मरकर लौटे हुए लोग
एक दिन चोचं जी ने अचानक मेरी ओर एक प्रश्न उछाल दिया। ’’मृत्यु क्या है?’’
इस असामयिक प्रश्न ने मुझे उलझन में डाल दिया। कुछ देर तक कोई उत्तर नहीं सूझा। परंतु जल्द ही संयत होते हुए मैंने कहा - ’’भाई! मृत्यु का मुझे कोई अनुभव नहीं है। काल्पनिक और झूठी बातें कैसे कहूँ।’’
’’क्या मतलब? मृत्यु के संबंध में ग्रंथों में जो लिखा है, वह झूठा है? संत लोग जो बताते हैं वे सब काल्पनिक हैं?’’ चोचं जी ने धमकाते हुए कहा।
मैंने कहा - ’’नहीं तो। दरअसल मृत्यु के बारे में जानकारी देनेवाले सारे लोग मरकर लौटे हुए लोग हैं। इन मरे हुए लोगों को ईश्वर ने विशेष रूप से अपना अनुभव बताने के लिए यहाँ भेजा हुआ है।’’
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