From recently published 'MICRO KAVITA AUR DASAVAN RAS YANGYA SANGRAHA' For mor please visit to my blog - storybykuber.blogspot.com
संत
मरहा राम आजकल धार्मिक व्यक्ति हो गया है। गाँव में उत्तर वाले किसी पहुँचे हुए संत का प्रवचन चल रहा था। नियम-व्रत का पालन करते हुए पिछले पाँच दिनों से वह सत्संग-लाभ ले रहा है। वह संत जी के वचनों को हृदय में बसाता भी है और बुद्धि से तौलता भी है। खाली समय में वह संत जी के पास जाकर बैठ जाता है, अपनी शंकाओं का समाधान प्राप्त करने के लिए।
संतों का लक्षण बताते हुए प्रवचनकार संत जी आज ही अपने प्रवचन में कह रहे थे - ’’संत वह है जो मीठा खाता है और मीठा बोलता है। मीठा खाने का मतलब मीठा सुनना।’’
संत जी की बातों ने मरहा राम के हृदय को छू लिया। उसने कहा - ’’भगवन! संतों के बारे में आप ठीक ही कहते हैं। नेता जी जब भी आते हैं, मीठा-मीठा ही बोलते हैं।’’
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