छत्तीसगढ़ी लोकसंगीत एवम लोकसंस्कृति के संरक्षक, संवाहक एवम उन्नायक, चंदेनी गोंद के संचालक - मोर संग चलव रे, ओ गाड़ीवाला रे, बखरी के तु्मानार बरोबर, जैसे अनेक सुमधुर छतीसगढ़ी गीतों को सुरों में डालनेवाले, संगीत एवम नाटक अकादमी, भारत शासन, सम्मान से सम्मानित श्रद्धेय खुमान लाल साव के दुःखद अवसान का समाचार मिलने से मैं स्तब्द्ध हूँ। अपने शिष्यों और अनुयायियों में खुमान सर के नाम से समादृत श्री खुमान लाल साव का गुजर जाना छत्तीसगढ़ी लोकसंगीत एवम लोकसंस्कृति के लिए अपूरणीय क्षति है। वे एक जीवित किंवदंती थे। लोकसंगीत, लोककला, एवम साहित्य के पारखी और इनके जानकारों को सम्मान देनेवाले थे। सहज ही लोगों से जुड़ जानेवाले और लोगों को जोड़ लेनेवाले गुणी और पारखी, छत्तीसगढ़ के महान संगीत साधक श्री खुमान लाल साव अमर हो गये हैं।
विनम्र श्रद्धांजलि, प्रणाम।
विनम्र श्रद्धांजलि, प्रणाम।
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