शुक्रवार, 19 अप्रैल 2019

अनुवाद

गिरगिट - एंटन चेखव

(अनुवाद, हिंदी ले छत्तीसगढ़ी म - कुबेर)

नवा ओवरकोट पहिने पुलिस के दरोगा ओचुमेलोव ह अपन बगल म एक ठन बण्डल दबा के बजार चौक तरफ ले जावत रिहिस। वोकर पीछू-पीछू लाल चूँदी वाले एक झन सिपाही ह टुकना धर के लउहा-झउहा आवत रहय। टुकना ह जप्त करल झरबेरी ले लबालब भरे रहय। चौक म मरे रोवइया नइ रिहिस अउ चारों मुड़ा सन्नाटा बगरे रिहिस। यहाँ तक कि कोनों भीखमंगा तको नइ दिखत रिहिस। दुकान अउ शराबघर के खुल्ला दरवाजा मन अइसे लागत रिहिस मानों कई दिन के भूखा आदमी मन ईश्वर के बनावल संसार ल उदास अउ दुखी होके टकटकी लगा के देखत होय। 

’’अच्छा, तब तंय ह मोला चाबबे। राक्षस कहीं के।’’ ओचुमेलोव के कान म कोनो डहर ले अचानक ये आवाज आइस - ’’पकड़ो, भाई हो। बच के झन जावय। अब तो चाबना कानून अपराध हे। पकड़ो। अ...अ.. अहा।’’

ओचुमेलोव ह लहुट के देखिस - एक ठन कुकुर ह पैं-पैं करत पिचूगिन नाम के बेपारी के लकड़ी टाल डहर ले तीन गोड़ म दउँड़त आवत रहय। वोकर पीछू-पीछू  छींटवाले अउ कलफ लगे कमीज पहन के अउ वास्कट के बटन मन ल खोल के एक झन आदमी ह चिल्लावत दउड़त आवत रहय। वो ह कुकुर ल पकड़े खातिर वोकर पीछा करत रहय अउ आखिर गिरत-गिरत वोकर पीछू के गोड़ ल वो ह  धरिच लिस। कुकुर के पैं-पैं अउ वो आदमी के चीख ’’बच के झन जाय’’ दुबारा सुनाई दिस। दुकान के भीतर ऊँघत आदमी मन अपन घेंच निकाल के बाहिर झांके लगिन अउ थोरिकेच् देर म वो तीर भीड़ जमा हो गे।

’’हुजूर! मालूम पड़थे कि कोनों झगड़ा-फसाद होवत हे।’’ सिपाही ह किहिस।

ओचुमेलोव ह डेरी बाजू घूमिस अउ भीड़ डाहर चल दिस। देखिस कि चिल्लानेवाला आदमी ह लकड़ी टाल के फाटक म खड़ा होके अपन जेवनी हाथ ल ऊपर उठा के भीड़ ल रकत चुचवावत अंगठी ल देखावत रहय। मानो लड़ाई जीते के खुसी म झंडा लहरावत होय। कहत रहय - ’’बदमास, राक्षस, तंय बचके जाबे कहाँ।’’ वोकर वास्कट के बटन मन खुल्ला रिहिस। 

ओचुमेलोव ह वो अदमी ला चीन्ह डारिस। वोकर नाम खुकिन सोनार रिहिस। वोकर अपराधी, सफेद रंग के ग्रेहाउण्ड कुकुर के पिल्ला ह अपन आगू के दूनों टांग ल लमा के चित्त पड़े रहय। वोकर पीठ म पींयर रंग के दाग रहय। वो ह थरथर-थरथर कांपत रहय अउ वोकर आँखी डहर ले आँसू बोहावत रहय।

’’इहाँ का हंगामा होवत हे?’’ ओचुमेलोव ह चिल्ला के भीड़ ल पूछिस। ’’अउ तंय ह अपन अंगठी ल काबर उचाये हस? कोन ह चिललात रिहिस?’’

