कमजोर - अंतोन चेखव
(महान् रूसी साहित्यकार अंतोन पावलोविच चेखव के ये प्रसिद्ध कहानी के छत्तीसगढ़ी अनुवाद हिंदी अनुवाद से करे गे हे। ये कहानी के ’जूलिया,’ ’छुईमुई’, अउ ’अन्याय के विरोध म’ शीर्षक घला मिलथे। - कुबेर)
छे दिन पहिली के बात हरे। मंय ह अपन लइका मन के आया, जूलिया ल अपन पढ़े-लिखे के खोली म बलायेंव अउ केहेंव - ’’बइठ जूलिया। आज मंय ह तोर तनखा के हिसाब करना चाहत हंव। मंय सोथंव कि तोला पइसा के जरूरत होही। तंय हस लजकुरहिन, अपन हो के कभू मांगबे नहीं। विही पाय के मंय ह आज तोर तनखा के हिसाब करके तोर पइसा ल देना चाहथंव।’’
’’हाँ, तब बता। कतेक म बात होय रिहिस हे? तीस रूबल महीना। होय रिहिस कि नहीं?’’
’’नहीं साहब, चालीस रूबल महीना।’’ जूलिया ह डर्रावत-डर्रावत किहिस।
’’नहीं भाई, तीस रूबल महीना। ये देख ले, मंय ह अपन डायरी म लिख के रखे हंव। मंय ह हमेसा आया मन ल तीसेच् रूबल महीना म रखत आवत हंव।’’
जूलिया ह कुछू नइ बोल सकिस।
’’हाँ, तब तोला हमर घर काम करत के दिन होय हे? दू महीना न?’’
’’नहीं साहबजी, दू महीना अउ पाँच दिन।’’
’’का कहिथस? पूरा-पूरा दू महीना होय हे। देख ले भइ, मंय ह तो सब दिन-तिथि ल डायरी म लिख के राखे हंव।’’
जूलिया ह फेर कुछू नइ बोल सकिस।
’’हाँ, तब दो महीना के बनथे साठ रूबल। पन तब न, जब एको नांगा नइ होतिस। तंय तो हर इतवार के दिन छुट्टी मनय हस। कोल्या ल खाली घुमाय बर लेगे रेहेस। एकर अलावा तीन दिन अउ छुट्टी लेय रेहेस।’’
जूलिया के चेहरा ह पीला पड़ गे। वो ह घेरीबेरी अपन डरेस के सिंकुड़न ल दूर करे के कोसिस करत खड़े सुनत रिहि गिस। बोलिस कुछू नहीं।
’’हाँ भइ, नौ इतवार अउ तीन दिन के नांगा। बारा दिन के बारा रूबल कम हो गे। वोती कोल्या ह चार दिन बीमार होके सुते रिहिस। तंय ह खाली तान्या ल पढ़ाये हस। पीछू हफ्ता तोर दांत म दरद होवत रिहिस अउ मोर बाई ह तोला मंझनिया के बाद छोड़ देय रिहिस हे। ये तरह ले अब कतिक नांगा हो गे, बारा अउ सात उन्नीस। अब तोर हिसाब ह के दिन के बनत हे - इकचालीस दिन के। एकचालीस रूबल। ठीक हे न?’’
जूलिया के आँखी मन डबडबा गे। धीरे से खाँस के अपन गला ल साफ करिस। नाक ल पोंछिस। फेर मुँहू डहर ले बक्का नइ फूटिस।
’’हाँ, एक बात तो मंय ह भुलइच् गे रेहेंव।’’ डायरी कोती देखत मंय ह केहेंव, ’’जनवरी के पहिली तारीख के दिन तंय ह चाय के पलेट ल टोरे रेहेस। एक पलेट के कीमत तो तंय हा जानतेच् हस। मोर किस्मत म तो सदा नुकसानेच् नुकसान लिखाय हे। तब ले वोकर दू रूबल तो मंय ह काँटहूँच्। जूलिया, तंय अपन काम ऊपर ध्यान देय कर। वो दिन तंय ह ध्यान नइ देयेस अउ कोल्या ह पेड़ म चड़ गिस। पेड़ के डारा म फंस के वोकर जैकेट ह चिरा गे। वोकर भरपाई कोन करही? तब दस रूबल वोकर कँट गे। तोर अइसनेच लापरवाही के कारण हमर नौकरानी ह तान्या के नवा पनही ल चोरा के ले गे। अब देख भई। बच्चा मन के अउ उंकर समान के देखरेख करे बर तो तोला रखे गे हे। इही काम के तो तोला पइसा मिलथे। तंय ह अपन काम म ढिलाई करबे त पइसा तो कटबे करही। कोनो गलत बात कहत हंव का?’’
’’तब पनही के पाँच रूबल अउ कँट गे। अउ हाँ, दस जनवरी के दिन मंय ह तोला दस रूबल देय रेहेंव न?’’
