शनिवार, 6 मई 2017

आलेख

भारतीय उच्च शिक्षा की दशा, दिशा और इसके आयाम - सुबीर राणा

आक्सफैम ने अपने 2017 के रिपोर्ट एन इकाॅनाॅमी फार द 99 परसेंट में कड़े शब्दों में कहा है कि वैश्विक असमानता अब घिनौनी हो गई है। आक्सफैम ने खुलासा किया कि विश्व के केवल 8 उद्योगपतियों के पास, जिनमें छः अमरीकी नागरिक हैं, के पास दुनिया के आधे से अधिक गरीबों के बराबर की संपत्ति है। आक्सफैम ने अपने रिपोर्ट में बताया कि दुनिया की आधी से भी अधिक संपत्ति 1 प्रतिशत लाोगों के पास हैं तथा सबसे गरीब 50 प्रतिशत के पास 5 प्रतिशत से भी कम संपत्ति है। वैश्विक दशा का प्रतिबिंब अब भारत में भी देखने को मिल रहा है जहाँ 2014-15 में सिर्फ 1 प्रतिशत लोगों के पास देश की 58 प्रतिशत संपत्ति है तथा उसकी व्यक्तिगत आय कर की 11 प्रतिशत थी। .......

वैश्वीकरण ने बाजार को एक बिगड़ैल बादशाह बना दिया है जिसके जरिये सिर्फ चीजों का ही नहीं बल्कि भावनाओं का भी वस्तुकरण और निर्धारण हो गया और अंततः उनका बाजार पर एकाधिकार भी। इन सबमें सबसे ज्यादा खामियाजा उच्च शिक्षा तथा इनसे जुड़े और भी बहुत सारे मुद्दों को झेलना पड़ा है। ......

व्यापम घोटाला मध्यप्रदेश में राज्य स्तर पर सरकारी मेडिकल एवं अन्य किस्म की प्रवेश परीक्षा, दाखिला और बहाली से जुड़ा था और जिसका सीधा संबंध राजनेताओं, वरिष्ठ अधिकारियों और व्यापारियों से था, बहुत बड़े घालमेल का हिस्सा था। इस मामले में बहुत सारे अयोग्य उम्मीदवार जिनकी साँठगाँठ भ्रष्ट अधिकारियों, राजनेताओं और बिचैलियों से थी, पैसे और पहुँच के बलबूते पर सरकारी व्यवस्था का हिस्सा बननेवाले थे। इस मामले की जांच, धड़-पकड़, पुलिसिया कार्यवाही एवं न्यायिक प्रक्रिया के फैसले की सुनवाई होते-होते 23 से 40 लोगों की अप्राकृतिक मृत्यु हो गई जो व्यापम घोटाले से किसी न किसी रूप में जुड़े थे।
(बया, जनवरी - मार्च 2017, पृ.42-43 से साभार) 
(Oxfam was founded at 17 Broad Street in Oxford, Oxfordshire, in 1942 as the Oxford Committee for Famine Relief by a group of Quakers, social activists, and Oxford academics)

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