भाषा एवं व्याकरण : हिंदी के प्रत्यय ’’वाला’’ एवं (पूर्वकालिक प्रत्यय) ’’कर’’ के प्रयोग में अशुद्धियाँ
उपसर्ग:- उपसर्ग उस शब्द या शब्दांश को कहते हैं, जो किसी शब्द के पहले आकर उसका विशेष अर्थ प्रकट करता है। उपसर्ग के प्रयोग से शब्दों की तीन स्थितियाँ होती हैं -
अ. नया शब्द बनता है। जैसे - प्र + हार = प्रहार
ब. मूल अर्थ में परिवर्तन नहीं होता परंतु अर्थ में तेजी आती है। जैसे - परि + भ्रमण = परिभ्रमण
स. विलोम शब्द बनना। जैसे - (1) अ + सत्य = असत्य, (2) परा + जय = पराजय
उपसर्ग की विशेषताएँ:-
(1) ये शब्दांश होते हैं।
(2) ये अव्यय(अविकारी)होते हैं।
(3) वाक्य में ये स्वतंत्र रूप में प्रयुक्त नहीं होते।
(4) इनके अर्थ नहीं होते। किसी शब्द के साथ संगति बैठने पर ही ये अर्थवान बनते हैं।
प्रत्यय:- शब्दों के बाद जो अक्षर या अक्षर समूह लगाया जाता है, उसे ’प्रत्यय’ कहते हैं।
जैसे - भला़ + आई = भलाई
(प्रत्यय की भी वही विशेषताएँ होती हैं जो उपसर्ग की होती हैं।)
प्रत्यय दो प्रकार के होते हैं - 1. कृत्, तथा 2. तद्धित
1. कृदन्त - क्रिया या धातु के अन्त में प्रयुक्त होनेवाले प्रत्ययों को कृत् प्रत्यय कहते हैं और उनके मेल से बने शब्द को कृदन्त। जैसे - गाना(क्रिया)+ वाला = गानेवाला
2. तद्धित - संज्ञा, सर्वनाम और विशेषण के अन्त में लगनेवाले प्रत्यय को तद्धित कहा जाता है और उनके मेल से बने शब्द तद्धितान्त।
जैसे - मानव + ता = मानवता
अ. नया शब्द बनता है। जैसे - प्र + हार = प्रहार
ब. मूल अर्थ में परिवर्तन नहीं होता परंतु अर्थ में तेजी आती है। जैसे - परि + भ्रमण = परिभ्रमण
स. विलोम शब्द बनना। जैसे - (1) अ + सत्य = असत्य, (2) परा + जय = पराजय
उपसर्ग की विशेषताएँ:-
(1) ये शब्दांश होते हैं।
(2) ये अव्यय(अविकारी)होते हैं।
(3) वाक्य में ये स्वतंत्र रूप में प्रयुक्त नहीं होते।
(4) इनके अर्थ नहीं होते। किसी शब्द के साथ संगति बैठने पर ही ये अर्थवान बनते हैं।
प्रत्यय:- शब्दों के बाद जो अक्षर या अक्षर समूह लगाया जाता है, उसे ’प्रत्यय’ कहते हैं।
जैसे - भला़ + आई = भलाई
(प्रत्यय की भी वही विशेषताएँ होती हैं जो उपसर्ग की होती हैं।)
प्रत्यय दो प्रकार के होते हैं - 1. कृत्, तथा 2. तद्धित
1. कृदन्त - क्रिया या धातु के अन्त में प्रयुक्त होनेवाले प्रत्ययों को कृत् प्रत्यय कहते हैं और उनके मेल से बने शब्द को कृदन्त। जैसे - गाना(क्रिया)+ वाला = गानेवाला
2. तद्धित - संज्ञा, सर्वनाम और विशेषण के अन्त में लगनेवाले प्रत्यय को तद्धित कहा जाता है और उनके मेल से बने शब्द तद्धितान्त।
जैसे - मानव + ता = मानवता
हिंदी में "वाला’’ प्रत्यय
हिंदी में ’’वाला’’ प्रत्यय के प्रयोग में मनमानी बरती जाती है अर्थात इसे मूल शब्द से अलग लिखने का चलन बढ़ रहा है। जैसे - होने वाला, करने वाला, आने वाला, जाने वाला आदि।
यहाँ पर ’’वाला’’ कोई स्वतंत्र शब्द न होकर एक प्रत्यय है अतः इसे मूल शब्द के साथ मिलाकर लिखा जाना चाहिए। जैसे - होनेवाला, करनेवाला, आनेवाला, जानेवाला आदि।
यहाँ पर ’’वाला’’ कोई स्वतंत्र शब्द न होकर एक प्रत्यय है अतः इसे मूल शब्द के साथ मिलाकर लिखा जाना चाहिए। जैसे - होनेवाला, करनेवाला, आनेवाला, जानेवाला आदि।
हिंदी में पूर्वकालिक प्रत्यय ’’कर’’
पूर्वकालिक क्रिया:- जब कर्ता एक क्रिया समाप्त कर उसी क्षण दूसरी क्रिया में प्रवृत्त होता है तब पहली क्रिया (या अंतिम क्रया के पहले संपन्न होनेवाली सभी क्रियाएँ) पूर्वकालिक क्रिया कहलाती है। जैसे - उसने नहाकर भोजन किया। इसमें नहाना पूर्वकालिक क्रिया है। इसके साथ प्रयुक्त प्रत्यय ’’कर’’ पूर्वकालिक प्रत्यय कहलाता है। यहाँ ’’कर’’ एक प्रत्यय के रूप में प्रयुक्त हो रहा है अतः इसे मूल शब्द से मिलाकर लिखा जाना चाहिए।
हिंदी में पूर्वकालिक प्रत्यय ’’कर’’ के प्रयोग में मनमानी बरती जाती है अर्थात इसे कई बार पूर्वकालिक क्रिया (मूल शब्द) से अलग लिखने का चलन बढ़ रहा है। उदाहरण के रूप में देश के एक सर्वाधिक प्रसिद्ध पत्रिका में कुछ सम्मानित कवियों की काव्य पंक्तियाँ देखिए -
1. हमारे समय के आतताई उन्हें दूसरी तरफ हाँक कर ले गए। (हाँककर)
2. और उनकी पीठ पर बैठी देवी फिसल कर गिर गई है गर्त में। (फिसलकर)
3. कि मुँह खोल कर अँधेरे को कोई अँधेरा न कह सके। (खोलकर)
हिंदी में पूर्वकालिक प्रत्यय ’’कर’’ के प्रयोग में मनमानी बरती जाती है अर्थात इसे कई बार पूर्वकालिक क्रिया (मूल शब्द) से अलग लिखने का चलन बढ़ रहा है। उदाहरण के रूप में देश के एक सर्वाधिक प्रसिद्ध पत्रिका में कुछ सम्मानित कवियों की काव्य पंक्तियाँ देखिए -
1. हमारे समय के आतताई उन्हें दूसरी तरफ हाँक कर ले गए। (हाँककर)
2. और उनकी पीठ पर बैठी देवी फिसल कर गिर गई है गर्त में। (फिसलकर)
3. कि मुँह खोल कर अँधेरे को कोई अँधेरा न कह सके। (खोलकर)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें