सोमवार, 3 जून 2019

अनुवाद

नाऊ के दुकान म - अंतोन चेखव
AT THE BARBER'S - Anton Chekhov 

(छत्तीसगढ़ी म अनुवाद - कुबेर)


बिहिनिया, सात घला नइ बजे रिहिस अउ मकर कुजमिच बाइलॉस्टकेन के दुकान हर खुल गे रिहिस। नाऊ हर खुदे बसियहा, चीकट अउ चिरहा कपड़ा पहिरे रिहिस अउ तेइस साल के एक झन जवान के हजामत करे म भिड़े रिहिस। रोखे-रुखायबर कुछुच नइ रिहिस तभो ले वोहर अपन पसीना बोहावत रिहिस। एक जघा ल वोहर फरिया म पोछिस, दूसर जघा ल वोहर अपन नाखून म कुछ खुरचिस अउ एक ठन जुंआ ल धर के  कोठ म मसक के मारिस।

नाऊ के दुकान हर नानचुक, सकेला अउ गंदा रिहिस। लकड़ी के लट्ठा के दिवार मन म सूक्ति वाक्यवाले कागज अउ कोचवान के मामूली कपड़ा टंगाय रिहिस। दू ठन झेंझरहा, नान्हें-नान्हें खिड़की के बीच म एक ठन पतला,  टुटहा अउ चरमरा के खुलनेवाला दरवाजा रिहिस, नम हरियर खिड़की के ऊपर एक ठन घंटी टंगाय रिहिस जउन हर हालत रिहिस अउ बिना बजाय घला झझके के लाइक बाजत रिहिस। एक ठन दीवार म दरपन टंगाय रिहिस जेमा देखे ले चेहरा हर सब कोती ले टेड़गा-मेड़गा अउ बड़ा भद्दा दिखय। विही दरपन के आगू म बइठ के डाढ़ी बनाय के अउ चूंदी काटे के काम होय। नानचुक टेबुल कना बसियहा, चीकट अउ चिरहा कपड़ा पहिरे मकर कुजमिच बाइलॉस्टकेन हर खड़े रहय। टेबुल म सबो जिनिस - कंघी, कैची, उस्तरा, मेछा म लगाय के मोम के डब्बा, पावडर के डब्बा, पानी के सीसी, कोलोन इत्र अउ सच केहे जाय तब नाऊ दुकान के जम्मो जिनिस माढ़े रहय जेकर कीमत हर कुल मिला के पंद्रा कोपेक ले जादा नइ रिहिस होही।

बिगड़हा घंटी के किकियाय के आवज आइस अउ घाम म सुखा के साफ करे भेड़ के खाल के लांगबूट पहिरे एक झन आदमी हर दुकान म आइस। वोकर मुड़ी हर नरी के आवत ले महिलामन के ओढ़े के शाल म लपटाय रिहिस।

येहर मकर कुजमिच के गुरू एरास्ट इवानिच यागोदोव रिहिस। एक समय येहर कंन्सीस्ट्री (गिरिजाघर के न्यायालय म) म चैकीदार के काम करल मनखे हरे। अब वोहर रेड पाॅण्ड (लाल तरिया) के नजीक म रहिथे अउ तारा-कुची बनाय के लोहारी काम करथे।

’’मकरुस्का, मोर अच्छा दिन के प्यारा बच्चा!’’ वोहर मकर कुजमिच ल किहिस जउन हर वोकर ले नाराज रिहिस। दुनोझन एक दूसर ल चूमिन। यागोदोव हर अपन मुड़ी ले शाल ल निकालिस, अउ अपन आप ल संभाल के बइठ गिस। ’’लाल तरिया हर इहाँ ले बिकट दुरिहा हे,’’ वोहर आह भरिस, गला ल साफ करिस अउ किहिस, ’’उहाँ ले, लाल तरिया ले कलूगा गेट तक रेंगत आना कोनो ठट्ठा मजाक नो हे।’’

’’बने-बने।’’

’’का बताव मोर बेटा, कहिथे न - ’दुब्बर बर दू असाड़, मोला जर धर ले रिहिस।’’

’’मोला तो आपमन खबर नइ करेव।’’

