रविवार, 9 जुलाई 2017

आलेख

सभी गुरूजनों को प्रणाम

यहाँ (chhattisgarh ) एक आई. ए. एस. महोदय आये थे। शिक्षकों के वे परम विरोधी थे। वे खुले शब्दों में शिक्षकों को निकम्मा और अयोग्य कहकर अपमानित करते थे। उनके अनुसार वे केवल अपनी मेहनत के बल पर आई. ए. एस. बने हैं। उनके आई. ए. एस. बनने में किसी शिक्षक का कोई योगदान नहीं है।

अनेक अधिकारियों में ऐसी मनोवृत्ति पाई जाती है। 

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