बुधवार, 3 मई 2017

आलेख - भाषा एवं व्याकरण

भाषा विचार

भाषविज्ञानियों ने अपने-अपने तरीकों से भाषा को परिभाषित करने का प्रयास किया है। परंतु भाषा की अवधारणा को मानव और उसके स्वरयंत्र द्वारा उच्चरित ध्वनियों तक सीमित करने के बाद भी इसकी सर्वमान्य और पूर्ण परिभाषा अब तक नहीं आई है। इसका कारण भाषा की विलक्षणता है। ध्वनि, शब्द, वाक्य, पदबंध, अनुच्छेद और पाठ, भाषिक संरचना के पदक्रम हैं। भाषा का संबंध हमारे ज्ञान तंत्र से है। भाषा की उपयोगिता के बारे में सोचें तो लिखित व मौखिक अभिव्यक्ति के अलावा चिंतन, विचार, तर्क, कल्पना, विश्लेषण, निष्कर्ष और निर्णय लेने में भी भाषा का प्रयोग होता है। आधुनिक भाषाविज्ञानियों ने भाषा की निम्नलिखित चार प्रमुख विशेषताओं को रेखांकित किया है -

1. DISPLACEMANT (व्यापकता - देशकाल की सीमा से परे होना):-
भाषा मूर्त-अमूर्त, वर्तमान, भूत और भविष्य सबमें व्याप्त है।

2. ARBITERINESS  (यादृच्छिकता):-
भाषा के परंपरागत शब्दों की तार्किक व्याख्या संभव नहीं है। (आविष्कार और तकनीकी आवश्यकता के अनुरूप गढ़े गये तकनीकी शब्दावलियों को छोड़कर)

3.  DUALITY / MULTIPLICITY  (रचनात्मकता):-
भाषा में संदर्भ के अनुसार अर्थ व्यक्त करने की अद्भुत क्षमता होती है।

4. PRODUCTIVITY  (उत्पादकता ):-
सीमित ध्वनियों में असीमित अभिव्यक्तियाँ। संसार की समस्त मानव-भाषाओं में 20 से कम और 70 से अधिक ध्वनियाँ नहीं पाई जाती। भारतीय भाषाओं में 50 से 65 तक ध्वनियाँ पाई जाती हैं। उदाहरण स्वरूप अंग्रेजी में ध्वनि संकेत 26 होते हैं और ध्वनियाँ 44 होती हैं। इसके बावजूद भाषा की अभिव्यक्ति क्षमता असीमित होती है।

इसके अलावा संसार की सभी भाषाओं में निम्न विशषताएँ भी पाई जाती हैं:-
1. सी.वी.सी.वी. पैटर्न (CVCV Pattern)
अ. संसार की सभी भाषाओं में ’व्यंजन-स्वर-व्यंजन-स्वर’ एकान्तर क्रम में आते हैं। इसे (CVCV) पैटर्न कहा जाता है। बोलते समय व्यंजन ध्वनि के उच्चारण के लिए जीभ को एक स्थान से दूसरे स्थान के लिए गोता लगाना पड़ता है। इस अवधि में वायु बिना व्यवधान के बाहर आती है और दो व्यंजन ध्वनियों के मध्य स्वर ध्वनि पैदा होती है।
ब. शुरुआत में लगातार दो व्यंजन ध्वनि (cc) वाले शब्द कम पाये जात हैं। जैसे - क्रम (क् र् अ म)
स. शुरुआत में लगातार तीन व्यंजन ध्वनि (ccc) वाले शब्द गिनती के हैं। जैसे - स्प्राइट, (स् प् र् अ इ ट अ)
इसी तरह - स्प्रिट,  स्क्वाश ।
द. शुरुआत में लगातार चार व्यंजन ध्वनि (cccc) लगातार आने वाले शब्द नहीं पाये जाते।

2. सभी भाषाओं में कर्ता, क्रिया और कर्म पाये जाते हैं। इनके क्रम अलग हो सकते हैं।

3. कारक - कर्ता और कर्म (संज्ञा अथवा सर्वनाम) का क्रिया के साथ संबंध बताने के लिए विभक्तियों का प्रयोग किया जाता है। इस प्रकार बने पद को कारक पद कहते हैं। सभी विभक्तियाँ अव्यय होती हैं। जैसे:- राम ने रोटी को खाया।
(यहाँ ’ने’ तथा ’को’ विभक्ति हैं। तथा ’राम ने’ और ’रोटी को’ कारक पद हैं।)







   

               
   

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