शुक्रवार, 2 फ़रवरी 2018

व्यंग्य

नमूना - 10

गव्यविष्ठा-राष्ट्रनिष्ठा


कभी-कभी बातों ही बातों में लाख टके की बात हाथ लग जाती है। आज एक मित्र महोदय ने गोबर के संबंध में बड़ी महत्वपूर्ण बातें बताईं। बातें इस प्रकार हैं -
- इस देश में गोबर अर्थात गव्यविष्ठा में ही सच्ची राष्ट्रनिष्ठा अंतरनिहित है।
- भारतीय संस्कृति में गऊ माता की महत्ता को बार-बार बताने की जरूरत नहीं है। यज्ञ-पूजा आदि में प्रयुक्त पंचगव्य को अमृततुल्य माना गया है, जो गऊ माता द्वारा ही प्रदान किया जाता है।
- पंचगव्य में गऊ माता की विष्ठा भी शामिल रहती है। गो-विष्ठा एक पवित्र द्र्रव्य है।
- यहाँ यज्ञ-पूजा आदि धार्मिक कार्यों में गोबर से बने ’गोबर गणेश’ की ही पूजा पहले होती है इसीलिए महत्वपूर्ण आयोजनों में परम आदरणीय और सम्मानित व्यक्तियों को ’गोबर गणेश’ की जगह स्थापित किया जाता है। इन्हें ’गोबर गणेश’ कहकर संबोधित भी किया जाता है।
- इसके अतिरिक्त भी गो-विष्ठा अत्यंत उपयोगी वस्तु है। धर्मनिष्ठ आम भारतीय परिवारों द्वारा घर आंगन की लिपाई इसी से किया जाता है।
- रसोई के लिए उत्तम इंधन और खेतों के लिए बहुमूल्य खाद इसी से प्राप्त होता है अतः इसे गोबर कहना इस अमूल्य द्रव्य का अपमान करना है।
- गऊ माता द्वारा यह विष्ठा इस मर्त्यलोक में अपने मानवरूपी संतानों के कल्याण और उसे अमरत्व प्रदान करने के लिए उपहार स्वरूप दिया गया है। अतः इसे गोबर कहना पवित्र गऊ माता का भी घोर अपमान करना है।
अतः यदि आप सच्चे राष्ट्रवादी हैं और भारतीय संस्कृति पर आपकी अनन्य आस्था और निष्ठा है तो आज से आप गोबर को गोबर नही, श्रद्धापूर्वक ’गव्यविष्ठा’ कहिए।
गव्यविष्ठा-राष्ट्रनिष्ठा, राष्ट्रनिष्ठा-गव्यविष्ठा।
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