मंगलवार, 26 जुलाई 2016

कविता

मनुष्यों की आमद, गारत क्यों है

खेतों में केवल अन्न ही नहीं पैदा होते
मनुष्यता का धर्म भी खेतों में ही पैदा होता है
और फिर यही, खेतों से चलकर
आस्था के कन्द्रों तक पहुँचते-पहुँचते
मनुष्यता और खेत, दोनों को गुलाम बना लेता है

आस्थाकेन्द्रों में विराजित होनेवाले
यही धर्म, और ईश्वर
क्रूर, झूठे और फरेबी बन जायेंगे
रह-रहकर उन्हें ही छलेंगे, सतायेंगे
यह बदनीयती,
तब न किसानों को पता होता है
और न मजदूरों को

कर्म का संदेश देनेवाले धर्म और ईश्वर
तुम मानों या न मानों
अर्जुन से भी श्रेष्ठ कर्मयोगी होते है
किसान और मजदूर

जवाब दो
सारे धर्म और सारे ईश्वर के रहते
किसानों और मजदूरों की ऐसी हालत क्यों है?
दुनिया में मनुष्यों की आमद, गारत क्यों है?
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