भारत को भारतीय लोगों ने जीतकर अंग्रेजों को सौंप दिया।
(डाॅ. तुलसी राम की आत्मकथा के दूसरे भाग माणिकर्णिका के अंश)
’’ ....... भारतीय समाज के बारे में माक्र्स एंगेल्स ने 1853 तथा 1858 के बीच कई लेख लिखे। मूलतः जाति से संबंधित कार्ल माक्र्स के विचार अधूरे रह गए, अन्यथा हमारे लिए वे युगान्तरकारी सिद्ध हुए होते।
माक्र्स बुद्ध को नहीं जानते थे।
यदि ऐसा होता, तो वे जाति व्यवस्था के बारे में बहुत कुछ लिख जाते। फिर भी
उन्होंने जो कुछ लिखा है, उससे बहुत सीख ली जा सकती है। माक्र्स भारत के
विकास में जाति व्यवस्था को सबसे बड़ी बाधा मानते थे। उन्होंने भारत में
धर्मांधता तथा मिथकों की तरफ भी ध्यान आकर्षित किया है। माक्र्स ने जगन्नाथ
यात्रा के दौरान रथ के पहिये के नीचे कूदकर आत्महत्या करने वालों का भी
जिक्र किया है। इन आत्महत्याकर्ताओं का विश्वास था कि ऐसा कारने से वे सीधे
स्वर्ग चले जायेंगे। माक्र्स ने जगन्नाथ मंदिर से संबद्ध धार्मिक
वेश्यावृत्ति का भी जिक्र किया है। इस कड़ी में सबसे महत्वपूर्ण बात यह लिखी
है कि भारत को भारतीय लोगों ने जीतकर अंग्रेजों को सौंप दिया।
..........।’’ (पृ. 171-172)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें