भीड़ और जानवर
हवा से केवल बातें ही नहीं करती हैं
भीड़ पर गरियाती,
भीड़ को धमकाती-चमकाती और डराती भी हैं
अब मोटर सायकिलें।
मोटर सायकिलें जब कहती हैं - टी ...... ट्
तो कह रही होती हैं - हटिए
मोटर सायकिलें जब कहती हैं - टिट् टी
तो कह रही होती हैं - हट बे
मोटर सायकिलें जब कहती हैं -
टिट्-टिट् टि-टि टिट्
तो कह रही होती हैं - दूर हट मादरचोद
मोटर सायकिलें,
मोटर सायकिल नहीं रह जाती
आदमी बन जाती हैं
और चालक भी,
आदमी नहीं रह जाता
मशीन बन जाता है
इस तरह दोनों बदल जाते हैं
भीड़ में जब दोनों धुस जाते हैं
यूँ तो हर भीड़, जानवरों की भीड़ नहीं होती है
पर हर भीड़ में, जानवर जरूर मौजूद होते हैं
भीड़ में आकर लोग, अक्सर जानवर बन जाते हैं।
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kuber
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