गुरुवार, 2 जून 2016

कविता

दो कविताएँ -

’’एक अध्यापक की डायरी के कुछ पन्ने - हेमराज भट्ट’’, (प्रकाशक - अजीम प्रेमजी युनिवर्सिटी), से उद्धृत।

1. कुछ  लोग


कुछ लोग छोड़ नहीं पाते, अपने अहंकार,
और बदले में छोड़ देते हैं, ढेर सारा प्यार।

कुछ लोग छोड़ नहीं पाते, टहनियों केा
और बदले में छोड़ देते हैं, एक लंबी उड़ान।

कुछ लोग छोड़ नहीं पाते, कुंठा और दुविधाओं को
और बदले में छोड़ देते हैं, विश्वास भरा जीवन।

कुछ लोग छोड़ नहीं पाते अपनी शंकाओं को
और बदले में छोड़ देते हैं, निश्ंिचत चैन भरा जीवन।
000

2. मछलियाँ


मछलियाँ तैरती हैं,
मछलियाँ बहती नहीं हैं
मछलियाँ तैरती हैं।

मछलियाँ बहती नहीं हैं
मछलियाँ तैरती हैं,
मछलियाँ उद्गम की ओर तैरती हैं।

मछलियाँ बहती नहीं हैं
मछलियाँ तैरती हैं,
मछलियाँ प्रवाह के विपरीत तैरती हैं।

आदमी तैरता है
आदमी तैरता नहीं है,
आदमी बहता है।
000
’’एक अध्यापक की डायरी के कुछ पन्ने - हेमराज भट्ट’’, (प्रकाशक - अजीम प्रेमजी युनिवर्सिटी), से साभार।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें