हिंदी साहित्य का आलोचनात्मक इतिहास लिखनेवाले प्रथम साहित्यकार - पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी
’’हिंदी साहित्य के इतिहास को आलोचनात्मक ढंग से समझाने का श्रेय पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी (राजनांदगाँव के यशश्वी साहित्यकार तथा सरस्वती के संपादक) को है जिन्होंने संवत् 1980 में ’हिन्दी साहित्य विमर्श’ नामक 196 पृष्ठ की पुस्तक लिखी। यह पुस्तक वस्तुतः उसके हिंदी साहित्य के सांस्कृतिक विकास के संबंध में लिखे गये कुछ निबंधों का संग्रह है। ........ इन निबंधों में साहित्य की विविध प्रवृत्तियों का पाण्डित्यपूर्ण विभाजन और मूल्यांकन किया गया है तथा कवियों और लेखकों के साहित्यगत व्यक्तित्व पर पूर्ण प्रकाश डाला गया है। .... इतना निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि इस प्रकार आलोचनात्मक विवेचन एक क्रम में पहली बार किया गया।आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने संवत् 1986 में एक ’हिंदी साहित्य का इतिहास’ लिखा। ..... अभी तक लिखे हुए इतिहासों में इस इतिहास को सर्वश्रेष्ठ कहना चाहिए।’’
संदर्भ:- हिंदी साहित्य का आलोचनात्म इतिहास - राम कुमार वर्मा)
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