’’हुजूर! मंय ह कलेचुप अपन रद्दा रेंगत जावत रेहेंव। बिलकुल गाय समान।" खुकिन ह अपन हाथ ल मुँहू म रख के खाँसिस अउ केहे के सुरू करिस। मोला लकड़ी मिस्त्री मित्रिच ले कुछ पूछना रिहिस। पता नहीं, ये बदमास ह कते कोती ले आइस अउ मोर अंगरी ल चाब दिस। हुजूर! दया करव। मंय तो रोज कमानेवाला, रोज खानेवाला आदमी ठहरेंव। अउ वइसे भी मोर पेचीदा अउ बारीक काम। ये घाव ल माड़े म हफ्ता भर तो लगहिच। मंय तो भूखा मर जाहूँ हुजूर। मोला येकर हरजाना दिलवा देव हुजूर। अब तो अइसन कानून घला बन गे हे । अइसन आवारा जानवर के जादती ल अउ कतका सहिबोन। अइसन म तो काम करे लाइक कोनो आदमिच् नइ बाचही हुजूर।’’

’’तोर कहना वाजिब हे।’’ दरोगा ओचुमेलोव ह अपन गला साफ करके गुर्रा के किहिस - ’’ठीक हे। ये बता कि ये ह काकर कुकुर ए। वोला मंय नइ छोड़ंय। कुकुर ल छुट्टा छोड़नेवाला मन ल मजा चखाना जरूरी है। कानून के उलंघन करनेवाला मन ल सजा देना जरूरी हे। अइसे जुरमाना ठोंकहू ते छट्ठी के दूध के सुरता आ जाही। बदमास कहीं के। ढोर-ढंगार मन ल छुट्टा छोड़े के का मतलब? सबके अकल ल दुरुस्त करना हे।’’ फेर सिपाही ल चिल्ला के किहिस - ’’येल्दीरिन! पता कर, काकर कुकुर हरे। अउ रिपोट बना। कुकुर ल तुरंत मरवा दे। ये ह पागल हो गे हे। मंय पूछथंव - ये ह काकर कुकुर आय?’’

’’जनरल जिगालोव के हरे कातो।’’ भीड़ डहर ले आवाज आइस।

’’जनरल जिगालोव के?’’ जनरल जिगालोव क नाम सुन के ओचुमेलोव के आँखी ह खुले के खुले रहिगे। किहिस, ’’येल्दीरिन! मोर कोट ल उतारन लग तो। ओह्हो! यहा का गरमी हे। ... पानी गिरही तइसे लागथे।"

"अच्छा एक बात मोर समझ म नइ आवय कि ये कुकुर ह तोला चाबिस कइसे?’’ ओचुमेलोव ह खुकिन डहर घूम के किहिस, ’’ये ह तोर अंगरी ल अमरिस कइसे? ये ह नानचुक अउ तंय ह लंबा-चौड़ा आदमी। तोर अंगरी ह कोनो खीला-खाभा म छोलाय होही। हरजाना के लालच म तंय ह ये बिचारा कुकुर के नाव लेवत हस। तोर चालाकी ल मंय ह सब समझथंव। तोर जइसे बदमाश के रग-रग ल मंय ह पहिचानथंव।’’

’’ये ह येकर मुँहू ल जरती सिगरेट म आँकिस होही हुजूर। उदबिरिस करिस होही। पन ये कुकुर ह अतका बेवकूफ त नइ होही। चाबबे करही। ये आदमी ह बड़ चालबाज हे हुजूर।’’

’’चुप! झूठ काबर बोलथस। तंय ह देखे हस का? गप झन मार। सरकार ह खुद समझदार हे। सच का हे अउ झूठ का हे, वो सब जानथे। मोरो भाई ह पुलिस म हे। बता देथंव।’’

’’बकवास बंद कर।’’

’’नहीं, ये ह जनरल साब के कुकुर नो हे।’’ सिपाही ह गंभीर हो के किहिस। ’’वोकर तीर अइसन कुकुर हइच् नहीं। वोकर तीर तो सिरिफ सिकारी पौंढर कुकुर हे।’’

’’पक्का मलूम हे न?’’

