिगरेट पीने के औचित्य को सिद्ध करते हुए बड़े मधुर शब्दों में बार-बार दुहराते हुए कहते हैं - ’हर फिक्र को धुएँ में’ उड़ाता चला गया।’ हर फिक्र को उड़ाने की कोशिशों में धुआँ जरूर उड़ता हुआ दिखता है परंतु फिक्र नहीं। फिक्र तो कहीं और अधिक गहराई में पैठता हुआ, जमता हुआ लगता है। 

दूसरे हैं - जनता के कवि, मुक्तिबोध। अभावों को धता बता-बताकर जीनेवाला यह महान कवि कहीं से भी फिक्र को धुएँ में उड़ाते हुए नहीं दिखते। ये तो बीड़ी के हर कश के साथ दुनिया के तमाम फिक्रों को अपने अंदर जप्त करते हुए प्रतीत होते हैं। बीड़ी के हर कश के साथ दुनिया के तमाम फिक्रों के प्रति दुनिया को सचेत करते हुए दिखते हैं। मुक्तिबोध का बीड़ी पीना मुझे शिव के हलाहल पीने की तरह लगता है। 

अपनी किताबों के बाहर के पृष्ठों पर बैठे हुए परसाई के चेहरे को भूल पाना संभव नहीं है। नश्तर के समान चुभनेवाली और मनुष्य तथा उसके समाज का बेरहमी से पोस्टमार्टम करनेवाली उनकी आँखों में झाँकने के लिए हिम्मत चाहिए। उनकी आँखों से आँखें मिलाते ही आपके अंदर की सारी कुटिलताएँ एक-एककर बाहर उछलने लगती हैं। और तब परसाई हँसते हुए कहते हैं - कैसे हो जनाब। परसाई की आत्मा कबीर की प्रेरणाओं से बनी हुई हैं। परसाई आँखों से हँसते हैं।   

परसाई और मुक्तिबोध का हँसना हम सबके हँसी के खोखलेपन को उजागर कर देती हैं। हँसते हुए इन चेहरों को प्रणाम।
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