शनिवार, 23 फ़रवरी 2019

कविता

आदमी को भी छानने का प्रयास होना चाहिए


आओ एक छनना बनाएँ
बहुत बड़ा
और उसमें डालें
सूख चुकी सारी नदियों को
और प्रतीक्षा करें
कुछ बूंद पानी के निथर आने की।
और फिर
उन नदियों को भी डालें
जिनका जल
डबरे की जल की तरह हो गया है
कि वह हो जाए पीने लायक।
और इसी तरह फिर हवाओँ
और मिट्टी को भी।
पर पहले
उन कारणों को छानें
जिनके ये परिणाम हैं
आदमी को भी छानने का प्रयास होना चाहिए।
-- कुबेर

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