रविवार, 20 दिसंबर 2015

कविता

 फर्क के तर्क

तंत्र की योजनाएँ जन के लिए होती हैं
अतः ये जनतंत्र की होती हैं

तंत्र और जनतंत्र की योजनाएँ
यद्यपि जन के लिए होती हैं
पर इनमें कई गंभीर फर्क होते हैं
क्योंकि इनसे चिपके इनके
अपने कई गंभीर तर्क होते हैं

इनके फर्क और तर्क बड़े सुसंगत होते हैं
इसलिए इनके फर्क के सारे तर्क
तर्कसंगत, विधिसंगत और नीतिसंगत होते हैं
मसलन -

’ये तंत्र के लिए अनिवार्य
और जनतंत्र के लिए ऐच्छिक
तंत्र के लिए सद्य-त्वरित
और जनतंत्र के लिए बहुप्रतीक्षित
तंत्र के लिए सेवा
और जनतंत्र के लिए दया
तंत्र के लिए पैतृक
और जनतंत्र के लिए (आवेदन की) कृपया
तंत्र के लिए अधिकार
और जनतंत्र के लिए भीख
तंत्र के लिए वर्तमान
और जनतंत्र के लिए कालातीत होते है।’

तंत्र की कालातीत योजनाओं से
जनतंत्र बीमार है
तंत्र की हर योजना
योजना नहीं, व्यापार है।
000
kuber

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