’’हव, महीना भर ले खटिया धरे रेहेंव। मंयहर तो सोचत रेहेंव, मरि जाहूँ का। जर म बिक्कट तपे हंव। अब तो मोर चूंदीमन घला झर गिन हें। डाक्टर मन के कहना हे कि येला मुड़ा लेबे। उंकर कहना हे कि फेर घमघम ले नवा अउ मजबूत चूंदी जाग जाही। इही पाय के मंय हर सोचेव कि मकर कुजमिच कना चलना चाही, आखिर तोर ले जादा अच्छा संबंध मोर अउ काकर ले हे, वोहर सांवर घला बनाही अउ एको पइसा घला नइ लेही। घर ले तोर दुकान हर बिकट दुरिहा हे, पन वोकर ले का होथे? रेंगना घला जरूरी हे। विही पाय के आ गे हंव।’’

’’हाँ, खुसी-खुसी करहूँ। कृपा करके बइठव।’’ अपन गोड़ म छू के एक ठन कुरसी कोती इसारा करत मकर कुजमिच हर किहिस। 

यागोदोव हर खाल्हे म बइठ गिस अउ दरपन के प्रतिबिंब म अपन मुँहू  ल देख के बड़ा खुस हो गिस। दरपन के प्रतिबिंब म चेहरा हर टेड़गा-मेड़गा बने रहय, भदर्रा ओंठ, चेपटा नाक अउ आँखींमन हर माथा के ऊपर म। मकर कुज्मिच हर गिराहिक के खांद म सफेद चद्दर ओढ़ा दिस जउन म पींयर रंग के धब्बा बने रहय अउ कैंची धर के चूंदी ल काटे लगिस। 

’’मंय हर आपके चमड़ी ल साफ करे बर रोखहूँ’’ वोहर किहिस।

’’बने ढंग ले, ताकि मंय हर झक ले दिखंव, बम बरोबर। चूंदी मन सब घमघम ले हो जाहीं।’’

’’काकी हर कइसे हे?’’

’’बहुत सुदर ढंग ले हे। एक दिन पहिली वोहर जचकी करायबर प्रधान महिला के घर गे रिहिस। वोहर वोला एक रूबल दिस हे।’’

’’वाह! सही म, एक रूबल। ... अपन कान ल पकड़ के राख ...।’’

’’मंयहर पकढ़े हंव न ......तोर तीर मुड़ी रोखवाय के मोर इच्छा नइ रिहिस। ओय ... पिरावत हे! मोर चूंदी ल खींच झनी न।’’

’’कुछू नइ होय न। वोतका तो करेच परही, येमा हम आपके कोनो मदद नइ कर सकन। ... अउ एस्टावना हर कइसे हे?’’

’’मोर बेटी हर? वहू हर एकदम ठीक हे। आजकल वोहर खुसी म एकदम उछलत हे। पीछू हफ्ता, बुधवार के दिन हम शेखिन संग वोकर मंगनी कर देयेन। तंय हर काबर नइ आयेस?’’

कैंची के चलना बंद हो गिस। मकर कुज्मिच के हाथ हर ओरम गिस, घबरा के वोहर पूछिस, ’’काकर मंगनी कर देस?’’

’’अन्ना के।’’

’’वो कइसे? काकर संग।’’

’’शेखिन के संग। प्रोकोफी पेट्रोविच। ज्लाटवेटस्की लेन म वोकर काकी हर हाउसकीपर हे। वोला बेहद अच्छा सुभाव मिले हेे। पूछमत, हम सब बेहद खुस हन, भगवान के किरपा हे। हफ्ताभर म हम वोकर बिहाव कर देबोन। तंय हर जरूर आबे, हमला बहुत अच्छा मौका मिले हे।’’

’’पन ये सब कइसे होइस, इरास्ट इवानिच?’’ मकर कुजमिच हर अचरज खा के, उदास हो के अपन खांद ल उचकावत किहिस। ’’ये तो बिलकुल असंभव हे। काबर, अन्ना एस्टोवॉना .... मंय हर वोला मनेमन चाहथंव। मोर मन म वोकर खातिर प्रेम हे। ये सब कइसे होगिस।’’

’’कइसे, हम हर रिस्ता ले के गेन अउ वोकर मंगनी कर देन। वोहर एकदम अच्छा लड़का हे।’’

मकर कुजमिच के चेहरा म ठंडा पसीना चुचवा गिस। वोहर कैंची ल टेबुल म मढ़ाइस अउ अपन मुठा म अपन नाक ल रगड़े लगिस। ’’वोकर संग बिहाव करे के मंयहर सपना देखे रेहेंव’’ वोहर किहिस, ’’ये नइ हो सकय, इरास्ट इवानिच, मंय ... मंय हर वोला प्यार करथंव अउ वोला मंय हर अपन दिल के बात ल बताय घला रेहेंव ..... अउ काकी हर घला वादा करे रिहिस। मंय हर बाप के समान आपके इज्जत करत आवत हंव..... आपके सांवर बानाय के कभू मंय हर पइसा नइ लेयेंव। मंयहर हमेसा आपके ऊपर एहसान करेंव। जब मोर बाप हर मरिस तब तंयहर हमर सोफा ल अउ दस रूबल नगद लेय रेहेस जउन ल आज तक नइ लहुटायेस, सुरता हे कि नहीं?’’

’’सुरता! मंय बिलकुल सुरता करथंव। वोकर संग तोर जोड़ी कइसे खपही मकर कुज्मिच? वोकर संग फबे के लाइक तोर तीर का हे। न तो तोर तीर पइसा हे अउ न तोर कोनो इज्जत हे। तोर काम तो एकदम मामूली हे।’’

’’अउ शेखिन हर धनवान हे का?’’

’’शेखिन हर तो यूनियन के मेंबर हे। वोहर डेढ़ हजार ले जादा गिरवी रख के उधार बगराय हे। इही पाय के मोर बच्चा ........ अब ये बिसय म अउ जादा गोठियाना उचित नइ हे .......... अब येमा बिलकुल रद्दोबदल नइ हो सकय मकरुस्का। तंय हर अब दूसर लड़की खोजे के सुरू कर दे .... दुनिया हर अतका छोटे नइ हे। जल्दी मोर चूंदी ल कांट। काबर रुक गेस।’’

मकर कुजमिच हर एकदम चुप होगिस, कांटो तो खून नहीं। वोहर अपन जेब ले उरमाल निकालिस अउ रोय लगिस।

’’अरे! ये का ये?’’ इरास्ट इवानिच हर वोला धीरज बंधाइस। ’’छोड़ वो बात ल, जावन दे, डौकी मन समान रो झन। पहिली मोर मुड़ी ल मुड़ तहांले रोवत रहिबे। कैंची ल उठा।’’

मकर कुज्मिच हर कैंची ल उठाइस, मिनटभर वोकर डहर देखिस अउ कैंची ल फेर टेबुल म मढ़ा दिस। वोकर हाथ हर कांपत रिहिस। ’’मंयहर अभी नइ कांट सकंव,’’ वोहर किहिस, ’’अभी मंयहर ये नइ कर सकंव। मोर हाथ म अब ताकत नइ हे। मंय हर बेहद दुखी हंव। वहू हर बेहद दुखी होही। हम एक-दूसर ल प्यार करथन, मह दूनो एक-दूसर ले वादा करे रेहेन अउ निर्दयता पूर्वक जालिम मन हर हमला अलगा दिन। दूर हट जा, इरास्ट इवानिच,  मंय हर अब तोला फूटे आँखी घला नइ देख सकंव।’’ 

’’मकरुस्का, तब मंय हर काली आहूँ, तंय हर बांकी काम ल काली कर देबे।’’

’’ठीक हे।’’

’’तंयहर अपन आप ल संभाल। मंयहर काली बिहिनिया आहूँ।’’

एरास्ट इवानिच के मुड़ी हर आधा मुड़ाय रिहिस अउ वोकर कोनो अपराधीमन कस दिखत रिहिस। वोहर बड़ा भद्दा दिखत रिहिस, पन अब वोकर सामने अउ दूसर चारा नइ रिहिस। वोहर शाल म अपन मुड़ी ल लपेटिस अउ नाऊ दुकान ले निकल गिस। अब मकर कुजमिच हर बिलकुल अकेल्ला हो गिस अउ वोहर दंदर-दंदर के रोय लगिस।

दूसर दिन बिहिनियच ले एरास्ट इवानिच हर फेर धमक दिस। 

’’आखिर तंय हर का चाहथस?’’ मकर कुजमिच हर वोला सांत भाव ले पूछिस।

’’मकरुस्का, मोर चूंदी ल रोख दे। अभी आधा बांचे हे।’’

’’कृपा करके पइसा पहिली दे दे। पइसा झोंके बिना मंय हर नइ कांटंव’’

एरास्ट इवानिच हर कुछुच नइ किहिस अउ दुकान ले निकल गिस। वो दिन ले वोकर एक डहर के बाल हर लंबा अउ दूसर कोती के हर बुचवा हे। पइसा दे के बाल कटनवाना वोहर फिजूलखर्ची मानथे। अब वोहर बुचवा  बाल मन के बाढ़े के अगोरा म बइठे हे।

वोहर इही हालत म अपन बेटी के बिहाव म जम के नाचिस।
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