रविवार, 2 जून 2019

अनुवाद

18. एक गूढ़ प्रवृत्ति
AN ENIGMATIC NATURE

(छत्तीसगढ़ी अनुवाद - कुबेर)

रेलगाड़ी के प्रथम श्रेणी डब्बा के लाल मखमलवाले सीट म एक झन सुंदर महिला अधलेटी हो के बइठे रिहिस। वोकर हाथ म एक ठन महँगा रोएँदार पंखा रिहिस जउन ल वोहर रहि-रहि के डोलवत रहय, वोकर नानचुक सुंदर नाक म कमानीदार चस्मा चढ़े रहय, वोकर छाती के हार ह समुद्र म तंउरत डोंगा कस खाल्हे-उप्पर होवत रहय। वोहर बहुत जादा उत्तेजित हालत म रिहिस।

वोकर आगू वाले सीट म बिसेस आयोग के प्रांतीय सचिव हर बइठे रिहिस। वोहर एक नवा, जवान लेखक रिहिस अउ समय-समय म आदर्स जीवन के लंबा-लंबा कहानी लिख-लिख के, जउन ल वोहर 'लघु उपन्यास’ कहय, प्रांत के सबले बड़े अखबार म छपवावत रहय। वोहर वो महिला के चेहरा ल जानबूझ के एक विसेसज्ञ के नजर ले, टकटकी लगाके देखत रहय। वोहर वोकर दुरलभ उत्तेजित चेहरा के गूढ़ प्रवृत्ति के एक-एक ठन रंग-ढंग के परख करत रिहिस अउ समझे के कोसिस करत रिहिस। वोला सब समझ म आ गिस, वोकर थाह ले डरिस। जउन हर वोकर आगू म लेटे रिहिस वोकर आत्मा, वोकर मनोवृत्ति,  वोला सब समझ म आ गिस।

’’ओह, मंयहर सब समझ गेंव, मंयहर आप ल अच्छा ढंग ले, आपके मन के भीतरी तह तक समझ गेंव।’’ बिसेस आयोग के प्रांतीस सचिव हर वोकर हाथ ल वोकर कंगन तीर चूमत किहिस, ’’आपके भावुक, द्रवित आत्मा हर ........ के चक्रव्यूह ल टोर के भागे के कोसिस करत हे, आपके मन म चलनेवाला कसमकस ह बड़ा भयानक अउ दुखदायी हे। पन आप धीरज मत खोवव, निरास झन होवव। जीत आपेच के होही, हाँ।’’

’’मोर बारे म लिख, वोल्देमार!’’ निरास हँसी हाँसत सुंदर महिला हर किहिस, ’’मोर जीवन बेहद संपन्न हे, सब साधन हे, सुख-सुविधा ले भरे पड़े हे, अतका सब होय के बावजूद मंयहर दुखी हंव। मंयहर दोस्तोवस्की के उपन्यास के दुखी आत्मा के समान हंव। मोर आत्मा के दुखित होय के रहस्य का हे, वोल्देमार, मोला बता। मोर आत्मा ल कब्जा करनेवाला प्रेत ला बाहिर निकाल। आपमन ह मनोवैज्ञानिक हरव। अभी संग म सफर करत घंटाभर घला नइ होय हे अउ आपमन मोर मन के थाह ले डरेव।’’

’’मोला अपन बारे म सब बात ल बतावव, मंयहर आप ल परेसान करहूँ, बतावव।’’

’’त सुन, मोर बाप हर क्लर्क जइसे छोटे पद म रिहिस। हिरदे ले वोहर बहुत अच्छा रिहिस, बहुत समझदार रिहिस, पन जमाना के रंगढंग - वोकर तीर-तखार के माहौल - आप समझ गेव न? ...... मंयहर अपन गरीब बाप ल कोनो दोस नइ देवत हंव, वोहर सराब पीइस, जुआ खेलिस, घूस लिस। मोर माँ रिहिस - पन वो का कहितिस? गरीबी अउ रोज के रोटी के संघर्ष - वोकर आत्मा ल कमजोर बना दे रिहिस। आह, ये सब ल सुरता करे बर मोला मजबूर झन कर। मोला अपन भविस्य खुद बनाना रिहिस। बोर्डिंग स्कूल के राक्षसी पढ़ाई के बारे म आप जानथव, मूर्खतापूर्ण उपन्यास मन के पढ़ाई, जवान होवत उमर के पहिली गलती, मन म प्यार के पहिली कसक। जीवन के अस्थिरता अउ जीवन म आत्मविस्वास खोय के दरद, चाहे कोनो होय, ये सब बहुत भयानक रिहिस। आह! आप लेखक हव। आप हमर जइसे महिला के दुख ल बने ढंग ले समझथव। आप समझ सकथव। आपेआप मोर सुभाव म उलझाव आ गिस। मोला खुसी के तलास रिहिस - पन वो खुसी मोला मिलिस? मोला अपन आत्मा के सुतंत्रता के चाह रिहिस! हाँ इही रद्दा म मोला अपन जीवन के खुसी दिखिस।’’

’’आप एक पुण्यात्मा हरव।’’ लेखक हर टुड़बुड़ाइस अउ कंगन तीर वोकर हाथ ल चूम लिस। मंय हर आप ल चूमत नइ हंव, भलुक ये हर दुखी मानवता खातिर हरे। आप ल रस्कोलनिकोव अउ वोकर चुंबन के सुरता हे?’’

