मित्रों के बोल-नमूने
नमूना - 1
एक सज्जन ने मुझसे पूछा - ’’भारत के पास ज्ञान का इतना विपुल और अद्भुत भंडार होने के बाद भी भारत गुलाम हुआ?’’
दरअसल वे शिकागो धर्म सभा में स्वामी विवेकानंद के उद्बोधन की चर्चा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि स्वामीजी के उद्बोधन से सभा में उपस्थित दुनिया भर के धर्मगुरू और विद्वान भारत के प्राचीन संस्कृति, अध्यात्म और ज्ञान से अत्यधिक प्रभावित हुए। धर्म सभा और उसके बाद स्वामीजी के माध्यम से समूची दुनिया में भारत की प्राचीन संस्कृति, अध्यात्म और ज्ञान का डंका बजने लगा। पर वे इस बात से अचंभित थे कि ’’भारत के पास ज्ञान का इतना विपुल और अद्भुत भंडार होने के बाद भी भारत गुलाम क्यों है?’’ यह प्रश्न उन लोगों ने स्वामीजी से पूछा था। यही प्रश्न मैं आपसे पूछ रहा हूँ - ’’भारत के पास ज्ञान का इतना विपुल और अद्भुत भंडार होने के बाद भी भारत गुलाम हुआ?’’
मैंने कहा - भाई! बड़ा सामयिक प्रश्न है। इस पर हम सबको विचार करना चाहिए। इस प्रश्न पर मित्रों के साथ चर्चा करूँगा। कुछ संतोषजनक उत्तर निकल आया तो आपको जरूर बताऊँगा।
मैंने एक मित्र से इस प्रश्न का उत्तर पूछा। उसने पहले एक श्लोक कहा फिर उसका आशय समझाते हुए कहा - ’जहाँ पर लाभ की संभावना हो, रास्ता सुखमय और आसान हो वहाँ ब्राह्मण कहता है, तुम सब पीछे चलो, ब्राह्मण को आगे रहना चाहिए। शास्त्रों में यही लिखा है। परंतु जहाँ हानि की संभावना हो, रास्ता काँटों से भरा हो, नदी-नाले हों वहाँ ब्राह्मण कहता है, तुम सब आगे आओे। ब्राह्मण को पीछे रहना चाहिए। शास्त्रों में यही लिखा है।’
मित्र का यह जवाब मुझे रूचिकर लगा।
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नमूना - 2
जैसा कि अधिकांश लोग होते हैं, मित्र भी पुनर्जन्म के प्रबल समर्थक हैं। पुनर्जन्म का समर्थन करनेवाली रोमांचकारी और विस्मयकारी घटनाओं का उसके पास जखीरा है। एक दिन इस जखीरे को खोलकर वे मुझे अपनी बात मनवाने पर तुले हुए थे। मैंने उससे पूछा - ’’आज बहुत सारे जीव धरती से विलुप्त हो चुके हैं। बहुत सारे जीव विलुप्ति के कगार पर हैं। शेरों का संरक्षण नहीं किया जाता तो आज तक वे भी विलुप्त हो चुके होते। इनका पुनर्जन्म क्यों नहीं होता?’’
मित्र कुछ देर ध्यान की मुद्रा में बैठे रहे जैसे ईश्वर के साथ कनेक्ट होने का प्रयास कर रहे हों। शायद ईश्वर के साथ संपर्क स्थापित हो गया होगा। ध्यान से लौटते हुए अत्यंत धीर-गंभीर वाणी में उन्होंने कहा - ’’आज के मनुष्यों में शेर योनी में जन्म लेने की पात्रता नहीं रही। इसीलिए ईश्वर ने इस योनि में जन्म को अस्थायी रूप से प्रतिबंधित कर रखा है।’’
वाह! ईश्वरीय प्रेरणा से प्राप्त यह जानकारी सचमुच ’अमूल्य’ है।
क्रमशः
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