सोमवार, 6 नवंबर 2017

व्यंग्य

मित्रों के बोल-नमूने

नमूना - 8
मोहल्ला मीडिया

रोज सुबह-शाम मिलने-जुलनेवाले एक मित्र हैं। जब भी मिलते हैं चेहरे पर कोई न कोई दुख और तनाव लेकर ही मिलते हैं। हमेशा दुखी दिखनेवाले इस मित्र को लोगों ने एक निकनेम दिया है - शोकशोगान। स्थानीय भाषा में शोकशोगान  का अर्थ होता है - शोक में डूबा हुआ। शोकशोगान की अनुपस्थिति में उसका चरित्र मित्रमंडली में आनंद और मनोरंजन का प्रमुख श्रोत होता है। 

आज की बात है। सुबह की हवाखोरी के समय शोकशोगानजी से मुलाकात हो गई। बड़े प्रसन्न और तनावरहित दिख रहे थे। उसकी इस छबि को देखकर मुझे भी प्रसन्नता हुई। जिज्ञासा भी हुई। औपचारिक अभिवादन के पश्चात् मैंने पूछा - ’’आज तो गजब ढा रहे हो मित्र! कारण क्या है?’’

मित्र ने कहा - ’’भाई साहब! महीनों बाद आज पेट पूरी तरह साफ हुआ है।’’

शोकशोगानजी को उसकी इस उपलब्धि पर मैंने बधाई दी। 

शोकशोगानजी जल्दी में थे। बधाई लेकर आगे बढ़ गये। 

घंटेभर बाद घर लौटने पर पत्नी ने कहा - ’’सुनते हो! पड़ोसन बता रही थी, शोकशोगानजी आज बड़े खुश हैं। महीनों बाद उन्हें खुलकर दस्त हुआ है।’’

मोहल्ले में खबरें सोशल मीडिया से भी अधिक तेजी से वायरल होती हैं।
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