बुधवार, 18 जनवरी 2017

कविता

पृथ्वी का भार ढोते हैं श्रमशील मनुष्य


समुद्र मंथन करनेवाले
और अमृत की प्रतीक्षा में कतार में बैठे
देवताओं में से कोई देवता नहीं हैं -
चन्द्रमा और सूर्य
धड़विहीन कोई दैत्य नहीं हैं -
राहु-केतु
चन्द्रमा ग्रहण और सूर्य ग्रहण का
कहीं कोई दूर-दूर का संबंध नहीं है इनसे

पृथ्वी किसी शेषनाग के फन पर नहीं टिकी है
और न ही टिकी है
एटलस नामक किसी देवता के कंधे पर
धरती का भार ढोते हैं, श्रमशील मनुष्य
धरती शस्यश्यामला कहलती है
श्रमसीकरों से

विश्वास करना आपका निजी मामला है
चाहे जितना विश्वास कर लें
मिथकों से भरे हुए शास्त्रों पर
पर आपका कोई अधिकार नहीं बनता
श्रम और श्रमशीलों की अवहेलना करने का
उनके महत्व को नकारने का।
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