सोमवार, 16 जनवरी 2017

कविता

आदमी की कोटियाँ


दो कोटियाँ प्रचलित हैं आदमी की -
नमक हलाल और नमक हराम
नमक और आदमी का संबंध
कोटियों का संबंध है
आदमी की कोटियाँ तय करता है नमक

नमक चाहता है खून बन जाना
खून चाहता है पसीना बन जाना
और
श्रमशीलों के माथे से
बह जाना
शिव के सिर से बहती है - जैसे गंगा

पसीना बनकर बहता हुआ नमक
आदमी को आदमी बनाता है
पसीना बनकर बहता हुआ नमक
आदमी को शिव बनाता है

पसीना बनकर बह जाना
नमक की सार्थकता है
और
पसीना बहाना आदमी की।
000     kuber

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