रविवार, 21 अप्रैल 2019

अनुवाद

दुख - अंतोन चेखव

(अनुवाद हिंदी ले - कुबेर)

’’मंय ह अपन दुख ल कोन ल सुनावंव?’’ योना पोतापोव ह सोचथे। सांझ के मुंधियारी होवत बेरा रिहिस। सड़क तीर-तीर के खंम्भा मन के बगरे अंजोर के चारों कोती बरफ के मोट्ठा परत जमा होवत साफ दिखत रिहिस। बरफ गिरे के कारण घोड़ागाड़ीवाला योना पोतापोव ह सफेद भूत कस दिखत रहय। ठंड ले बचे खातिर कोनों आदमी ह अपन बदन ल जतका गुटूमुटू कर सकथे, वोतका करके वो ह अपन घोड़ागाड़ी म चुपचाप, बिना हालेडोले बइठे रहय। वोकर घोड़ा ह घला बरफ म ढंका गे रहय अउ एकदम सफेद दिखत रहस। वहू ह चुपचाप, बिना हालेडोले खड़े रहय। वोकर जड़ता, कमजोर काया, पतला-पतला लकड़ी बरोबर लंबा-लंबा गोड सब ल देखत वो ह लकड़ी के बनल खिलौना घोड़ा कस दिखत रहय।

योना अउ वोकर छोटकुन घोड़ा, दुनों झन ल अपन जघा ले हिलेडुले बिना बहुत देर हो गे रहय। रात के खाना खाय के समय रिहिस। सवारी के आस म वो ह बहुत देर पहिलिच इहाँ आ के खड़ा हो गे रिहिस फेर अब तक वोला एको सवारी नइ मिले रहय।

’’ऐ गाड़ीवाले! विबोर्ग चलबे क?’’ योना ल एक झन सवारी के आवाज सुनई दिस।

’’विबोर्ग?’’ घबरा के वो ह अपन जघा म बइठे-बइठे झकनका गे। अपन आँखीं म जमा हो गे रहय बरफ ल पोंछ के वो ह देखिस। मटमैला रंग के कोट पहिने वो ह एक अफसर रिहिस जेकर टोपी ह चमकत रहय।

अफसर ह एक घांव फेर किहिस - ’’विबोर्ग। अरे सुत गे हस क? मोला विबोर्ग जाना हे।’’ 

योना ह चले के तइयारी म घोड़ा के लगाम ल खींचिस। घोड़ा के नरी अउ पीठ म जमे बरफ ह दोरदोरा के गिर गिस। अफसर ह पीछू बइठिस अउ योना ह घोड़ा ल पुचकार के आगू बढ़े के आदेस दिस। घोड़ा ह अपन अकड़े नरी अउ लकड़ी कस अकड़े गोड़ मन ल मुस्किल से साधिस अउ कनवा के आगू बढ़े के सुरू करिस। योना ह जइसने गाड़ी ल आगू हाँकिस, अँधियार म रेंगत भीड़ डहर ले वोला सुनाई दिस - ’’अबे! का करथस? जानवर कहीं के। येला कहाँ लेगत हस? मूर्ख! जेवनी बाजू मुड़का।’’

’’तोला गाड़ी हाँके बर घला नइ आवय। जेवनी बाजू डहर बइठ न।’’ पीछू बइठे अफसर ह गुस्सा हो के योना ल डपटिस। अउ थोरिक देर रुक के,  अपन आप ल सांत करत फेर बोलिस, ’’कितना बदमास हें इहां के मन ..... सब के सब।’’ फेर मजाकिया लहजा म बोलिस, ’’सब के सब कसम खा के बइठे हें लगथें। या तो तोला धकेलना हे, या तोर गाड़ी के आगू कूद के आत्महत्या करना हे।’’

कोचवान येना ह पीछू मुड़ के अफसर कोती देखिस। वोकर ओठ ह थोकुन हालिस। वो ह कुछ कहना चाहत रिहिस। 

’’का कहना चाहथस तंय ह?’’ अफसर  ह वोकर ले पूछिस।

योना ह जबरन हाँस के भरभराय आवाज म किहिस - ’’मोर एकलौता बेटा, बारिन ह इही हफ्ता गुजर गे साहबजी।’’

’’अच्छा! कइसे मरिस?’’

योना ह अफसर कोती पूरा-पूरा मुड़ के किहिस - ’’काला बतावंव साहबजी। डाक्टर मन ह तो कहत रिहिन कि खाली जर धरे हे। बिचारा ह तीन दिन अस्पताल म पड़े-पड़े तड़पिस अउ फेर मोला अकेला छोड़ के चल दिस। भगवान के मरजी के आगू काकर चलथे?’’

’’अरे शैतान के औलाद, देख के घुमा।’’ अंधियार कोती ले आवाज आइस। ’’अबे, डोकरा! तोर अक्कल मारे गे हे क? तोला कुछू दिखथे कि नहीं?’’

’’जरा तेज चल। अउ तेज।’’ अफसर ह चिल्ला के किहिस। ’’नइ ते हम बिहान हो जाही, नहीं पहुँच पाबो। जरा तेज।’’ कोचवान योना ह फेर अपन घेंच ल सोझ करिस अउ उदास हो के अपन चाबुक ल हवा म लहराइस। बीच-बीच म वो ह पीछू डहर मुड़क के सवार कोती देख लेवय। अफसर ह आँखीं मूंद के बइठे रहय। योना ह कुछू बात करना चाहत रिहिस फेर वोला समझ म आ गिस कि अफसर के कुछू सुनेके मन नइ हे।

अफसर ल विबोर्ग पहुँचा के योना ह सराब घर के नजीक अपन गाड़ी ल खड़ा कर दिस अउ कुडमुड़ा के बइठ गिस। अइसने दू घंटा अउ बीत गे, एको सवारी नइ मिलिस। तभे फुटपाथ डहर ले वोला रबर के पनही के ’चूँ-चूँ, चीं-चीं’ के आवाज सुनाई दिस। तीन झन छोकरा आपस म झगड़त आवत दिखिस। दू झनमन पतना-दुबला अउ लंबा रिहिन अउ एक झन ह ठिंगना, कूबरा असन रिहिस। नजीक आ के कूबरा ह नाक के भार घिनघिना के किहिस, ’’ऐ गाड़ीवाले! पुलिस ब्रिज चलबे क? हम तोला बीस कोपेक देबोन।’’

योना ह तइयार हो गे। वो ह घोड़ा के लगाम ल खींचिस अउ हांक लगा दिस। पुलिस ब्रिज बर बीस कोपेक ह बहुत कम रिहिस, फेर का करे। बीस कोपेक होय कि बीस रूबल, सब बराबर हे। काकर बर वो ह मोलभाव करे। कोन हे वोकर अब दुनिया म?

तीनों छोकरामन गाड़ी म चढ़ गें अउ बइठे बर झगड़ा करे लगिन। तीनों छोकरामन आपस म धक्का-मुक्का करे लगिन अउ अंत म तय करिन कि कूबरा ह छोटे कद के हे अउ वोला गाड़ीवाला के पीछू म खड़ा हो जाना चाही।
’’ठीक हे। अब दउड़ा गाड़ी। एकदम तेज।’’ कुबरा ह नाक के भार बोलिस। वो ह योना के पीछू म खड़े रहय अउ वोकर सांस ह योना के पीठ म परत रहय। ’’तोर अइसी के तइसी होय, रद्दा भर अइसने मरियल चाल चलत रहिबे क? तेज चला, नइ ते तोर नरी ल मुरकेट ......।’’

’’ ओह! दरद के मारे तो मोर मुड़ी ह फटे जावत हे।’’ वोमा से एक झन लंबू ह किहिस। ’’काली रात वोकमासोव के पार्टी म मय अउ वास्का, दूनों मिल के कोंयाक के पूरा बोतल पी गे रेहेन।’’

’’मोला समझ म नइ आय यार कि तंय ह अतका झूठ काबर बोलथस। तंय ह बहुत दुष्ट अउ झुठल्ला हस।’’ दूसर लंबू ह किहिस।

’’भगवान कसम, मंय ह लबारी नइ मारंव। सच कहत हंव।’’

’’बिलकुल, वइसने सच, जइसे कोई कहय कि मंय ह सुई के बेधा डहर ले ऊँट ल बुलकाय हंव।’’

’’हें, हें, ...। आपमन कतका अच्छा मजाक करथव।’’ योना ह खीसा निपोरत किहिस।

’’अरे, भांड़ म जा तंय।’’ कूबरा ह गुस्सा के किहिस। ’’अरे बुढ़उ, आखिर तंय ह हमला कब तक पहुँचाबे? गाड़ी हांके के ये ह कोन से तरीका आय। कभू चाबुक तो घला चलाय कर। जरा जोर से चाबुक चला मिंया। आखिर तंय ह आदमी हरस कि पैजामा?’’