’’पक्का हुजूर।’’

’’महू ल पता हे। जनरल साहब के सबो कुकुर मन अच्छा नस्ल के हे, एक से बढ़ के एक। कीमती। येला देख, कइसे मरियल हे। जनरल सााहब ह अइसने कुकुर ल पोंसही? तुंहर दिमाग खराब हो गे हे क? मास्को अउ पीटर्सबर्ग में कहू अइसन कुकुर दिख गे त का होथे जानथव? तुरंत मुरकेट देय जाथे। खुकिन! तोला चोट लगे हे क? तंय ह अइसन मामला ल छोड़ झन। .. कुकुर-माकर ल खुल्ला छोड़नेवाला मन ल मजा चखानेच हे।’’ दरोगा साहब के पारा ह फेर चढ़ गे।

’’लेकिन हो न हो ये ह जनरलेच् साहब के कुकुर आय।’’ सिपाही फेर बड़बड़ाइस। येकर माथा म तो लिखाय नइ हे। जनरल साहब के बंगला म अइसनेच् कुकर काली मंय ह देखे रेहेंव।’’

’’ बिलकुल, ये जनरलेच् साहब के कुकुर हरे।’’ भीड़ म कोनों ह फेर चिल्लाइस।

’’हूं ......। येल्दीरिन, मोर कोट ल तो पहिरा दे। ठंडा हवा के झकोरा आवत हे। मोला ठंडा लाग गे। तंय ह ये कुकुर ल धर के जनरल साहब के बंगला म जा अउ बने पता कर। कहिबे, ये ह सड़क म भटकत रिहिस तेला दरोगा साहब ह पकड़ के भेजवाय हे। अउर कहिबे कि अतका कीमती कुकुर ल अकेला सड़क म झन छोड़े करे। हर आने-जानेवाला बदमास मन येकर मुँहू म सिगरेट ल गोंजही तब ये बिचारा के का हाल होही? अइसन कुकुर मन बड़ नाजुक होथे। अउ तंय, बदमास। अपन अंगरी ल खाल्हे कर। ढ़िढोरा झन पीट। सब तोरेच् कसूर हरे।’’

’’वो दे, जनरल साहब के बावर्ची ह आवत हे। वोकर ले पूछ लिया जाय।  .... ऐ, प्रोखोर! जरा एती आ तो। ये कुकुर ल देख भला। तुंहर तो नो हे?’’

’’हमर इहाँ अइसन कुकुर? बिलकुल नहीं।’’

’’अरे! येमा पूछे के का जरूरत हे।’’ दारोगा ओचुमेलोव ह किहिस, ’’आवारा कुत्ता, साफ पता चलत हे। अउ येकर बारे म पूछताछ करना समय बरबाद करना है। अइसन ल तो तुरंत मार देना चाही।’’

’’हमर तो नो हे, पक्का हे।’’ प्रोखोर ह आगू किहिस, ’’पन ये ह वोकर भाई के हो सकत हे। हमर साहब ह अइसन कुकुर नइ पोंसे लेकिन वोकर भाई ल अइसने कुकुर पोंसे के संउख हे।’’

’’का?’’ दारोगा ओचुमेलोव के चेहरा ह फेर चमक गे। किहिस, ’’जनरल साहब के भाई, ब्लादीमिर इवानिच ह आय हे? अउ देख, मोला पतच् नइ हे। अभी रुके हे क?’’

’’हव।’’

’’वाह जी वाह। वो ह अपन भाई ले मिले खातिर आय हे अउ मोला पतच् नइ हे। तब ये ह वोकर कुकुर हरे। येला बने संभााल के ले जा। देख कतका नाजुक अउ नन्हा मुन्ना कस प्यारा कुकुर हे। कइसे गुर्र-गुर्र करत हे सैतान ह। अभी घला गुस्सा म हे।’’

प्रोखोर ह कुकुर ल धर के चल दिस। भीड़ ह खुकिन के मजाक उड़ाय लगिस।

’’मंय ह तोला ठीक कर देहूँ।’’ दारोगा ओचुमेलोव ह खुकिन ल धमकाइस अउ बाजार कोती ल दिस।
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