कर्ताकारक की विभक्ति - ’ने’ के संदर्भ में -
'ने' विभक्ति अन्य विभक्तियों से विशिष्ट है। वाक्य में क्रिया के लिंग और वचन को यह प्रभावित करता है।
1. सामान्यतः क्रिया के लिंग और वचन का निर्धारण कर्ता के लिंग और वचन के आधार पर होता है। जैसे -
अ. राम रोटी खाता है।
ब. सीता रोटी खाती है।
2. परंतु कर्ता में यदि ’ने’ विभक्ति लगा हो तो क्रिया के लिंग और वचन का निर्धारण कर्म के लिंग और वचन के आधार पर होता है। जैसे -
अ. राम ने रोटी खाई।
ब. सीता ने रोटी खाई।
द. राम ने आम खाया।
इ. सीता ने आम खाया।
3. कर्ता में यदि ’ने’ विभक्ति लगा हो और वाक्य में कर्म न हो तो क्रिया सदैव पुल्लिंग में होता है। जैसे -
राम ने खाया।
सीता ने खाया।
मैंने खाया।
मैंने पढ़ा।
4. यदि कर्ता और कर्म, दोनों में विभक्ति लगा हो तो कर्ता सदैव पुल्लिंग में होता है। जैसे -
राम ने रोटी को खाया।
5. स्वतंत्र रूप में क्रिया पुल्लिंग होता है।
000kuber0001. सामान्यतः क्रिया के लिंग और वचन का निर्धारण कर्ता के लिंग और वचन के आधार पर होता है। जैसे -
अ. राम रोटी खाता है।
ब. सीता रोटी खाती है।
2. परंतु कर्ता में यदि ’ने’ विभक्ति लगा हो तो क्रिया के लिंग और वचन का निर्धारण कर्म के लिंग और वचन के आधार पर होता है। जैसे -
अ. राम ने रोटी खाई।
ब. सीता ने रोटी खाई।
द. राम ने आम खाया।
इ. सीता ने आम खाया।
3. कर्ता में यदि ’ने’ विभक्ति लगा हो और वाक्य में कर्म न हो तो क्रिया सदैव पुल्लिंग में होता है। जैसे -
राम ने खाया।
सीता ने खाया।
मैंने खाया।
मैंने पढ़ा।
4. यदि कर्ता और कर्म, दोनों में विभक्ति लगा हो तो कर्ता सदैव पुल्लिंग में होता है। जैसे -
राम ने रोटी को खाया।
5. स्वतंत्र रूप में क्रिया पुल्लिंग होता है।
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