व्यंग्य
सरकार
बुद्धिजीवियों की एक विचारशाला चल रही थी। विचार का विषय था - सरकार।
सरकार शब्द की व्युत्पत्ति पर प्रकाश डालते हुए एक विद्वान कह रहे थे, ’’सरकार शब्द की उत्पत्ति सरकाट शब्द से हुई है। प्राचीन समय में कुछ शक्तिशाली लोग भय पैदा करके समाज में अपना प्रभुत्व कायम करना चाहते थे। भूमि सहित जीवन-यापन के सभी तरह के संसाधनों पर ये अपना स्वमित्व कायम कर लेना चाहते थे। इसके लिए वे निर्ममतापूर्वक अपने विरोधियों का सर काट देते थे। लोग अपने सर को कटने से बचाने के लिए ऐसे शक्तिशाली लोगों का आधिपत्य स्वीकार कर लेते थे। इस तरह समाज में अपना प्रभुत्व कायम करनेवाले शक्तिशाली लोगों के एक प्रभु वर्ग का उदय हुआ। यह प्रभु वर्ग कहलाया और समाज पर शासन करने लगा। सर काटकर शासन करनेवाले इस वर्ग को लोग ’सरकाट’ कहने लगे। कालांतर में ’ट’ ध्वनि का उच्चारण ’र’ की तरह होने लगा और सरकाट का नया रूप सामने आया ’सरकार’। सरकाट अथवा सरकार शब्द मृत्यु का भय पैदा करनेवाला कठोर शब्द था। चूकि प्रभु वर्ग शासन करनेवाला अथवा राज करनेवाला वर्ग था अतः जल्द ही सरकाट शब्द की जगह अपेक्षाकृत कोमल भावोंवाला शासक अथवा राजा शब्द प्रचलित होने लगा। धीरे-धीरे सरकाट शब्द निष्क्रिय होकर प्रचलन से बाहर हो गया।
आधुनिक युग में, जबसे लोग सभ्य समाज की अवधारण पालकर जीने लगे हैं, शासक अथवा राजा शब्द से उन्हें गुलामी की बू आने लगी है और उन्होंने पुनः सरकार शब्द को पुनर्जीवित कर लिया है। सरकार शब्द मूलतः सरकाट शब्द है, यह बात आज के लोगों को मालूम नहीं है। आज की सरकार चलानेवाला वर्ग तब का सर काँटनेवाला प्रभु वर्ग ही है; यह भी आज के लोगों को पता नहीं है। परंतु इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता कि लोगों का सर काँटने की सरकार की आदिम प्रवृत्ति आज भी उसके अवचेतन में कहीं न कहीं छिपी हुई है। जब कभी भी सरकार को अपनी प्रभुता संकट में दिखलाई देती है, वह अपना असली, आदिम, रंग-रूप दिखा देती है।’’
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें