रविवार, 8 जनवरी 2017

कविता

सरकार ताप से डरती है


बेजान शरीर ठंडा हो जाता है
ठंडा हो जाना, ताप का गिर जाना है,
ठंडा हो जाना, मर जाना है

ताप को बनाये रखना, जिंदा रहना है
गरमाए रहना, जिंदा रहना है
जानदार शरीर गरम रहता है

सरकार ताप से डरती है
ताप से आग भड़कने का खतरा होता है
सरकार को ठंडा देश चाहिए
सरकार को ठंडी जनता चाहिए
सरकार को मुर्दों की भीड़ चाहिए

सरकार की व्यवस्था हमेशा
पर्याप्त और दुरुस्त रहती है
देश में ठंडकता बनाये रखने के लिए
जनता को ठंडा बनाये रखने के लिए

मुआवजे और सस्ते अनाज 
अग्निशमन यंत्र हैं, सरकार के
आग को यह काबू में रखता है
देश को यह ठंडा बनाये रखता है
जनता इससे ठंडी बनी रहती है

सरकार हमेशा सुरक्षित दूरी बनाकर रखती है
आग और चीजों के बीच में
सरकार हमेशा अग्निशमन यंत्र लगाकर रखती है
आग और लोगों के बीच में

आग को कोई देख न ले
आग को कोई पहचान न ले
आग को कोई पा न ले
इसलिए आग को
और आग की पहचान को
सरकार हमेशा छिपाकर रखती है

सरकार हमेशा
विचार करनेवालों को पटाकर
धमकाकर, गरियाकर, ललचाकर 
या फिर अंत में, अपने रास्ते से हटाकर रखती है

सरकार हमेशा
विचारों को दबाकर रखती है।
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