फर्क के तर्क
तंत्र की योजनाएँ जन के लिए होती हैं
अतः ये जनतंत्र की होती हैं
तंत्र और जनतंत्र की योजनाएँ
यद्यपि जन के लिए होती हैं
पर इनमें कई गंभीर फर्क होते हैं
क्योंकि इनसे चिपके इनके
अपने कई गंभीर तर्क होते हैं
इनके फर्क और तर्क बड़े सुसंगत होते हैं
इसलिए इनके फर्क के सारे तर्क
तर्कसंगत, विधिसंगत और नीतिसंगत होते हैं
मसलन -
’ये तंत्र के लिए अनिवार्य
और जनतंत्र के लिए ऐच्छिक
तंत्र के लिए सद्य-त्वरित
और जनतंत्र के लिए बहुप्रतीक्षित
तंत्र के लिए सेवा
और जनतंत्र के लिए दया
तंत्र के लिए पैतृक
और जनतंत्र के लिए (आवेदन की) कृपया
तंत्र के लिए अधिकार
और जनतंत्र के लिए भीख
तंत्र के लिए वर्तमान
और जनतंत्र के लिए कालातीत होते है।’
तंत्र की कालातीत योजनाओं से
जनतंत्र बीमार है
तंत्र की हर योजना
योजना नहीं, व्यापार है।
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kuber
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