मंगलवार, 2 अगस्त 2016

कविता

कुछ समय की कुछ घटनाएँ


इस समय जो कुछ घट रहा है
उसके पहले भी
बहुत कुछ घटित होता रहा है
पता नहीं, कितना और क्या-क्या?

घटना कुछ बदलने की तरह होना चाहिए
या जलाकर राख कर जाने की तरह?

जाहिर है -
इस समय जो कुछ कहा और सुना जा रहा है
उसके पहले तक बहुत कुछ कहा और सुना जा चुका है
इस समय जो कुछ लिखा और पढ़ा जा रहा है
उसके पहले तक बहुत कुछ लिखा और पढ़ा जा चुका है
इस समय जो कुछ किया और कराया जा रहा है
उसके पहले तक
बहुत कुछ किया और कराया जा चुका है -

जो जरूरी था वह भी,
जो जरूरी नहीं था वह भी
जो उचित था वह भी,
जो अनुचित था वह भी
सत्य भी, असत्य भी,
सद्कृत्य भी, दुष्कृत्य भी
पाप और पुण्य भी,
गण्य और नगण्य भी
अंतर और बाह्य भी,
ग्राह्य और अग्राह्य भी
नैतिक भी, अनैतिक भी,
लौकिक भी, अलौकिक भी
इस समय कुछ घटने के लिए कुछ शेष है,
जो इस यकीन के लिए पर्याप्त है, कि -
अतीत की घटनाएँ बदलने की तरह हुई होंगी
जलाने की तरह तो बिलकुल नहीं।

और इस तरह
इस समय के लिए बहुत कुछ बचाया गया।

इस समय का कहना और सुनना
इस समय का लिखना और पढ़ना
इस समय का किया और कराया जाना
इस समय का कुछ भी घटना
जलने जलाने की तरह नहीं हो रहा है?
000 KUBER

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