’’ओह, वोल्देमार, मंय हर गौरव हासिल करे खातिर तरसत हंव। यश, सफलता अउ अइसन चीज हर विनीतभाव ल काबर प्रभावित करथे? हर व्यवहार सामान्य ले ऊपर। मंयहर कुछ असाधारण चीज प्राप्त करे खातिर तरसत हंव, एक सामान्य महिला ले बहुत ऊपर के उपलब्धि हासिल करे के कोसिस करेंव। अउ तब .. अउ तब, तब कोनो न कोनो मोर रस्ता म आ गिस। एक झन बुढ़वा जनरल, बहुत अच्छा आदमी। मोला समझे के कोसिस करव,वोल्देमार! येला मोर आत्म बलिदान अउ त्याग के रूप म आप देखव। येकर ले जादा मंय अउ कुछू नइ कर सकत रेहेंव। मंय हर वोकर परिवार ल सुखी बना के अच्छा जीवन देय के प्रयास करेंव। मंय हर अउ कतका सहितेंव, कतका विद्रोह करतेंव, वो सब मोर खातिर घिनौना रिहिस, जउन वोकर संग रेहेंव। हालाकि मंयहर वोकर प्रति ईमानदार रेहेंव। वहू हर अपन डहर ले ईमानदारी ले कोसिस करिस। कुछ पल.... बड़ा भयानक होथे, .. पन मोर मन म ये विचार रिहिस कि बुढ़वा के मौत होय के बाद मंय हर अपन मन के मालिक हो जाहंव। मनपसंद आदमी ल अपन आप ल सौंप के मंय खुस हो जाहंव। एक आदमी अइसन हे, वोल्डेमार, सच म। हे उहाँ।’’

वो सुंदर महिला हर अपन हाथ के पंखा ल रटठा के घुमाय लगिस। वोहर रोनहू हो गिस। आगू केहे के सुरू करिस, ’’अउ आखिर म एक दिन वो बुढ़वा हर मर गिस। वोहर मोर खातिर कुछ छोड़ के मरिस। मंय हर अगास म उड़त चिरईया कस बिलकुल सुतंत्र हो गेंव। अब मोर बर खुस होय के समय हे, हे न वोल्देमार? खुसी हर मोर खिड़की कोती ले दस्तक देवत हे, वोला बस भीतर आवन देना हे ... पन वोल्देमार, सुन, मंय हर आप ल उलझावत हंव। अब मोर मरजी हे कि मंय हर अपन आप ल वो आदमी के हाथ म सौंपंव, जेकर ले मंयहर प्यार करथंव, वोकर जीवन संगिनी बन सकंव, वोकर मदद कर सकंव, वोकर आदर्श ल निभा सकंव, खुसी के खातिर, आराम के खातिर ... पन हमर जीवन हर कतका निरासाजनक, कतका कठोर, कतका उबाऊ अउ कतका मूखतापूर्ण हे वोल्डेमार। मंय हर मनहूस हंव, मनहूस, करमछंडी। अब मोर रास्ता म अउ बाधा आ गे हे। मोला लगथे कि खुसी हर अब मोर ले अउ जादा दुरिहा गिस हे, बहुत दुरिहा गिस हे। हाय, जीवन म कतका दुख अउ पीर हे। कास, कि मोर दुख ल आप समझ सकतेव।’’

’’पन आपके रास्ता म अब का अड़चन आ गिस हे? मंय आप से बिनती करथंव, मोला बतावव। कोन से बाधा हे?’’

’’एक झन दूसरा बुढ़वा जनरल, एकदम से .......’’

टुटहा पंखा म वोकर सुंदर सूरत हर ढंकाय रिहिस पन कतका ढंकाही। लेखक हर मुठा बाध के अपन बिचार ल झकझोरिस ....... मनोविज्ञान के ज्ञाता के भौंह हर सकला गिस अउ वोकर बिचार मन हर हवा म उड़ा गिस। 

रेलगाड़ी के इंजिन हर सीटी बजावत सरके लगिस अउ खिड़की के परदा मन के रंग हर बूड़त सूरज के आभा म लाल हो गिस।
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टीप:- 
1 मानव आत्मा के संताप अउ दुख - रूस के महान उपन्यासकार फ्योदोर दोस्तोएव्स्की के महान उपन्यास ’अपराध अउ दंड’ के प्रमुख विसय।
2. फ्योदोर दोस्तोएव्स्की के महान उपन्यास ’अपराध अउ दंड’ के प्रमुख पात्र रस्कोलनिकोव के कथन डहर संकेत।
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