’’बस का अर्थ ऐसे समझ में नहीं आयेगा
इसके लिए कुछ अलग करना होगा
सही देखने के लिए, इसे उलटना होगा
और इस तरह ’बस’ को ’सब’ बनाना होगा
ताकि सबको उनका सभी प्राप्य मिल सके
सब, सबमें, सबको, स्वयं को पा सके
आज, हमारी खुशियों का, छिपा इसी में मंत्र है
यही हमारा जनतंत्र है
और जनतंत्र कोई शासन तंत्र नहीं है,
सहयोग तंत्र है।’’
000kuber000
इसके लिए कुछ अलग करना होगा
सही देखने के लिए, इसे उलटना होगा
और इस तरह ’बस’ को ’सब’ बनाना होगा
ताकि सबको उनका सभी प्राप्य मिल सके
सब, सबमें, सबको, स्वयं को पा सके
आज, हमारी खुशियों का, छिपा इसी में मंत्र है
यही हमारा जनतंत्र है
और जनतंत्र कोई शासन तंत्र नहीं है,
सहयोग तंत्र है।’’
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