योना ल लगिस, वइसे तो वो ह आदमीमन संग बइठे हे, फेर अकेलापन ह वोकर आत्मा ल जकड़े जावत हे। 

कुबरा टूरा ह धीरे चले के नाम से वोला फेर गारी देय लगिस। लंबू टुरामन नादेज्दा पेत्रोवना नाम के कोनों टूरी  के बारे म गोठियाय लगिन।

योना ह कतरो घांव उंकर डहर मुड़क के देखिस। वो ह अपन हिरदे के दुख ल काकर संग बाँटय? खुदे टुड़बुड़ाइस, ’’मोर बेटा ह इही हफ्ता गुजर गिस।’’

’’हम सब ल एक न एक दिन मरना हे।’’ कहत-कहत कुबरा ल खाँसी आ गे।  खाँस के किहिस, ’’अरे! जल्दी-जल्दी चला, एकदम तेज। अरे यार, अइसन मरियल चाल म हमला नइ जाना हे। आखिर ये ह हमला कब तक पहुँचाही?’’

’’अरे, ऐ बुढ़वा, अपन घोड़ा के नरी ल थोरिक गुदगुदा न।’’

’’डोकरा, नरक के कीरा, सुनथस कि नहीं। मंय ह तोर नरी ल मुरकेट देहूँ। तोर जइसे मनहूस आदमी के खुसामद करे के बदला तो पैदल चल लेना रिहिस। अरे बुढउ, सुनथस कि नहीं। सुअर के औलाद, तोला कुछू लगथे कि नहीं?’’

योना ह वो सराबी टुरा मन क बात ल सुन के घला नइ सुनत रहय। वो हर ’हें, हें’ करके हाँसतिस अउ कहितिस, आप मन तो साहब हरो। जवान हव। भगवान ह आपमन के भला करे।’’

’’बुढ़उ, तंय ह बिहाव करे हस कि नहीं?’’ एक झन लंबू टुरा ह पूछिस।

’’मंय? साहब हो, आपमन खूब मजाकिया हव। अब तो बस, मोर घरवाली भर ह बचे हे। दुनिया भर के दुख भोग डरे हे बिचारी ह। वहू ह अबतब मरनेचवाला हे। कतका अजीब बात हे। मोर बेटा ह मर गे अउ मंय ह जिंदा हंव। मौत ह दरवाजा भुला गिस होही। मोर तीर आय के बदला मोर बेटा तीर पहुँच गिस।’’ योना ह पीछू डहर देख के किहिस। वो ह अपन बेटा के मौत के एक-एक ठन घटना के बरनन करना चाहत रिहिस। तभे कूबरा ह किहिस, ’’भगवान भला करे। आखिर ये ह हमला हमर ठउर म पहुँचाइच दिस।’’

तीनों टुरा मन गाड़ी ले उतर के अपन-अपन घर कोती चल दिन। योना ह फेर अकेल्ला हो गे। वोकर दुख, जउन ह थोरिक देर खातिर कम होवत रिहिस, फेर लहुट के आ गिस। अउ अतका जीवलेवा ढंग ले लहुट के आइस कि वोकर हिरदे ल चमचम ले जकड़ लिस। योना ह तड़प के भीड़ डहर देखिस। कोई तो मिले, जेकर ले वो ह अपन दुख ल बांट सकय। पर भीड़ म कोनों अतका फुरसत म नइ मिलिस जउन ह वोकर दुख ल बांट सकय। वोकर दुख के कोनों पारावार नइ हे। यदि वोकर हिरदे ह फट जातिस ते वोकर दुख के धार म जम्मा सहर ह बूड़ के बोहा जातिस। पर इहाँ वोकर दुख सुननेवाला, बाँटनेवाला कोनों नइ हे।

योना ल बोरा लाद के आवत एक झन कुली दिखिस। बात करे के गरज म वो ह वोला पूछिस, ’’भइया! का टाइम होय हे?’’

’’नौ ले जादा बज गे हे। अब तोला कोन सवारी मिलही। कोन ल देखत हस? जा अपन घर।’’ कुली ह किहिस अउ रेग दिस।

योना ह फेर दुख म बूड़ गे। वोकर दुख ल सुनेबर दुनिया म कोनों नइ हे। इच्छा करना बेकार हे। वोकर हिरदे ह फटे लगथे। वो ह ’’अस्तबल’’ जाय के बारे म सोचे लगिस। वोकर घोड़ा ह जइसे वोकर मन के बात ल समझ गिस अउ दुलकी चाल म अस्तबल कोती दउड़े लगिस।
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घंटा-डेढ़ घंटा बीत गे। योना ह अब एक बड़े जबर अउ गंदा स्टोव के आगू बइठे है। अगल-बगल म अबड़ अकन आदमी बेंच मन म खर्राटा मारत सुते हें। योना के आँखीं म नींद नइ हे। इहाँ के हवा म वोकर दम छेंकाय परत हे। वो ह अपन सरीर ल खजवावत सुतइया मन डहर देखथे। सोचिस, वो ह अतका जल्दी काबर लहुटिस होही? आज तो घोड़ा के चारा बर घला कमाई नइ हो पाइस।