’’नहीं साहब, आप मन मोला कुछ नइ देय हव।’’ जूलिया ह काँपत-काँपत किहिस।
’’अरे, त का मंय ह लबारी मारत हंव? मंय ह हर चीज ल डायरी म लिख के रखथंव। तोला परतिंग नइ परत हे, त देखांव का डायरी ल।’’
’’नहीं साहबजी, आप कहत हव, तब देयेच् रेहे होहू।’’
’’देयेच् रेहे होहू नहीं। देयेच् हंव।’’ मंय ह कड़क आवाज म केेहेंव। ’’तो ठीक हे? इकचालीस म सत्ताइस अउ घटा दे। बाँचिस चउदा। कइसे, हिसाब ह ठीक हे कि नहीं?’’
वोकर आँखी ह डबडबा गिस। कपड़ा ह पसीना म भीग गिस। काँपत-काँपत बोलिस - ’’मोला अभी तक केवल एके घांव पइसा मिले हे। आपके पत्नी ह देय रिहिस। खाली तीन रूबल। जादा नहीं।’’
’’अच्छा!’’ मोला अचरज होइस। केहेंव - ’’अतका बड़े बात हो गे अउ तंय ह मोला बतायेस घला नहीं? न तोर मालकिन ह मोला बताइस। अभी अनर्थ हो जातिस न? खैर, कोई बात नहीं। यहू ल डायरी म लिख लेथंव। हाँ, अब चउदा म तीन अउ घटा दे। कतका बाँचिस? ग्यारा रूबल। ठीक हे न। ये रख तोर तनखा। ग्यारा रूबल। बने गिन ले। देख ले, ठीक हे कि नहीं।’’
जूलिया ह काँपत-काँपत ग्यारा रूबल ल झोंकिस अउ अपन जेब ल टटोल के वोला कइसनो करके वोमा भरिस। फेर धीरे से किहिस - ’’जी, धन्यवाद।’’
मोर एड़ी के रिस ह तरुवा म चढ़ गिस। रकमका के खड़े होयेंव अउ गुस्सा म केहेंव - ’’का बात के धन्यवाद?’’
’’आपमन मोला ये पइसा देयेव, वोकर सेती धन्यवाद।’’
अब मोर से रहि नइ गीस। गुस्सा म चिल्ला के केहेंव, ’’तंय ह मोला धन्यवाद देवत हस। जबकि तंय ह पक्का जानथस कि मंय ह तोला ठगे हंव। तोला धोखा देय हंव। तोर मेहनत के पइसा ल हड़पे हंव। तोर संग अन्याय करे हंव। तभो ले तंय ह मोला धन्यवाद देवत हस।’’
जूलिया ह मुसका के किहस, ’’जी, एकर पहिली जिहाँ काम करत रेहेंव, वो मन तो एको पइसा नइ दिन। आप मन कुछ तो देय हव।’’
वोकर सरलता अउ सिधाई ल देख के मोर गुस्सा ह ठंडा पड़गे। ’’वोमन तोला एको पइसा नइ दिन। जूलिया, ये सुन के मोला कोनों अचरज नइ होवत हे। तोर जइसे बुद्धू ल कोनों भी ठग सकत हे।’’
’’जी।’’
वोकर ’जी’ सुनके मोला वोकर ऊपर हँसी आ गे। धीरे से केहेंव - ’’जूलिया, मोला माफ कर दे। मंय ह तोर संग बड़ क्रूर मजाक करे हंव। मंय ह तोला सबक सिखाना चाहत रेहेंव। देख जूलिया, मंय ह तोर एको पइसा नइ काँटव। ये डायरी ह अइने हरे। वो देख, तोर अस्सी रूबल ह माढ़े हे। मंय ह तोला अभी देवत हंव। फेर एक बात तोला पूछथंव - का कोनो इंसान ह अतका सीधा, अतका दब्बू हो सकथे?’’
’’जी।’’ जूलिया ह मुसका के किहिस।
वोकर ’जी’ सुनके मंय ह माथा पकड लेंव। केहेंव - ’’जूलिया, अपन आप ल भला इंसान कहलाय बर का कोनो ल अतका सीधा अउ दब्बू बन जाना उचित हे का, कि अपन ऊपर होवत अन्याय के विराध न कर सके। सब ज्यादती ल चुपचाप सहि लेय। नहीं जूलिया, ये ठीक बात नो हे। दुनिया म अपन आप ल बचा के रखे खातिर हमला ये सब से लड़ना पड़ही। झन भूल, कि बिना लड़े अपन हक नइ मिल सकय।’’
जूलिया ह मोर बात ल चुपचाप सुनिस। मुच ले मुसका के ’’जी’’ किहिस अउ चुपचाप चल दिस।
मंय ह वोला जावत देखत रहि गेंव। सोचथंव, ये दुनिया म कमजोर आदमी ल डराना अउ ठगना कतका आसान हे।
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