एक झन जवान कोचवान जउन ह कोन्टा म सुते रहय, झकनका के उठ के बइठ गिस। थोरिक देर बड़बड़ाइस अउ पानी के बाल्टी कोती जाय लगिस।

’’पानी पीबे?’’ योना ह पूछिस

’’यहू ह पूछे के बात हरे।’’

’’अरे, नइ दोस्त! तंय सदा सुखी रह। का तोला पता हे कि मोर बेटा ह अब ये दुनिया म नइ हे? सुने हस क? इही हफ्ता ... अस्पताल म ..... कहानी ह बड़ लंबा हे दोस्त।’’

जवान ऊपर वो ह अपन बात के असर देखे के कोसिस करिस। जवान ह मुड़ी ढांक के फिर सुत गे। डोकरा ह अपन सरीर ल खजवावत लंबा सांस लिस अउ ढलंग गिस। 

वोकर बेटा ल मरे आज एक हफ्ता हो गे पन अपन दुख ल वो ह ककरो तीर नइ सुना सकिस। ये सब बात हड़बड़ी म बताय के नोहे। धीरे-धरे अउ फुरसत म, एक-एकठन बात ल सुरता कर-करके बताय के हरे। पन सुने बर कोन ल फुरसत हे? वोकर बेटा ह कइसे बीमार पड़िस, कतका दुख भोगिस, कतका तलफिस, मरे के पहिली वो ह का किहिस, अउ कइसे वोकर परान ह निकलिस, ये सब बात ल वो कोन ल बताय? दफन करे के समय के एक-एकठन बात ल बताना हे। अस्पताल म जा के वो ह अपन बेटा के कपड़ा मन ल कइसे लाइस यहू ल बताना हे। वो समय वोकर बेटी अनीसिया ह गाँवेच् म रिहिस, वोकरो बारे म बताना हे। कितना सारा बात हे बताय बर वोकर कना। पन सुनइया इहाँ कोन हे? महिला मन ल घला बताय जा सकथे, फेर वोमन ह भावुक होथंय। दुए सब्द सुन के रोय लगथंय।

’चल के अपन घोड़ा ल देखना चाही। सुते के का चिंता, रात परे हे।’ योना ह सोचिस अउ अपन कोट ल पहिर के अस्तबल कोती चल दिस। वो ह अपन घोड़ा तीर खड़े हो के मौसम के बारे म, फसल के बारे म, चारा के बारे म सोचे लगथे। अकेल्ला म अपन बेटा के बारे म सोचे के वोकर हिम्मत नइ होवय।

’’भर पेट खायेस कि नही?’’ वो ह अपन घोड़ा ल पूछिस। अपन घोड़ा के चमकत आँखीं कोती देख के किहिस, ’’ठीक हे, डट के खा। भले हम आज तोर पेट भरे के लाइक नइ कमा सकेन, पन कोई बात नहीं। हम रूखा-सूखा खा सकथन। अब तोला का बतावंव, मंय ह अब बुढ़ागे हंव, गाड़ी चलाय के लाइक नइ हंव ... मोर बेटा ह चला सकत रिहिस। कतका सानदार कोचवान रिहिस हे वो ह। कास कि वो ह जिंदा रहितिस।’’

पल भर चुप रहे के बाद योना ह फेर किहिस ’’हाँ दोस्त, मोर प्रिय संगवारी, इही ह सच हरे। मोर बेटा, ह अब ये दुनिया म नइ हे। हमला बेसहारा, अधर म छोड़ के चल दिस। तंय जरा सोच, तोर एक ठन पिला रहितिस, तंय वोकर माई होतेस अउ अचानक तोर पिला ह तोला छोड़के चल देतिस, तब तोला दुख नइ होतिस? होतिस न?’’
योना के छोटकुन घोड़ा ह अपन मालिक के हाथ म अपन थुथना ल मढ़ा दिस। अउ वोकर बात ल सुनत जाय अउ वोकर हाथ ल चाटत जाय। जइसे वो ह वोकर दुख ल बाँटना चाहत होय। 

अउ योना ह अपन एक-एक ठन दुख ल, एक-एक ठन बात अपन प्रिय संगवारी ल सुनात गिस।
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